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vikasgupta7607
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Vikas Gupta

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Vikas Gupta

एक मित्र से हुई बड़े दिनों बाद मुलाकात
हमारा हुलिया देख शुरू हो गए उनके सवालात

ये क्या ढाढ़ी क्यों बढ़ाई, बाल क्यों नही कटवाए
बोला उन्होंने कोई मन्नत ठानी है क्या ,तो बतलाए

हमने कहा, हमने कोई भी मन्नत नही ठानी है
ये जो आप देख रहे है सब बेरोजगारी की निशानी है

क्या कहा आप बेरोजगार है ? 

अरे आप तो चौँक रहे है ऐसे ,
 मानो हम आपके गुन्हेगार है

उन्होंने कहा, अब आगे क्या सोचा है
 हमने कहा, 5 रुपये का धनिया
और फ्री मे एक टुकडा अदरक सोचा है

वो बोले, महोदय आपकी सोच को नमस्कार
लेकिन क्या आपकी प्रियतमा को है स्वीकार

अरे! उनको क्या ऐतराज हो सकती है
खर्चे उठाने के लिए उनके पास है बहुत से यार

वो बोले, महोदय मेरा सीधा सवाल, कब कमाओगे? 
हमने कहा, हमें अपने घर कब बुलाओगे? 
क्या मतलब? 
महमान बनाकर घर ले जाओ, डिनर पर सारी बात पाओ
सावन का महीना है ये महोदय चिकन नही शाही पनीर खिलाओ

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
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Vikas Gupta

White एक दफ्तर के बाबू ने काम क्या छोड़ा
हँसने के लिए आ गया पूरा शहर दौड़ा
एक ने कहा, 
अरे! भाई अभी-अभी तो नौकरी लगी थी
फिर ऐसा क्या हुआ की नौकरी छोड़नी पड़ी? 
बगल खड़ी मौसी भी बोल पड़ी
अरे इतनी सी तंख्वाह मे पूरा दिन काम कराते है
खाना खाने का भी समय, समय देखकर बताते है
अभी भी तो बच्चा है ,कहाँ ये सब झेल पायेगा
अच्छा है कल से उस बंदी खाने मे नही जायेगा
समय भी सोच रहा, 
मुँह पे चिंता मन मे मुस्कुराहट 
आज वही हो रहा है जो थी इनकी चाहत
बुजुर्ग ने भी बोल दिया
अब अकेले पाठक जी कितना संभालएंगे 
बुढी उम्र मे कितना कमाएंगे कितना खायेंगे 
ये आज कल के बच्चे न जाने किसकी बात मानते है
हालातों को नजरंदाज कर सिर्फ अपना पेट भरना जानते है

दफ्तर का बाबू हैरान है
उसके आस पास उससे ज्यादा लोग परेशान है

पाठक जी के घर पे चल रहा युद्ध घमासान था
पूरा का पूरा घर आज संसदे हिंदुस्तान था

अरे भाई शांत रहो अब कुछ लड़के को भी कहने दो
आँखे झुकी हुई लड़के ने कहा ,कोशिश जारी है 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #akshaya_tritiya_2024
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Vikas Gupta

Jai shree ram नमन है, नमन है उन सभी को नमन है
राम मंदिर के सभी शूरवीरों को नमन है
आज जब सपना साकार है तो क्यों पीछे है आप
ऋणी है हम उनके आओ करे उनपर वार्तालाप

ऋणी है हम बाबा फकीर सिंह खालसा और उनके साथ 24 सिखों का जिन्होंने इसका आगाज किया
विवादित दीवारो पर राम - राम लिखकर राम मंदिर का कारसाज किया

 जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के एक गवाही से अयोध्या विवाद की पूरी गुत्थी सुलझ पायी
जब जोर दिया जा रहा था राम काल्पनिक है तब इन्होंने पूरी दुनिया को अपने ज्ञान की समझ दिखायी

ऋणी है हम उन कोठारी बंधुओं के जिनके परक्राम से   राम के विरोधी थर -थराये थे
गोलियां खाकर दम तोड़ने से पहले यही है वो जो विवादित ढांचे पर हिंदू धर्म का झंडा फहराये थे

राम मंदिर के योगदान मे के.परसरन जी ने अतुल्य योगदान दिया है
एक 95 साल के शख्स ने अपने शास्त्रो के ज्ञान के बल पर विपक्षी दल के सभी दलीले खारिज कर हमे आज ये सम्मान दिया है

ऋणी है हम उन सभी के जिसने राम मंदिर बनने का सपना देखा
हर उस शख्स का जिन्होंने हमेशा ही राम को अपना देखा
जाने कितनी जान चली गयी इस ऐतिहासिक पल के इंतजार मे
और जब वो पल आज सच हो गया है तो क्यों पड़े है आप लोगो के विचार मे

