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जोशी दुर्गेश
मन का सोचा कुछ हाथ न आता।
तन का ढका कुछ साथ न जाता।।
एक छोटे से गाँव से हु,मिड़ल क्लास परिवार से जुड़ा हुआ हूं,किसान का जीवन भी यापन करता हु ओर शहर का बिज़नस भी करता हु,
कुल मिलाकर क़िताबों से प्रेम करता हु ओर कुछ न कुछ लिखता हूं।
अच्छा लगे तो मुझे अपना दोस्त बनाये धन्यवाद❤️🙏🙏😊
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