एक रात का मुसाफ़िर बना गया कोई भूले बिसरे चित्र, क्यूं दिखा गया कोई। लौट के आयेंगे नही, वो दिन, वो रातें दिल धुआँ–धुआँ, आग जला गया कोई। दिल धड़कता, साँसें चलती, रुक रुक कर न जाने,सीने पर खंजर चला गया कोई। तेरे नाम छलकते जाम की मदहोशी में न जाने, विष का प्याला पिला गया कोई। मातम छाया है, मेरी मौत का शहर में न जाने कब्र पर गुलाब चढ़ा गया कोई। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।