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ALOK Sharma
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? पूजा लिखूँ या भक्ति लिख दूँ , ब्रह्मा लिखूँ या शक्ति लिख दूँ जन नही सकता सिवा तुम्हारे, पास नही . कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? माना कि ये लिखावट मुझसे है.. पर इस क़लम में ताक़त तुझसे है स्वीकार करो मेरी ह्रदय भावना अंतर्मन से निकली जो खुदसे है ! छोटा सा टुकड़ा हूँ तेरे ह्रदय का और पाया तो ये जीवन तुझसे है आदि का पता नही अनन्त प्रेम है तेरा माँ हर शब्द तो है तुझसे, क्या शब्द लिखूँ माँ ! ©ALOK Sharma...✍️ निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे !
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भारी तो बिल्कुल नही पर वजन बेहिसाब है लेकिन बड़ा इतना है कि दोनों हाथ लगाकर भी नही उठाया जा सकता क्योंकि दोनों आँखों से पूरा दिखता नही दूर तक गए बहुत मगर कुल कितना विशाल है या केवल लगता है पता नही चलता पर ढोते जरूर हैं कभी मन पे कभी दिल पर जिसकी फितरत में उतरना नही मगर चढ़ना बखूबी जानता है। क्योंकि बोझ है यही समझ कर इसके चढ़ने उतरने में जीवन कचरा जा रहा। ©ALOK Sharma...✍️ #no #alok5star #bojh
ALOK Sharma
तना तनी आपस मे ऐसी, सब तन गया। दूर तक चलकर न जाने कहाँ मन गया।। ऊपर आसमा नीचे धरती बीच खड़े रह गए, देखते-देखते सामने अचानक सब जम गया।। ये जद्दोजहद क्यों खींचातानी होती रहती, भागादौड़ी आपाधापी में, सब जन गया।। दर्द पे दर्द मिले घाव कई बनकर मिटते गए, टीस बची रह गयी दिल मे जो था ग़म गया।। शुरुआत हुई सफर की जिन बातों से उन, बातों का न जाने कब सिलसिला थम गया।। ©ALOK Sharma...✍️ तना तनी आपस मे ऐसी, सब तन गया। दूर तक चलकर न जाने कहाँ मन गया।। ऊपर आसमा नीचे धरती बीच खड़े रह गए, देखते-देखते सामने अचानक सब जम गया।। ये जद्दोजहद क्यों खींचातानी होती रहती, भागादौड़ी आपाधापी में, सब जन गया।।
तना तनी आपस मे ऐसी, सब तन गया। दूर तक चलकर न जाने कहाँ मन गया।। ऊपर आसमा नीचे धरती बीच खड़े रह गए, देखते-देखते सामने अचानक सब जम गया।। ये जद्दोजहद क्यों खींचातानी होती रहती, भागादौड़ी आपाधापी में, सब जन गया।।
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कलम से कलम लड़ गई, कागज़ राह तकता रहा। आपस में बात अड़ गई, मुद्दा बीच मे लटका रहा। न दलीलें हुईं न ही बयान, असत शब्द भटका रहा। तारीख़ पे तारीख़ चढ़ गई, मामला बस, अटका रहा। आँख से आँख भिड़ गई, मनस उँगली चटका रहा। न दुआ हुई न ही सलाम, तमस खड़ा मटका रहा। न हवा चली और न आँधी, चर धूल फांकता रहा। भौंह से भौंह अस चिढ़ गई, सत खेद छानता रहा। माथे चटक लकीरें मढ गई, सांसे बख़त दर खींचता रहा। सुईं के आगे सुईं बढ़ गईं, फ़ैसला दरीचे झांकता रहा। ©ALOK Sharma...✍️ फ़ैसला दरीचे झांकता रहा। कलम से #कलम लड़ गई, कागज़ राह तकता रहा। आपस में बात अड़ गई, मुद्दा बीच मे लटका रहा। न दलीलें हुईं न ही बयान,
फ़ैसला दरीचे झांकता रहा। कलम से #कलम लड़ गई, कागज़ राह तकता रहा। आपस में बात अड़ गई, मुद्दा बीच मे लटका रहा। न दलीलें हुईं न ही बयान,
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"किताब" सुबह जगने के बाद, रात सोने के पहले तक कार्य स्थल हो या चलते हुए रास्तों में कुछ करते या सोंचते हुए, मन की आँखो से झांकते रहते पढ़ लेते,फिर बोलते या लिखते, और बताते, कभी खुद को कभी और से तन्हाइयों में दोस्त, ग़मो में सारथी कई अनुभवों को समेटे यादों का एक स्टोर चित्र और शब्दों का भंडार संगीत और ध्वनियों का शोर सीख और कई नादानियां न जाने हैं कितनी कहानियां बुनती रहती स्वत: कुछ बन जाती और छप जाती जीवन के पन्नो में सवाल इसी में जवाब इसी में खोजते रहते, पढ़ते रहते हर वक्त हर जगह कभी एकांत कभी भीड़ में वो जो है खुद के अंदर मन की "किताब" ©ALOK SHARMA "किताब" सुबह जगने के बाद, रात सोने के पहले तक कार्य स्थल हो या चलते हुए रास्तों में कुछ करते या सोंचते हुए,
