मैं पेशे से लेखा एवम वित्त प्रबंधक हूँ। अल्पभाषी होने के कारण शब्द लिखना शुरू से ही पसंद रहा, जो आगे चलकर रचनाओं में बदलने लगे। रचनाओं को लिखने के शास्त्रीय तरीक़े नहीं आते मुझे। मैं बस अपने मन के भाव जो कह नही पाता, लिखकर व्यक्त करता हूँ। मेरी रचनाएँ मेरी जिंदगी के दर्पण नहीं वरन समाज में जो मैं देखता हूँ महसूस करता हूँ उसकी प्रतिक्रिया होती है। गिरीश