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fazasaaz8220
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Faza Saaz

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Faza Saaz

#hindinama
शीर्षक - हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह

हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह, 
आसेब- ज़दा हो जाता है उनका मन, 
और आसेब- ज़दा जगहों पे कोई जाना पसंद नहीं करता, 
वो सुहागन होते हुए भी, कभी कोई साज- श्रृंगार नहीं किया करती हैं, 
माथे पे कभी बिंदी नहीं लगाया करती हैं, 
कलाई में उनके कभी रंग- बिरंगी चूड़ियाँ नहीं होतीं, 
माथे को शौक से सिंदुर् से नहीं सजाया करती हैं, 
बल्कि लगा लेती हैं इस लिए कि वो सुहागन हैं, 
एक पतिवरता नारी हैं, 
कभी शौक से अपने हथेलियों पे मेंहदी नहीं रचाती हैं, 
बालों की खूबसूरत चोटियाँ नहीं बनाया करती हैं, 
बल्कि यूँ ही बालों को समेट लिया करती हैं, 
यूँ सा जूरा बना लिया करती हैं बालों की, 
होठों पे अपने लिपस्टिक नहीं लगाया करती हैं, 
कानों में खूबसूरत बालियाँ नहीं पहना करती हैं, 
हालांकि उन्हें बहुत पसंद होता है, 
पैरों में पायल नहीं पहना करतीं, 
हालांकि उन्हें बहुत पसंद होता है फिर भी, 
हाँ, कभी - कभी खुद को गहनों से लाद लिया करती हैं, 
साज- श्रृंगार भी कर लिया करती हैं,
क्योंकि उन्हें दुनिया को दिखाना होता है खुद को
खुश व बाश, 
पता नहीं क्यों करती हैं वो ऐसा, 
शायद उनका मन खाली हो चुका होता है, 
या शायद उनके मन के खालीपन को कोई
 भरने वाला नहीं होता, 
या शायद रह जाया करती हैं मन से अनछुई ही,
या शायद उन के मन में प्रेम- अंकुर 
नहीं फूट पाते कभी, 
या अगर फूटते भी हैं तो,
प्रस्फुटित नहीं हा पाते कभी। 

#kuch स्त्रियाँ होती हैं जिनका मन बंजर ज़मीं की तरह हो जाता है... 
#prem के फूल कभी नहीं खिला करते उनके लिए... 
#खंडहर - नुमा  मकानों की तरह हो जाया करती हैं। 
#आसेब - ज़दा मकानों की तरह हो जाते हैं उनके मन, जहाँ कोई झॉंकना भी पसंद नहीं करता.... 
एक ख़लिश सी रह जाती है उनके मन में.. 
उनके मन का #khalipan भरने वाला कोई नहीं होता... 
#womenslife #yqdidi
Pic- google

©Faza Saaz #Naari #Women #Aurat #Dard 
#Strings #ehsaas #Kha 

#Light
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Faza Saaz

#hindinama
शीर्षक - हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह

हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह, 
आसेब- ज़दा हो जाता है उनका मन, 
और आसेब- ज़दा जगहों पे कोई जाना पसंद नहीं करता, 
वो सुहागन होते हुए भी, कभी कोई साज- श्रृंगार नहीं किया करती हैं, 
माथे पे कभी बिंदी नहीं लगाया करती हैं, 
कलाई में उनके कभी रंग- बिरंगी चूड़ियाँ नहीं होतीं, 
माथे को शौक से सिंदुर् से नहीं सजाया करती हैं, 
बल्कि लगा लेती हैं इस लिए कि वो सुहागन हैं, 
एक पतिवरता नारी हैं, 
कभी शौक से अपने हथेलियों पे मेंहदी नहीं रचाती हैं, 
बालों की खूबसूरत चोटियाँ नहीं बनाया करती हैं, 
बल्कि यूँ ही बालों को समेट लिया करती हैं, 
यूँ सा जूरा बना लिया करती हैं बालों की, 
होठों पे अपने लिपस्टिक नहीं लगाया करती हैं, 
कानों में खूबसूरत बालियाँ नहीं पहना करती हैं, 
हालांकि उन्हें बहुत पसंद होता है, 
पैरों में पायल नहीं पहना करतीं, 
हालांकि उन्हें बहुत पसंद होता है फिर भी, 
हाँ, कभी - कभी खुद को गहनों से लाद लिया करती हैं, 
साज- श्रृंगार भी कर लिया करती हैं,
क्योंकि उन्हें दुनिया को दिखाना होता है खुद को
खुश व बाश, 
पता नहीं क्यों करती हैं वो ऐसा, 
शायद उनका मन खाली हो चुका होता है, 
या शायद उनके मन के खालीपन को कोई
 भरने वाला नहीं होता, 
या शायद रह जाया करती हैं मन से अनछुई ही,
या शायद उन के मन में प्रेम- अंकुर 
नहीं फूट पाते कभी, 
या अगर फूटते भी हैं तो,
प्रस्फुटित नहीं हा पाते कभी। 

#kuch स्त्रियाँ होती हैं जिनका मन बंजर ज़मीं की तरह हो जाता है... 
#prem के फूल कभी नहीं खिला करते उनके लिए... 
#खंडहर - नुमा  मकानों की तरह हो जाया करती हैं। 
#आसेब - ज़दा मकानों की तरह हो जाते हैं उनके मन, जहाँ कोई झॉंकना भी पसंद नहीं करता.... 
एक ख़लिश सी रह जाती है उनके मन में.. 
उनके मन का #khalipan भरने वाला कोई नहीं होता... 
#womenslife #yqdidi
Pic- google