"किताब" सुबह जगने के बाद, रात सोने के पहले तक कार्य स्थल हो या चलते हुए रास्तों में कुछ करते या सोंचते हुए,
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.............. ©ALOK SHARMA #gazal #Love #जीवन #शायरी #ग़ज़ल #Nojoto #no #Sa
ALOK Sharma
.................... ©ALOK SHARMA #gazal #ग़ज़ल #no #Sa #नोजोटो #Nojoto #nojotohindi #Quotes
ALOK Sharma
Your art is your social identity in the world. Whether why not it be from any area. ©ALOK SHARMA Your art is your social identity in the world. Whether why not it be from any area. #Nojoto #Life #nojotoenglish #Inspiration #Motivation #no
Your art is your social identity in the world. Whether why not it be from any area. #Life #nojotoenglish #Inspiration #Motivation #no
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लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं। नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।। लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से। दीवार सजाई जाग कर जोश उमंगों से।। किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते। बीती कितनी राते आँसू पोछते पोछते।। कोई धोखा खाकर दीवार को देखता। कोई दीवार पे सपनो के दर्शन करता।। कोई चिंता में है तो कोई दुबिधा में है। कोई करवट बदले कोई सुबिधा में है।। कोई खुशी के चित्र बनाता उल्लास में। बहाता आँसू कोई ग़मो के लिबास में।। रात की दीवार पे बनाता कोई जहान है। आबाद है कोई तो कोई घर श्मशान है।। लिखता कोई जीवन अपना आने वाला। कोई मिटती हस्ती को लेकर परेशान है।। रात की दीवार पे हैँ यहाँ कई रंग चढ़े। कुछ न कुछ फोटो यहाँ हैं सबके मढ़े।। ©ALOK SHARMA लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं। नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।। लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से। दीवार सजाई जाग कर जोश उमंगों से।। किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते। बीती कितनी राते आँसू पोछते पोछते।।
लिखे नींद के शब्द मानो गायब से हैं। नींद उन्ही की मानो जो लायक के हैं।। लिखे ख़्वाब कई अर्सों में जीवन रंगों से। दीवार सजाई जाग कर जोश उमंगों से।। किसी का जीवन गुजरा सोंचते सोंचते। बीती कितनी राते आँसू पोछते पोछते।।
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READ IN CAPTION ©ALOK SHARMA Attitude क्या है ? सर्वप्रथम इसे समझने की आवश्यकता है। हमारे अंदर Attitude होना चाहिए या नही। शायद इसको पढ़ने के बाद समझ आ जाये। मनोवृत्ति क्या है ? में Attitude को सरलतम शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे। Attitude का अर्थ है मनोवृत्ति, मनोदशा, रुख, रवैया, मनोभाव,स्वभाव,है। अब किसी व्यक्ति के अंदर कौन सा मनोभाव है उसका किस प्रकार का रवैया है सामने वाले के प्रति या समाज के सभी लोगो के प्रति ये उस व्यक्ति पर निर्भर करता है । अगर व्यक्ति सजग है तो वह कैसे अपने आप को किसी के समक्ष प्रस्तुत कर
Attitude क्या है ? सर्वप्रथम इसे समझने की आवश्यकता है। हमारे अंदर Attitude होना चाहिए या नही। शायद इसको पढ़ने के बाद समझ आ जाये। मनोवृत्ति क्या है ? में Attitude को सरलतम शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे। Attitude का अर्थ है मनोवृत्ति, मनोदशा, रुख, रवैया, मनोभाव,स्वभाव,है। अब किसी व्यक्ति के अंदर कौन सा मनोभाव है उसका किस प्रकार का रवैया है सामने वाले के प्रति या समाज के सभी लोगो के प्रति ये उस व्यक्ति पर निर्भर करता है । अगर व्यक्ति सजग है तो वह कैसे अपने आप को किसी के समक्ष प्रस्तुत कर
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