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हर ख्वाहिशो को जोड़ा तो इंसान बना,,, फिर से चला आय

हर ख्वाहिशो को जोड़ा तो इंसान बना,,,
फिर से चला आया वो ख्वाबों के शहर,,
एक बार और सुरु हो गई दौड़ उम्मीदों की,,
बस इसी तरह से ये सब कुछ चलता ही रहा,,
चलता ही रहेगा ये सिलसिला हमेशा यूं ही,,
फिर से कोई और इस सफर को तय करेगा,,
नया तो कुछ भी नहीं था हर बार वही,,,
हर बार घुमाफिरा कर  फिर वही दौर आ गया,,

©Vickram
  सब कुछ वैसा ही तो था,, कभी सोचा
vickram4195

Vickram

Silver Star
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सब कुछ वैसा ही तो था,, कभी सोचा #शायरी

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