"रहमत का दिन" नूर-ए-रमजान का मौका है आया, साथ रहमत का दिन है लाया। सजदह भरी इबादत कर लो तुम, कुरआन की तिलावत कर लो तुम, देखो मगफिरत का आखरी असरा आया, साथ रहमत का दिन है लाया। वो सेहरी की रौनक पा लो तुम, वो बरकत भरे इफ्तार कर लो तुम, सदका-जकात का बड़ा मौका आया, साथ रहमत का दिन है लाया। हर गुनाह की माफ़ी मांग लो तुम, एक हजार माह की रातों से बेहतर, शब-ए-कद्र की रात है आई, साथ रहमत का दिन है लाई। भर लो जोली नेकियों से तुम, रमज़ान चला जा रहा है, अगले साल वो फिर आएगा, पर अगले साल तुम होगे या नहीं, ये भी सवाल उठ रहा है। हर दुआ कुबूल हो हर किसी की, ये भी दुआ मांग लो तुम, फरिश्ते भी बोल उठेंगे बस यही, रहमत का दिन...आमीन...आमीन। रचना क्रमांक :-29 01/05/2022 #kkrरहमतकादिन #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ानकोराकाग़ज़ #kkr2022 #कोराकाग़ज़ #kkrnitesh