य़े ज़िन्दगी शायद प्यास बन गयी है मंजीले होते हुए भी तलाश बन गयी है जंग अपनी थी वो खुद से लडा भी ऐसे कि खामोशीयों कि बरसात बन गयी है लड़ती है दुनिया आपस में सबसे बड़ी मज्जाक बन गयी है तोड़ जंजीरे प्यार कि दूश्मनी की शुरुआत बन गई है देखा है बादलो को टकराते हुए वो तो खुनी आग बन गयी है विवेक कौशिक #Nojoto #Hindi #poems #poem #Poet #feather