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shaikhakhibfaimo9312
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Shaikh Akhib Faimoddin

कैसे शुक्रीया अदा करें उन जख्मों का जिसने हमें शायर बना दिया,हौसले हमारे भी थे बुलंद इसलिए जिंदगी ने काबिल बना दिया passion of writing poetry

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Shaikh Akhib Faimoddin

शायद भूल हो गयी
चलते चलते मुझे रास्ते मे एक घना पेड नजर आया
थक चुका था धूप में थोडी देर वहाँ बैठने का ख़याल आया
बैठा भी वहाँ पर ठंडक मिली कहाँ
लगता है भूल हो गयी,सफर लम्बा है,शायद देर हो गयी चलने में
चलते चलते मुझे रास्ते में कुआँ नजर आया
प्यासा था कबसे थोड़ी प्यास बुझाने का ख़याल आया
पानी भी खूब पीया वहाँ पर प्यास बुझी कहाँ
लगता है भूल हो गयी,ये प्यास बडी है, शायद देर हो गयी पानी पीने में
 चलते चलते एक मुसाफिर नजर आया
तन्हा था कबसे थोड़ी बातें करने का ख़याल आया
बातें भी खूब हुई वहाँ पर तन्हाई मीटी कहाँ
लगता है भूल हो गयी,अकेला तो यहाँ,शायद देर हो गयी खुदको समझने में
चलते चलते रास्ता ख़त्म हुआ,अपना घर नजर आया
पाँव में छाले पड़े थे,जाकर थोड़ा आराम करने का ख़याल आया
खटिया बीछी हुई थी वहाँ पर नींद भी नही सुकून भी मिला कहाँ
 लगता है भूल हो गयी,अजनबी तो हुँ यहाँ,शायद देर हो गयी घर लौट आने में

©Shaikh Akhib Faimoddin शायद भूल हो गयी

#alone

शायद भूल हो गयी #alone #शायरी

24 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

वक़्त को थोड़ा बीत जाने दे ऐ दिल जख्म का एहसास  कुछ कम होगा
भरेंगे जख्म वक़्त के साथ मगर उन निशानों का क्या  मीट ना सकेंगे कभी जो किसी अपने का दिया होगा।

©Shaikh Akhib Faimoddin जख्म

जख्म #कोट्स

28 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

काश ये सब झूठ होता, काश ये सब झूठ होता
दिल और दिमाग की लड़ाई मे कभी दिल पर ऐतबार होता
जिसके खोने का ङर था आखिर खो ही दिया जिन्दगी ने
काश ये सब झूठ होता,कोई सपना होता
थोङा घबराता दिल पर वो आज साथ होता
कैसे बयाँ करे जुदाई का गम
काश मेरी कलम मे कोई अल्फाज बचा होता
काश काश जो बीत गया वह झूठ होता

©Shaikh Akhib Faimoddin काश ये सब झूठ होता

#Alas

काश ये सब झूठ होता #Alas #शायरी

21 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

Ignorance नई किताब की
खूशबू की तरह रिश्तों की खूशबू कुछ पलमें जुदा हो जाती है
खोले ही क्यों थे हमने मन के पन्ने जबकि जुदाई बीचमें आ जाती है।

©Shaikh Akhib Faimoddin
  शायरी
#IgnoranceInLife

शायरी #IgnoranceInLife

48 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

मन समन्दर है ना जाने कितने राज छुपाये बैठा है, 
 सींप तो कईं मिले इसे फिर भी मोती गवाऍं बैठा है।

©Shaikh Akhib Faimoddin #seashore
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Shaikh Akhib Faimoddin

काश!
बहोत ढुँढा दुकानों में पर वो ना मिला जिसकी मुझे तलाश थी|
सांसे चल रही थी पर मानो जिंदा लाश थी
पैसे भी थे जेब में पर जिन्दगी रकीब ही थी|
चाहकर भी खरीद ना पाया
धोखा दे रहा था खुदका ही साया|
हर जगहा ढुँढा पर वो ना मिला
 काश!एक ग्राम ना सही आधा 
ग्राम मिल जाता कहीं|
वो सुकुन था ना मिला दुकानों में ना मिला मकानों में|
शायद कब्र ही सुकुन का मकान है
जिन्दगी फिलहाल लॉकडॉऊन में बंद दुकान है| काश!

#alonesoul

97 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

कुछ तो है..
कुछ तो है जो छुटता जा रहा है
वो यकीन है या वहम जो बडता जा रहा है
दिल की कश्मकश भी अजीब है
भीतर का शोर काश सुनाई देता किसीको
पर दिल को लेकर दुनिया काफी गरीब है

कुछ तो है जो जुडता भी जा रहा है
वो यकीन है या वहम जो बडता ही जा रहा है
यहाँ भी दिल की कश्मकश भी अजीब है
बाहर इतना शोर है जहाँ मोर भी चोर है
करें तो भी क्या करें दिल को लेकर दुनिया काफी गरीब है कुछ तो है...

कुछ तो है... #शायरी

82 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

खाँमोशियाँ
कभी कभी खाँमोशियाँ जुबाँ से कहीं ज्यादा कहे जाती है
अगर हो अल्फा़ज जुबाँ पे तो किस चेहरे के हैं ये बात कहाँ समज में आती है
कभी कभी खाँमोशियाँ जुबाँ से कईं ज्यादा कहे जाती है
चिठ्ठियाँ तो अक्सर आती हैं पर पढ़ने से पहले ख़ंबकत आँखो की रोशनी चली जाती है
दो चेहरों की कश्मकश में जिंदगी बस कोरा कागज रहे जाती है
ख़फा क्यों है बेवजाह कोई यह बात  चेहरे से कईं ज्यादा बीना रुह के जिस्म का एहेसास दिला जाती है
कभी कभी खाँमोशियाँ हद से ज्यादा गुजर जाती हैं खाँमोशियाँ

खाँमोशियाँ #शायरी

74 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

खुद के होने का वजुद अपनो की बीच तलाशते देखा है
दफनाने के बाद अपना पलट के भी न देखता है
सुबहा की मोहब्बत शाम होते होते दम तोडने लगती है
हसीन है दुनिया फिर भी कुछ कमी सी लगती है
क्यों रोता है हर कोई दुनिया में पहली सांस लेते हुए
जीते हुए न समजा पर समजमें आता है आखरी सांस लेते हुए
रोशनी की तलाश में अक्सर भुल जाते हैं अंधेरे को
सांस तुटते ही पल भी नही लगता भुलाने के लिए अपनों को तलाश वजुद की

तलाश वजुद की #शायरी

88 Love

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Shaikh Akhib Faimoddin

मेरे अंदर मेरा छोटासा शहर रहता है
वहाँ की हर एक गली हर एक रास्ता दिलों से मिलता है
मेरे शहर में राजनीती नही नीती का राज चलता है
प्यार ही पुजा और इन्सानियत का मजहब बसता है
भले ही शहर छोटा है पर बडा दिल रखता है
हर एक की खुशी को अपनी खुशी,हर एक के गम को अपना गम मानता है
माना की फरीश्ते नही हैं पर अच्छा इन्सान हर कदम पे मिलता है
काश बाहर भी  ऐसा शहर मिल पाता ऐसा हर बार लगता है
कल्पनाएँ सुखद होती है पर हकीकत सामना करना पडता है
बाहर का शहर अंदर के शहर जैसा ही हो 
बस यही दुआ यह शायर बार बार करते रहेता है #mera_shehar
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