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vishalpandhare3117
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विशाल पांढरे

भाषाएँ कौनसी भी हो हाल-ए-दिल हर्फ़-दर-हर्फ़ बयाँ कर ही देती है

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विशाल पांढरे

अपनों के दर्द से दिल ए जला था यारों
किसी हम-दर्द से फ़िर पिघला था यारों

टूटते देखे है कितनी बार 'दिल' शीशों से
ख़ामोशी में शोरों का ज़लजला था यारों

यूँ कौन बे-क़ुसूर है सितमगर हमीं ठहरे
रम्ज़-ओ-राज़ दिल जो निगला था यारों

बद'दुआओं की किश्त रोज़ाना लेते अब
टूट कर जो फ़िर शख़्स संभला था यारों

दु दिलों की  कश्मकश  समझा ना पाया
दु दिलों के लिए कभी ए पगला था यारों

भटकता है अब तलाश-ए-ख़ुदी के लिए
अभी आख़री जो कभी पहला था यारों

©विशाल पांढरे
  #worldmusicday
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विशाल पांढरे

लगाए बैठे है दिल किसी से, जिसे आसार नहीं मिलता
हम निसार हुए जान-ए-मन,  हमें वो प्यार नहीं मिलता

तुम्हें ऐब था ख़ुदी पर,  मालूम हमें वो फ़रेब तो नही था
तुम गवाही दे न सके, हमें हमारा गुनाहगार नहीं मिलता

ज़रा सी खरोंच भी हमारी देख, लबों से आह निकलती
जमाना बिता बात को, तुम में वो दिलदार नहीं मिलता

रूह का क़ैद-खाना लिए, हम भी शौक़ से चलते है अब
फ़िर कोई लगा दे बोली, हमें वो भी बाज़ार नहीं मिलता

मुरझाए जाते है गुलों की तरह, जो ताज़ा था कभी यहाँ
क़ुर्बान करते जान हम भी, पर कोई मिनार नहीं मिलता

तुम मसरूफ़ श'हर-ए-दिल्ली में, दिल लगाए किसी से
यहीं सोचकर बार-बार, दिल को मेरे करार नहीं मिलता

©विशाल पांढरे
  #GarajteBaadal
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विशाल पांढरे

कटती नहीं शब-ए-ग़म, गाह-ए-मरक़द सोया है कोई!
वालिद ही था बड़ा, फ़िर शख़्श याँ नहीं पाया है कोई।

यादों के सैलाब आकर, आब-ए-नहर दे जाते है अब,
बारिश-ए-चश्म रेग़िस्ताँ को, देख न सुकाया है कोई।

दास्ताँ-ए-मुहब्बत सुनाए क्या?, हर्फ़ थम गए याँ पर,
दौर-ए-वक़्त आया भी क्या?, हरेक रुलाया है कोई!

बा-ख़ुदा इल्तिज़ा है रहम-ओ-करम की, ता-उम्र देके,
झूठे दिखाकर ख़्वाब आने के, उसको सुलाया है कोई।

आलम-ए-मकाँ बे-जाँ हुआ, बस उसके जाने बा'द,
कूचा-ए-गुल उन्सा फ़िर याँ, न देखा खिलाया है कोई।

आलम-ए-दर्द से इस उभर पाएगा कैसे 'विशू' याँ पर,
दीदा-ए-तर देकर उम्र को, लौ चला ठुकराया है कोई!

©विशाल पांढरे
  #FathersDay #miss_u_papa
#Love_U_Papa
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विशाल पांढरे

दर्स देगी तमाम उम्र मिरी
किताब समझ पढ़ लेना!

©विशाल पांढरे
  #WoRaat
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विशाल पांढरे

बेबस इक़ दरिया को साहिल नहीं मिला
था! जो क़ाबिल उसे क़ाबिल नहीं मिला

©विशाल पांढरे
  #WoRaat
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विशाल पांढरे

बस तुम्हारे सोहबत कुछ पल बिताऊँ तो 
मिट थकान जाती है
नूर-ए-हू सी होती है बेटीयाँ जो‌
चार दीवारों को कर मकान जाती है

©विशाल पांढरे
  #बेटी
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विशाल पांढरे

तन्हाई के पल मैंने ख़ुद चूने, नसीब की ग़लती न थी
उसे बद'दुआ देता रहा, जिस रक़ीब की ग़लती न थी

©विशाल पांढरे
  #MainAurChaand
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विशाल पांढरे

टूटते अंदर दिल में दिल से कोई आवाज़ नहीं सुनता
बस छोड़ जाते हम-नफ़स क्या था राज़ नहीं सुनता

©विशाल पांढरे
  #HBDKirronKher
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विशाल पांढरे

हमीं से खफ़ा होकर शायद सभी चले जाते है
ख़ामियाँ बहुत है जो यहाँ से दिलजले जाते है

©विशाल पांढरे
  #aashiqui
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विशाल पांढरे

miss you pappa

bas yaanden hai unki sohabat me
jo taza rakh deti hai hosla jine ka
aalam-e-bahar me is ik wo hi the
jo kahte the hamesha hai tukara tu sine ka!

©विशाल पांढरे
  #phool
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