©Faza Saaz #Prem #Dard 

#Hindi #Naari #Women 
#Mnn #vyatha #Strings #Aurat 

#Cassette
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Faza Saaz

हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मैं सीधी और साफ़ बात करती हूँ। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मुझे झूठी मोहब्बत करनी नहीं आती। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मुझे अपने जज़्बातों को छुपाना
नहीं आता। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मन की बातें साफ़- साफ़
कर लेती हूँ। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मुझे दिखावा करना नहीं आता। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि ज़िंदगी की चालाकियाँ 
और मक्कारियाँ नहीं सीखीं। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि लोगों की चापलूसी करनी
नहीं सीखी। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि अपनी गलतियों पे अकड़ना
नहीं सीखा। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मैं अपनी गलतियों के
लिए माफ़ी माँग लिया करती हूँ। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मैं मामूली लड़की हो कर भी, 
ख़्वाबों की मंज़िल छूना चाहती हूँ। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
कि मैंने भीड़ से अलग रस्ता चुना। 
हाँ, मैं बुरी हूँ, बहुत बुरी हूँ, 
पर मुझे इस बात का सुकून है कि
मैं बहुत बुरी हूँ, मैं बहुत बुरी हूँ ।

©Faza Saaz
  #kavita 
#poem 
#sahitya 
#kitab 
#PanktiKosh 
#Mere_alfaaz 
#Mere vichar
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Faza Saaz

सभी देश की आज़ादी की कहानी सुनाते हैं, 
चलो आज हम "खुद" से "खुद की" आज़ादी की बात करते हैं, 
क्या हमने खुद को आज़ाद किया है, 
संकुचित सोचों से, नकारात्मक ख़्यालों से, ............. 
यूँ ही बहुत सारी बातें हैं, 
जिनसे हमें खुद को आज़ादी देने की ज़रूरत है, 
क्या हमने सोचा है कभी, इस आज़ादी के बारे में, 
बातें हम बड़ी- बड़ी करते हैं, 
पर एक- दूसरे को नीचा दिखाने का एक मौक़ा नहीं गँवाते, 
ख़ुद की क़ामयाबी के लिए इतने मगन होते हैं, 
कि पास में कोई गिरा हुआ तड़प रहा है, 
उसे हमारी मदद की ज़रूरत है, 
पर हमें, अपने सिवा, किसी की कहाँ परवाह होती है, 
चलें आज हम" खुद को", "खुद" से आज़ाद करें, 
आएँ ज़िंदगी की हम नई शुरुआत करें।।

©Faza Saaz #WritersSpecial
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Faza Saaz

दिल तो है एक मासूम सा बच्चा ,
जो अपना सा लगता है,
हर उस से जुड़ता जाता है।
जो प्यार जताता है,
हर वो अपना सा लग जाता है।
दिल तो है एक मासूम सा बच्चा,
हर किसी से जुड़ता जाता है।
दिल तो है एक चंचल सा बच्चा,
हर किसी से घुल- मिल जाता है।
पल मे रूठे, पल में मान जाता है।
दिल तो है एक मासूम सा बच्चा,
इसे लोगों का चेहरा पढ़ना नहीं 
आता है।
दिल तो है एक मासूम सा बच्चा,
जिसे हर कोई अपने सा सच्चा लग जाता है।
जिसे हर झूटा भी अपना सा लग 
जाता है।
दिल तो है एक मासूम सा बच्चा,
जिसे हर कोई अपना सा लग जाता है।

©Faza Saaz #alone
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Faza Saaz

मन के आईने में जो देखा,
बस तू ही तू नज़र आया,
मन के आईने में जो देखा,
दिल के कोने में,
बैठा तू नज़र आया,
मेरी साँसों में,
खुशबू की तरह,
बस तू ही तू छाया,
मन के आईने में जो देखा,
दिल के कोने में,
बैठा तू नज़र आया,
रात को जो सोयी,
ख़्वाबों में बस तू, नज़र आया,
मन के आईने में जो देखा,
दिल के कोने में,
बैठा तू नज़र आया।।

©Faza Saaz #Hope
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Faza Saaz

जब मैं तन्हा होती हूँ
मेरी एक अलग दुनिया होती है, 
जहाँ मैं होती हूँ, 
मेरे कुछ ख़्वाब होते हैं, 
कुछ न भूलने वाली यादें होती हैं, 
खुद से बातें करती हूँ, 
कभी हँसती हूँ, कभी रोती हूँ, 
ख़्वाबों पर जमे धूलों को साफ
 करती हूँ, 
फिर नए सिरे से सँवारती हूँ, 
कभी टुटे हौसले के घरौंदे को
फिर से जोड़ती हूँ, 
और एक नया आकार देती हूँ, 
कभी आँसु की मोतियों की माला
पिरोती हूँ, 
कभी आँसुओं की लड़ियों को, 
आँखों के कोरों में छिपाती हूँ, 
मेरी एक अलग दुनिया है, 
जहाँ मैं और सिर्फ मैं होती हूँ, 
अपने जज़्बातों के साथ, 
अपने एहसासों के साथ!! 
Faza Saaz

©Faza Saaz #waiting


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