बेबहर जिंदगी में बहर ढूँढता हूँ, बेखबर है कहीं तू खबर ढूँढता हूँ। जल रहा हूँ कड़ी धूप से मैं सफर में, छाँव के वास्ते इक शजर ढूँढता हूँ। चल सके साथ मेरे कहीं जिंदगी भर, आज ऐसा कोई हमसफ़र ढूँढता हूँ । रह सकूँ मैं जहाँ चैन सुख ओ अमन से, अपने सपनों का वो इक शहर ढूँढता हूँ। आ गई आज प्यासे ही मरने की नौबत, ऐसे मजबूर की नाला नहर ढूँढता हूँ। देखता ही नहीं 'राज' कोई मुझे तो, हर किसी की जरा सी नजर ढूँढता हूँ। ©Amit Raj #amitrajquotes #nojohindi #Nojoto #Quote #gazal #Life #Social #poem #Song #Sunrise