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जीने लगें हैं अब सारे गमों को पीछे छोड़, देखो जीने

जीने लगें हैं अब

सारे गमों को पीछे छोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।
लोगों की फ़िक्रों को छोड़,
देखो बढ़ने लगे हैं अब।

नज़रअंदाज़ किया उनको,
जिसने भी कांँटे बोए हैं।
क्या कहें अब हम उनको,
वे खुद ही कर्मों पर रोए हैं।

उन्हें उनके हाल पर छोड़,
सपने बुनने लगे हैं अब।
उन सपनों को अपने जोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।

क्यों करनी है उनकी चिंता,
उनसे क्या सरोकार है अब।
नकाब के पीछे है जो चेहरा,
उन पर कहाँ एतबार है अब।

आशाओं को जो हटाया,
देखो जीने लगे हैं अब।
स्वयं को फिर सुदृढ़ पाया,
और संवरने लगे हैं अब।
.....................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #जीने_लगें_हैं_अब #nojotohindi #nojotohindipoetry 

जीने लगें हैं अब

सारे गमों को पीछे छोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।
लोगों की फ़िक्रों को छोड़,
देखो बढ़ने लगे हैं अब।

नज़रअंदाज़ किया उनको,
जिसने भी कांँटे बोए हैं।
क्या कहें अब हम उनको,
वे खुद ही कर्मों पर रोए हैं।

उन्हें उनके हाल पर छोड़,
सपने बुनने लगे हैं अब।
उन सपनों को अपने जोड़,
देखो जीने लगे हैं अब।

क्यों करनी है उनकी चिंता,
उनसे क्या सरोकार है अब।
नकाब के पीछे है जो चेहरा,
उन पर कहाँ एतबार है अब।

आशाओं को जो हटाया,
देखो जीने लगे हैं अब।
स्वयं को फिर सुदृढ़ पाया,
और संवरने लगे हैं अब।
.....................................
देवेश दीक्षित

#sandiprohila  Lalit Saxena Sethi Ji Arshad Siddiqui Satyaprem Upadhyay Yogenddra Nath Yogi  Self Made Shayar अज्ञात Sudha Tripathi karan singh rathore SACHIN SAMRAT  Internet Jockey Shilpa yadav kanchan Yadav Raj choudhary "कुलरिया" Sandeep Surela
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator
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