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खिलखिलाता सा हुआ बचपन आया उस पर फ़िर जवानी का

खिलखिलाता सा  हुआ बचपन आया 
उस पर  फ़िर  जवानी का  नशा छाया 
छिप-छिप  अनजाना  इकरार कर बैठे
हम तो  उनसे यूँही फ़िर प्यार  कर बैठे 
 
खुशियाँ कम, दर्द  हज़ारों मिले  हमको 
प्यार रास ना आया ज़ालिम समाज को 
ना कुछ सोचा हमनें,ना देखी "जात" है 
प्यार के  बीच "जात" क्यूँ  आ जाती है 

आँसू बहाए  है अनगिनत इन आँखों ने 
माँ-बाप का सिर, झुका है इस वज़ह से 
माँ-बाप की इज्ज़त को  प्यार कुर्बान है 
दर्द में बसर ज़िन्दगी हैं ग़म बे हिसाब है  रमज़ान:_ इज्ज़त के ख़ातिर 
#kkइज़्ज़तकीख़ातिर #kkr2021 #रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा 
#yqdidi #इज्जत
खिलखिलाता सा  हुआ बचपन आया 
उस पर  फ़िर  जवानी का  नशा छाया 
छिप-छिप  अनजाना  इकरार कर बैठे
हम तो  उनसे यूँही फ़िर प्यार  कर बैठे 
 
खुशियाँ कम, दर्द  हज़ारों मिले  हमको 
प्यार रास ना आया ज़ालिम समाज को 
ना कुछ सोचा हमनें,ना देखी "जात" है 
प्यार के  बीच "जात" क्यूँ  आ जाती है 

आँसू बहाए  है अनगिनत इन आँखों ने 
माँ-बाप का सिर, झुका है इस वज़ह से 
माँ-बाप की इज्ज़त को  प्यार कुर्बान है 
दर्द में बसर ज़िन्दगी हैं ग़म बे हिसाब है  रमज़ान:_ इज्ज़त के ख़ातिर 
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