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Shyarana Andaaz (अज्ञात)
White आंधियां हिज़्र की चली और हम के बादल छा गए कैसे मिलें,अब सारे रास्ते गलतफहमी में धुंधला गए।। ©Shyarana Andaaz (अज्ञात) #good_night #गलतफहमी #हिज़्र
Rabindra Kumar Ram
" मुख्तलिफ बात थी हम तुझे इशारा क्या करते , तेरे साथ चलना था मुझे तुझसे किनारा क्या करते , ज़ेहन में आते - जाते महज तेरी बातें ही नागवार थी , फिर तुझसे से तेरे होकर और तुझसे बिछड़ के तेरे हिज़्र में गुजारा क्या करते . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मुख्तलिफ बात थी हम तुझे इशारा क्या करते , तेरे साथ चलना था मुझे तुझसे किनारा क्या करते , ज़ेहन में आते - जाते महज तेरी बातें ही नागवार थी , फिर तुझसे से तेरे होकर और तुझसे बिछड़ के तेरे हिज़्र में गुजारा क्या करते . " --- रबिन्द्र राम #मुख्तलिफ #इशारा #ज़ेहन #नागवार #हिज़्र #गुजारा
Rabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम #हक़ीक़त #फ़साना #हिज़्र #तिजारत #तसव्वुर #दहलीज #जाहिर
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम #हक़ीक़त #फ़साना #हिज़्र #तिजारत #तसव्वुर #दहलीज #जाहिर
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*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
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" मैं हिज़्र में हूं की क्या ख्याल जाहिर करें , उल्फते एहसास को तुमने छु कर क्या ज़ायका दिया , तेरा इंतज़ार का लुफ्त कुछ यूं लेते रहेंगे रह रह के , जैसे कि तेरे मुहब्बत का तलब नया नया चस्का लगा हो . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं हिज़्र में हूं की क्या ख्याल जाहिर करें , उल्फते एहसास को तुमने छु कर क्या ज़ायका दिया , तेरा इंतज़ार का लुफ्त कुछ यूं लेते रहेंगे रह रह के , जैसे कि तेरे मुहब्बत का तलब नया नया चस्का लगा हो . " --- रबिन्द्र राम #हिज़्र #ख्याल #जाहिर
Rabindra Kumar Ram
" मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम
" मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम
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" मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम
" मिल के हिज़्र करना तुम्हें याद करेंगे , कोई हो ना हो खुद से तेरी बात करेंगे , उल्फते हयात अब जो भी हो जैसा भी हो , मुख्तलिफ लम्हातो में खुद से तेरी बातें करेंगे . " --- रबिन्द्र राम
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" वो हैं मेरे सामने की क्या और ख़्याल रखा जाये , ये इश्क मुहब्बत अब और कैसे कहा बेसुमार रखा जाये , दिलकश हो जाती मेरी शामे मेरी वफ़ा हयात की , जो कभी मिलते हैं वो मेरे ख़्याले हिज़्र से इस दिद में . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " वो हैं मेरे सामने की क्या और ख़्याल रखा जाये , ये इश्क मुहब्बत अब और कैसे कहा बेसुमार रखा जाये , दिलकश हो जाती मेरी शामे मेरी वफ़ा हयात की , जो कभी मिलते हैं वो मेरे ख़्याले हिज़्र से इस दिद में . " --- रबिन्द्र राम #इश्क #मुहब्बत #बेसुमार #वफ़ा #हयात #ख़्याले #हिज़्र #दिद
Rabindra Kumar Ram
" वो हैं मेरे सामने की क्या और ख़्याल रखा जाये , ये इश्क मुहब्बत अब और कैसे कहा बेसुमार रखा जाये , दिलकश हो जाती मेरी शामे मेरी वफ़ा हयात की , जो कभी मिलते हैं वो मेरे ख़्याले हिज़्र से इस दिद में . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " वो हैं मेरे सामने की क्या और ख़्याल रखा जाये , ये इश्क मुहब्बत अब और कैसे कहा बेसुमार रखा जाये , दिलकश हो जाती मेरी शामे मेरी वफ़ा हयात की , जो कभी मिलते हैं वो मेरे ख़्याले हिज़्र से इस दिद में . " --- रबिन्द्र राम #इश्क #मुहब्बत #बेसुमार #वफ़ा #हयात #ख़्याले #हिज़्र #दिद
Rabindra Kumar Ram
" चांद नजर में वो मेरे पहलू में कब होगा , फुरकते एहसास हैं जाने मुलाकात कब होगा , रास आये अब ज़िन्दगी कुछ कमाल तो हों , हिज़्र का सफ़र ये सफ़रनामा कब तक रहे ." --- रबिन्द्र राम " चांद नजर में वो मेरे पहलू में कब होगा , फुरकते एहसास हैं जाने मुलाकात कब होगा , रास आये अब ज़िन्दगी कुछ कमाल तो हों , हिज़्र का सफ़र ये सफ़रनामा कब तक रहे ." --- रबिन्द्र राम #चांद #पहलू