कभी भीड़ को खुद में समेट लेता हूँ। तो कभी भीड़ में गुम हो जाता हूँ।
जिंदगी ऐसे उलझ चुकी है की रिश्तों के बीच रहकर भी तन्हा हो जाता हूँ।
लेकिन मैं ठहरा ढीठ मानस फिर भी मुस्कुराता हूँ, फिर भी मुस्कुराता हूँ।।
#जीवन#रिश्ते#CalmingNature#अनुभव
शिव झा
नववर्ष 2021 राष्ट्र कवि कविता रामधारी_सिंह_दिनकर भारतीय
https://youtu.be/pgxNwEMkspY
विदेशी नववर्ष की शुभकामनाएं देने से पहले जरूर सुने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह "दिनकर" जी की कविता।