ये पल इतना बड़ा है,ये खुशी इतनी दिव्य है कि
हर इंसान जिसने राम मंदिर बनाने मे सहयोग दिया क्यों करे उसे श्रेय देने से इनकार
मत सोचो दूसरा खेमा क्या कहेगा खुलकर करो उन सभी लोगो का आभार
जय श्री राम 🙏

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #JaiShreeRam
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Vikas Gupta

आजकल दिखावे का चलन है
लगभग हर कोई इसी मे मग्न है
अब तो पहचान को भी दिखावा समझने लगे है लोग
बुद्धि को भ्रमित कर खुली हंसी हँसने लगे है लोग

माथे पे रोजाना टीके को पाते देख
मंदिरों के सामने सर झुकाते देख
एक ने पूछा , क्यों भाई क्यों करते हो तुम ये दिखावा
ईश्वर दिल मे है उन्हे दिल से मानो ये तो है बहकावा

दिखावा नही ये तो पहचान है
हिंदू धर्म ही मेरा अभिमान है
आपकी नजर मे ये दिखावा है तो दिखावा ही सही
इस दिखावे को दिखाने मे मुझे कोई शर्म भी नही

बाकी दिखावे से कोई परेशानी नही
तो इस दिखावे से क्यों हैरानी वही? 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #GateLight
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Vikas Gupta

घर के काम काज मे व्यस्त रहकर
दुसरो की जिंदगी को मस्त करकर
मेरे शहर से मेरा नाता टूटा जाए
मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए

बहुत साल हो गए नैहर जाए हुए
उन गलियों मे खुद को पाए हुए
सोचा नही था एक जीवन ऐसा भी रहेगा
 गुड़िया मुझको अब कोई नही कहेगा 

वो गुड़िया अब मै नही रही अपने पापा की
जो ले आते थे हर संध्या मिठाई बताशा की
बदल गयी है वो जो अम्मा की चंडाली थी
सामने बैठाकर जो लगाती मुझको लाली थी

नही रही अपने लाडले की मै वो दीदी
जो बचाये पैसों से करता था रक्षाबंधन की खरीदी
पीहर की जिंदगी चालीस साल की हो रही है
लेकिन बारह साल नैहर की जिंदगी हावी ही रही है

सालों बीत गए माँ - बाबू जी को गए हुए
भैया चाची चाचा सबसे डाँट खाए हुए
मेरा अपना शहर वक्त के चरखे मे उजड़ा जाए
मेरी असल जिंदगी, मेरा नैहर छूटा जाए

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta
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Vikas Gupta

नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले
साल है नया इसी बात पे जेब खाली कर दे

तुझमे चाहत है लड़कियों को आशिक बनाने की
साल है नया इसी बात पे ठेला पानी- पूरी का कर ले

तुझे चिंता है अपने घर के हालातो की तकलीफो की
साल है नया इसी बात पे जीवन बीमा लेकर खुद को दफन कर ले

पैसे जमा कर एक रुपया देता है भिखारी को
साल है नया इसी बात पे बगल मे चादर बिछाकर अपना धंधा शुरू कर ले

दुखी है तु क्योंकि कोई मनाने वाला नही
साल है नया इसी बात पे काम गटर सफाई का कर ले

नया साल नई शुरुवात कुछ नया कर ले
साल है नया इसी बात पे कुछ तो नया कर ले 

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta
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Vikas Gupta

वैसे इन प्रश्नो पर बड़ी उम्र मे ही विचार करना चाहिए
जो कि बात खुल चुकी है एक बार ज़रूर इसपर विचार करना चाहिए

सहकार भावना क्या है? 
एक आवाज उठी यह काम है
तुरंत दूसरी आवाज आई, लो मै भी आ गया
सहकार भावना इसी का रूप है
काम मे हाथ बँटाकर अधूरा काम पूरा करा गया

शरीर के अंग अपना काम करकर पेट तक पहुँचाते है
पेट अपना काम करकर शरीर के अंगो तक पहुंचाता है
ये सहकार भावना है जिसके कारण ये एक दूसरे को जीवित रख पाते है
अन्यथा इन सबको अपना दम तोड़ना पड़ जाता है

पहली आवाज लगाए कौन? 
पहली आवाज उसकी हो जो देखे या समझे यह काम है
वही बने नेता उसके बाद आये सब मेहमान है

आवाज लगाने पर कोई न आये तो? 
पहली आवाज जिसकी हो पहला हाथ और पहला कदम भी वो उठाए
मेरा मतलब वो काम प्रारम्भ करे और करता ही चला जाए

अगर आप दूसरों की आवाज पर कान बंद कर लेते हो
काम को देखकर आँखे बंद कर लेते हो
तो आप उस राजा के वंशज हो जो बलवान कहा जाता था
और अपनी नगरी को जलते देख बंशी बजाता  था

