किसने कहा है चलते जाओ उतरो मत ठीक लगे तो उतरो बे-शक़, ठहरो मत सोच लो फिर अंजाम भाग ना पाओगी फिर कहता हूँ जाओ जानां! छेड़ो मत सनकी-वनकी कह लो लेकिन प्यार करो पागल-वागल हो लो ऐसे झिझको मत तुम इतनी भी शोख़ नहीं और गर हो तो मेरी नज़र है समझी ज़्यादा मटको मत कू-ए-महब्बत में दु:ख मिलना जन्नत है रोओ चीख़ो लेकिन इससे निकलो मत उस लड़की का हुस्न तलफ़्फ़ुज़ से बाहिर उसको याद किए जाओ बस पूछो मत इश्क़ वो आतिश जिसका फ़ाइदा नुक़्सां भी यानी' इस को तापो इस में झुलसो मत उस की तरफ़ जो देखे आंखें खो दे वो दुनिया देखना हो तो उस को देखो मत एक वज़ीर-ए-आज़म है जाने किसका जिसका कहना है बस बोलो सोचो मत पहले मोहन दास करम चंद बन जाओ फिर 'गांधी' बनने की सोचो उचको मत ख़ुद आ जाओ फ़िक्र है गर मेरी इतनी शुभम आनंद 'मनमीत' से ख़त-वत भेजो मत ©Shubham Anand Manmeet किसने कहा है चलते जाओ उतरो मत ठीक लगे तो उतरो बे-शक़, ठहरो मत सोच लो फिर अंजाम भाग ना पाओगी फिर कहता हूँ जाओ जानां! छेड़ो मत सनकी-वनकी कह लो लेकिन प्यार करो पागल-वागल हो लो ऐसे झिझको मत