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गुजरे हुये लम्हों को,मैं कैसे भुलाऊँ। टूटे हुये दि

गुजरे हुये लम्हों को,मैं कैसे भुलाऊँ।
टूटे हुये दिल को,मैं दिलवर कैसे मनाऊँ।।
यादों का गुलिस्तां, जो छोड़ गये हो ।
सीने से लगाकर प्रियतम,मैं कैसे रिझाऊँ।।

©Shubham Bhardwaj
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