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kumarneeraj5899
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Kumar Neeraj

कवि-नीरज अकेला" कासगंज (उत्तर प्रदेश)

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Kumar Neeraj

White फकत तुझे चाहने से ही,ज़माना रूठ गया,
दिल का हर एक जर्रा,चोट खाकर टूट गया।
पकड़ कर हाथ तेरा मुकम्मल,दरिया पार करना था,
भंवर तो ठीक था साहिल पे,साथ छूट गया।।
- नीरज अकेला

©Kumar Neeraj
  #flowers
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Kumar Neeraj

मैं खुश था इससे कि वो जिंदगी में,आने वाला है,
पता नहीं था इस कदर,वो आजमाने वाला है।
समंदर से भी गहरी मोहब्बत थी,उसकी आंखों में,
मुझे अहसास तक न था,वो दूर जाने वाला है।
-नीरज "अकेला"

©Kumar Neeraj #LongRoad
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Kumar Neeraj

Nature Quotes लोग कहते हैं प्यार जिन्दगी में,एकबार होता है,
मोहब्बत दुनिया में सबका,स्वप्निल संसार होता है।
लोग कुछ भी कहें लेकिन ,जिंदगी की हकीकत है,
हादसे दिल से जब भी हों,प्यार हर बार होता है
- नीरज अकेला

©Kumar Neeraj #NatureQuotes
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Kumar Neeraj

जिस पर गुजरती है जो,वो बही जानता है,
तमाम दिलासाएं दो लेकिन,ये दिल कब मानता है।
तसल्ली आती नहीं दिल को,सारी कायनात में,
बंद आंखों से जो दिखता है,दिल उसको पहचानता है।

©Kumar Neeraj #Exploration
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Kumar Neeraj

जिंदगी की तरह ही तुम हो, जिन्दगी मेरी
खुदा माना है इसलिए हो, वंदगी मेरी।
अब हमें क्यों दिखाते हो, अदायें अपनी,
हमें दिल से पसन्द है,ये सादगी तेरी।।

©Kumar Neeraj #ballet
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Kumar Neeraj

तुझे बस याद किया,बंद हिचकियां हो गई,
दर्द इतना था ख्वाहिशें ये,सिसकियां हो गई।
आशियां......कितनी शिद्दतों से, बनाया मैने
सितमगर फिर भी तो बेदर्द,बिजलियां हो गई।।
-नीरज अकेला

©Kumar Neeraj
  #lalishq
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Kumar Neeraj

छू कर गुजर गया अभी,एक खयाल आपका,
अहसास भर से दिल मेरा,एकदम धड़क गया।
कर दिया किसी शख्स ने,तेरा जिक्र जरा सा,
महसूस हुआ तेरी खुशबू से,सारा शहर महक गया।।
-नीरज अकेला

©Kumar Neeraj
  #GateLight
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Kumar Neeraj

इसी उम्मीद में हम अक्सर,मुकाम बदलते हैं,
जगह के साथ साथ, आसमा बदलते हैं।

उम्मीदों का मुकम्मल, समंदर मिलते मिलते,
बही पर ख्वाहिशों के, कारवां बदलते हैं।

ढलेगी सांझ तो एक नया,,सूरज निकलेगा,
फिर से एक नई शब से,मिलने हम निकलते हैं।

वक्त बदला,वो बदले,कन्या बदल गईं,
फकत इक तेरी खातिर हम नहीं, बदलते हैं।

हमने देखी है उसके दिल में इक सूरत तेरी,
तबसे हम शमा बनके,रात और दिन जलते हैं।।

©Kumar Neeraj #agni
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Kumar Neeraj

जिसकी तकदीर में रब अमीरी का, सजर रखता है,
इक बही शख्स ...सारे जमाने का, हुनर रखता है।
ये अलग बात है कि समंदर पे,उंगली कौन उठाए,
मगर हर लहर पे...ये जमाना भी, नजर रखता है।

©Kumar Neeraj
  #Barsaat
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Kumar Neeraj

ये गर्दिशों का जमाना भी,बदल सकता था,
चंद कदमों का फासला था, तू चल सकता था,

तुझे दर्दे दिल का अहसास, नहीं है शायद,
जरा सी बात पे ये दिल भी,तो जल सकता था।

वक्त - ए -विदाई पे आंखों में, बहुत अश्क थे लेकिन,
मैं बस रोया नहीं तू... आंखो से, ढल सकता था।

नज़र भर देखना तक, मुमकिन नहीं "नीरज",
मुझे डर था कि ये दिल,फिर भी मचल सकता था।

©Kumar Neeraj #Aansu
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