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kumarbhaskar8270
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Kumar Bhaskar

Brand Bihar 🤞 Auditor by profession..Poet by heart 💕 ऊँची –ऊँची लहरों में डूब जाती है कश्तियाँ, लहरों को चीर कर निकले ऐसा जहाज बनूँ. Do watch my YouTube channel. To subscribe or not to subscribe left to ur judgement.. love ❤ n peace ✌ to all.. 😇

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Kumar Bhaskar

नए साल पे चलो अब इक नयी शुरुआत करते हैं,
रंजिशों–गम को भूल कर मुस्कुराकर बात करते है.

ताक पर रख कर भेदभाव नयी आगाज करते हैं.
कुछ आप भूल जाओ कुछ हम आत्मसात करते है.

गुमनामियों में खो रहे जो यार-दोस्त व रिश्ते-नाते, 
मोबाइल को एक कोने रख उनसे मुलाकात करते है.  

जनता तिल- तिल कर झेल रही गरीबी का दंश,  
मिलावट, भ्रस्टाचार, आतंकवाद पर आघात करते है.

उखाड़ कर फ़ेंक दो दकियानूसी रीती-रिवाजों को, 
समाज को  कुरीतियों पाखंडो से निजात करते है.

दुनिया बाँहे फैलाकर कर रही स्वागत भारत का ,
विश्व गुरु का तमगा फिर से चलो विख्यात करते हैं.

छोड़ कर वैमनस्यता, दुराभाव, अनैतिकता, 'कुमार'
सकारात्मकता औ आशाओं की नयी प्रभात करते हैं.

-कुमार भास्कर

©Kumar Bhaskar
  नई शुरुआत
#newyear #newyearresolution #poem #hindi_poetry #motivatation #hindi #2024 #HappyNewYear
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Kumar Bhaskar

जो गलतियाँ हो गई नाहक उसे न बार - बार करें।
सबक लें गलतियों से और उनमें निरंतर सुधार करें।

©Kumar Bhaskar
  #kitaab 
#twoliner 
#poem 
#hindipoetry 
#hindi_shayari 
#Poetry
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Kumar Bhaskar

कैसा भी हो मुश्किल डगर, 
थक कर रुकना ना मगर, 
कर्तव्य पथ पर सदैव, 
रह तू सर्वदा अग्रसर... 

काँटे बिछे हैं राहों में, 
फूलों की सेज नहीं, 
चलते रहना जीवन है, 
स्थिर हो जाए तो है मरण। 

उतार- चढ़ाव से ना हो विचलित, 
धारा के विपरित हो जीत सुनिश्चित, 
विपदाओं को धता बता तू  आगे बढ़ता जा, 
दृढ़निश्चय हो नित नये सोपानों पे चढ़ता जा। 

बाधाएं अनगिनत आयेंगी, 
जीवटता से करना है सामना, 
करते निरंतर अथक प्रयास, 
सफलता की डोर है थामना। 

-कुमार भास्कर 💞

©Kumar Bhaskar
  कर्तव्य पथ 👣

#DesertWalk 
#Life 
#Life_experience 
#lifelessons 
#lifegoals 
#Struggle
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Kumar Bhaskar










विपदाओं से हार कर न जाने कितने ही बिखरते है,
’कुंदन’ होते है जो, अग्नि में तप कर ही  निखरते हैं।

©Kumar Bhaskar
  कुंदन 

#Hindi 
#hindipoetry 
#hindi_shayari 
#hindi_poem 
#alfaaz 
#Kalam_The_Pen✍️

कुंदन #Hindi #hindipoetry #hindi_shayari #hindi_poem #alfaaz Kalam_The_Pen✍️

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Kumar Bhaskar

उत्तर में प्रहरी बन खड़ा विशाल हिमालय,
दक्षिण में हिंद सागर पाँव पखारती,
पश्चिम अरब सागर, पूर्व बंगाल की खाड़ी,
विशाल भुजाएँ सकल रूप तुम्हारी सवारती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद,
रामायण-गीता सी महाकाव्य की थाती,
बुद्ध- महावीर के दर्शन से जागृत,
गाँधी –कलाम के अतुल्य ज्ञान की पाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

मोक्षदायिनी नदियाँ गंगा-यमुना सरीखी,
कल-कल प्रवाहित गोदावरी, नर्मदा - ताप्ती,
हरीतिमा विकसित इनके निर्मल जल से,
भंडार अन्न के भर अन्नपूर्णा कहलाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, वसंत,
ऋतुएँ छः मनोरम छटा अपनी दिखाती,
चाँदनी चादर ओढ़े रात,अरुणिमा लिए सुबह,
अद्वितीय सौंदर्य से लिप्त ये वसुंधरा मुस्काती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई करते नित वंदन,
अनेकता में एकता तुम विश्व को सिखाती,
भिन्न- भिन्न भाषाएँ, भिन्न –भिन्न रहन-सहन,
वैमनष्यता त्याग समरसता का पाठ पढ़ाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

-कुमार भास्कर 💞

©Kumar Bhaskar
  jay bharati 

#RepublicDay 
#Freedom 
#Aajadi 
#patriotism 
#Poetry 
#India
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Kumar Bhaskar

उत्तर में प्रहरी बन खड़ा विशाल हिमालय,
दक्षिण में हिंद सागर पाँव पखारती,
पश्चिम अरब सागर, पूर्व बंगाल की खाड़ी,
विशाल भुजाएँ सकल रूप तुम्हारी सवारती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्वेद,
रामायण-गीता सी महाकाव्य की थाती,
बुद्ध- महावीर के दर्शन से जागृत,
गाँधी –कलाम के अतुल्य ज्ञान की पाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

मोक्षदायिनी नदियाँ गंगा-यमुना सरीखी,
कल-कल प्रवाहित गोदावरी, नर्मदा - ताप्ती,
हरीतिमा विकसित इनके निर्मल जल से,
भंडार अन्न के भर अन्नपूर्णा कहलाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, वसंत,
ऋतुएँ छः मनोरम छटा अपनी दिखाती,
चाँदनी चादर ओढ़े रात,अरुणिमा लिए सुबह,
अद्वितीय सौंदर्य से लिप्त ये वसुंधरा मुस्काती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई करते नित वंदन,
अनेकता में एकता तुम विश्व को सिखाती,
भिन्न- भिन्न भाषाएँ, भिन्न –भिन्न रहन-सहन,
वैमनष्यता त्याग समरसता का पाठ पढ़ाती,
जय – जय भारत, जय माँ भारती!

-कुमार भास्कर 💞

©Kumar Bhaskar

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Kumar Bhaskar

पत्थर फेंकने को तो सैकड़ों हाथ उठे,
जो चाही दुआ तो सब अपाहिज निकले।

©Kumar Bhaskar
  #दुआ
#दुआएँ 
#हिंदी 
#हिंदी_कविता 
#Poet 
#poem
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Kumar Bhaskar

सुबह गमगीन तो शामें रंगीन,
ऐ जिन्दगी! है क्यूं तू इतना संगीन?

©Kumar Bhaskar

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Kumar Bhaskar

मेरी खता बस इतनी कि मैं बेबाक और साफ बोलता हूं,
उनकी खता है कि वो ये जुबां समझते ही नहीं।

©Kumar Bhaskar

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Kumar Bhaskar

 सर्दी की सुनसान रातें, और आसमान से टपकते ओस की बूंदें,
लगता है जनवरी, दिसंबर के जाने के गम में डूबा है।

©Kumar Bhaskar
  सर्द रातें

#हिंदी 
#Hindi 
#हिंदी_कविता 
#शायरी 
#Poetry

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