याद रखिये सहकार कोई अहसान नही है
इसके बिना आपका कुछ भी मान नही है
सहकार का स्वरूप है मै ही सबकुछ नही 
असहकार का स्वरूप मुझे किसी की जरूरत नही

अगर आपको लगता है की मेरा ये प्रश्न फालतू है
तो आप एक पशु है जिसका जीवन कुछ भी नही है
क्युकी सहकार के सिवाय हमारा जीवन और है ही क्या? 
सहकार के बिना हमारा जीवन कुछ भी नही है


–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
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Vikas Gupta

मेरे दिल की बात ये है कि, तुम्हारे दिल मे मेरे लिए जगह कही है
पर दुख की बात ये है की, दिल की बातें हमेशा ही मेरी गलत रही है

मै देखता हूँ ऐसे सपने, जिसमे हम एक दूजे के हो चुके है
पर दुख की बात ये है कि, हकीकत मेरी अभी भी वही है

मन बनाता हूँ मै, तुम्हे बोलने के लिए अपनी मन की बात
पर दुख की बात ये है कि, मुझे पता नही बोलने की कौनसी तरकीब सही है

मेरे अधर मौन है, पर शब्द मेरे लिखावट बोल रहे है
पर दुख की बात ये है कि, अभी तक तुम्हें पता भी नही है

न जाने ऐसी कितनी बातें मैंने लिखी है
पर दुख की बात ये है कि, सामने से अपनी बात मैंने  अभी तक कही नही है
दुख की बात ये है की, मेरी बात अभी भी वही की वही है

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
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Vikas Gupta

Thank you दीदी 
माँ के घर पर न होने पर खुद माँ बनने के लिए
मुझे संभालने के लिए, मेरा ख्याल रखने के लिए
मुझे पता है ये कहने मे मुझसे देर हो गयी 
आज कल मे रहकर बातें उल्ट -फेर हो गयी 

Thank you दीदी 
मेरा दोस्त बनकर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए
मेरी जिद्द के लिए खुद पापा से लड़ जाने के लिए
अब दूर हो दीदी तब समझ मे मुझको आया
कितनी परवाह करती थी तुम बनकर मेरा साया

Thank you दीदी
मेरे बुखार के लिए अपनी रात खराब करने के लिए
सर पर माँ की डाली हुई पट्टी पर हाथ रखने के लिए
मेरा मन तुम्हारी ही देन का बगीचा है
तुम्ही ने इसको सच्चे लगन से सींचा है

Thank you दीदी
उन सभी चीजों के लिए जो तुमने मेरे लिए की
चाहे वो लड़ना हो या ख्याल रखना हो
मेरी गलती होने पर भी मुझसे माफी माँगना हो
तुम तो चली गयी देकर मुझको पराये धन का हवाला 
देख सको तो देख लो तुम्हारे बिन तुम्हारा लाला

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #rakshabandhan
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Vikas Gupta

आप कैसे समझेंगे उस रिश्ते को
जिस रिश्ते मे प्रेमी ही भक्षक हो
जहाँ विश्वाश नग्न होकर नतमस्तक हो
जहाँ प्रेमी ही प्रेमिका का भक्षक हो

आप कहेंगे इसमे क्या बात है
ये बलात्कार नही आपसी सह संबंधी की बात है
पर बात है इसमे बहुत बड़ी
क्योकि लड़की थी न के साथ खड़ी

लड़की ने साफ साफ शब्दों मे मना किया 
इसके बावजूद लड़के ने अपना मन बना लिया
आखिर उसने दिखा दिया वो क्या कर सकता है
एक बलात्कारी आखिर बलात्कार ही कर सकता है

अब वो लड़की किसी को क्या बताएगी
कि किसने उसका बलात्कार किया है
उसने जिसका हाथ पकड़कर वो घुमा करती थी
जिसके बारे मे वो दूसरों से प्यारे शब्द बयां करती थी

बलात्कार का प्रकार नही होता है
बलात्कार, बलात्कार होता है
वो अजनबी करे या फिर प्रेमी
हर कोई सजा का हकदार होता है

जब कोई आम बलात्कार सुनाई पड़ता है कानों मे
हम दौड़ पड़ते है साथ खड़े होने के लिए अपने मकानों से
ऐसी स्थिति को भी समझे आप 
आगे बढे और साथ खड़े रहे ऐसे लोगो के साथ

हम समझते क्यों नही की उसका प्रेमी बन जाने से
उसके साथ घूमने फिरने समय बिताने से 
उसके स्वामीत्व पर हमारा अधिकार नही होता
उसके न बोलने पर भी आप न सुने ये प्यार नही होता

–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
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