कृष्ण कौन है? कृष्ण मुस्कुराहट और मौन है। विकट परिस्थितियों में भी होठों पे स्मित है, कभी हाथमे चक्र तो कभी बांसुरी सा संगीत है। गैया चराए बनके वो गोकुल के ग्वाले, चीर हरण में द्रौपदी के वो बने रखवाले। मुखमंडल में दिखाई सृष्टि ऐसे बालगोपाल है, जशोदा के दुलारे और कंस के वो काल है। मटकी भी फोड़ी और माखन भी चुराया, इंद्र के प्रकोप से पूरे गोकुल को बचाया। वो न्यायी भी ऐसे की अन्यायी मामा को भी मारा, पूरे मथुरा को उजागर किया उनका बने सहारा। उचित समय पे रण भी छोड़ा, द्वारिका की और रास्ता मोड़ा। उनसा सच्चा मित्र न हो सका कोई, मित्र की दरिद्रता देख आंखे कृष्ण की रोई। युद्धभूमि में गीता का अर्जुन को दिया ज्ञान, बनके सारथी पार्थके दिलाया उनको सम्मान। वो स्मित में है वो शांति में भी है, वो कर्म में है वो क्रांति में भी है। वो कण कण में है वो सभी में है, वो कल में थे और वो अभी में है। वो अनंत है वो सर्वस्व है...हरे कृष्ण हरे कृष्ण। जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। ली.. भावेश एस रावल। ©Bhavesh Rawal #janmashtami #Poet #treanding #हैप्पीजन्माष्टमी