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खो सा गया है ख्वाब मेरा इन वादियों में । रात के घन

खो सा गया है ख्वाब मेरा इन वादियों में ।
रात के घने अंधेरे में सितारों के शहर में ।
ना जाने नींदों में कहां खो जाता है इंसान ।
दिन भर भटकते रहता है ख्यालों के सफर में
ये रात तुम्हारे जुल्फों के शाए की जैसी है ।
और ख्वाब तुम्हारे रंगों में लिपटे हुए रंगीन ।
फर्क इतना है कि तन्हा है वादियां अंधेरे में ।
तेरे चांद को आजकल आती ही नहीं है नीद ।

©Vickram
  meaning of night 🌃🌃
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Vickram

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meaning of night 🌃🌃 #शायरी

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