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sunilkumarmaurya6950
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

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 मेरा नाम समंदर
रत्न हजारों अंदर
प्यास बुझाता सबकी
धरती  हो या नभ की

जो भी शरण में आए
निश्चित आश्रय पाए
अपने हो या पराए
सबको गले लगाएँ

कभी नहीं गम करता
कभी न आहें भरता
खुशियाँ सदा मनाता
जमकर शोर मचाता

मुझे न कोई भय है 
अडिग मेरा निश्चय है
सबका भला करूँगा
किसी को ना दुःख दूँगा

बेखुद कभी न सोता
दाग सभी के धोता
जो भी मेरे दर आता
मुझे देख खुश होता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #SunSet
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

मछली
जल के भीतर घर है मेरा
मैं हूँ जल की रानी
रिश्ता है गहरा पानी से
मेरा जीवन पानी

उछल कूद कितना भी कर लूँ
पानी कभी न रोके
कितना भी शैतानी कर लूँ
कभी न मुझको टोके

उससे अलग न रह सकती हूँ
जान रहा जग सारा
फिर भी मुझे रिझाती दुनिया
मुझे दिखाकर चारा

चारे के लालच में खुद ही
बन जाती हूँ चारा
फिर वो मुझे पकाकर कर खाती
लेकर के चटकारा

मैं हूँ सीधी सच्ची दुनिया
इसका लाभ उठाती
जाल फेंककर आसानी से
उसमें मुझे फंसाती

ईश्वर से कहती हूँ मेरी 
कैसे होगी रक्षा
शत्रु मेरा बन जाता बेखुद
जिसको समझूँ अच्छा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #fish
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

पर्दा
 कोई चाहे पर्दे में रहना
कोई होना बेपर्दा
बड़े काम की चीज है लेकिन
इस दुनिया में पर्दा

ढकता है कमियों को बेशक
मगर ढके खूबी भी
गुण गाती है इसके दुनिया
लेकिन है ऊबी भी

कोई चाहे उसकी अच्छाई 
उठ पर्दा दिखलाये
कोई चाहे गलत काम सब
पर्दे में छुप जाएं

कोई रूप छुपाता अपना
देख न कोई पाए
कोई कहता बोझ है परदा
कैसे मुक्ति पाएँ

लेकिन जब आँखों पर पर्दा
बेखुद है पड़ जाता
तब विवेक मानव का उसके
किसी काम न आता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पर्दा
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

किसान

सभी चाहते हैं धरती का
हो खुशहाल किसान
गर्व से सीना चौंड़ा होवे
मिले उसे सम्मान

मगर कृषि उत्पादों में ही
दिखती है मँहगाई
रोते प्याज के आँसू हैं सब
भाव बढ़ा है भाई

कहते हैं सब्जी महँगी है
कैसे खर्च चलायें
पत्रकार टीवी पर आकर
जमकर उधम मचायें

मँहगे तो होते रहतें हैं
औद्योगिक सामान
मगर उधर न कभी दिलाते 
हैं लोगोँ ध्यान

टीवी फ्रिज भी मंहगा होते
मँहगी हुई दवाई
आसमान को छूती कीमत
मँहगी हुई पढ़ाई

मगर किसानों के दुश्मन सब
रोज मचायें हल्ला
सभी चाहते कभी न मँहगा
होने पाए गल्ला

बेखुद कैसे सुखी रहेगा
निर्धन बहुत किसान
उसे लोग कबतक समझेंगे
वो भी है इंसान

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #किसान
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

New Year 2025 कहते हैं नववर्ष सभी
पर नूतन कुछ दिखता ही नहीं
आते न सुखद अहसास कोई
खुश हो मन कुछ लिखता ही नहीं

चहुंओर कुहासा लाया है
जीवन में निराशा लाया है
कटकटा रहें हैं दंत लोग
नव वर्ष आंग्ल का आया है

पशु पक्षी मानव त्रस्त सभी
विपदा ये कैसी आई है
सब  अग्नि को घेरे बैठे हैं
मंहगी हो गई रजाई है

बेखुद खुशियाँ फिर भी हम सब
इसके आने से मना रहे
शुभ हो सबको यह इसी तरह
अंतिम दिन तक यूँ बना रहे

    अंग्रेजी नव वर्ष 2025 की
        हार्दिक शुभकामनाएं

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #Newyear2025
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

Unsplash सर्दी और वादियाँ
बर्फ़ीली चल रही हवा
हर तरफ बर्फ की परत बिछी
कांपते पंख थर थर
फर फर करके  उड़ रहे पक्षी

खुलती न चोंच कोकिलें शांत
सन्नाटा पसरा उपवन में
ना जाने कहाँ छुप गए भ्रमर
सोचते पुष्प अपने मन में

श्वेतांबर ओढ़े तरु कहते
हे सूर्य देव आँखें खोलो
आलस यदि लगती है तुमको
जल्दी से अपना मुँह धोलो

यह दृश्य देख कर प्रमुदित है
मानव बन करके सैलानी
लेकर कुटुंब आ गया यहाँ
हो रही प्रकृति को हैरानी

बेखुद हिम सागर चहुँओर
हिमपात देखकर हर्षित है
शत योजन से आया है यहाँ
वादियों से यूँ आकर्षित है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #snow
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

नौका
कभी कभी सबके जीवन में
आता ऐसा मौका
नहीं कोई चारा बचता है
काम है आती नौका

नहीं डूबने देती जब तक
खुद ही डूब न जाती
तूफानों से लड़कर के भी
मंजिल तक पहुँचाती

उसे भरोसा है माझी पर
जो है जीवन साथी
जिसने दामन थाम लिया है
छोड़ के घोड़ा हाथी

जब तक जीवन है लोगों का
बोझ उठाकर चलती
कोशिश करती कभी न उससे
हो कोई  भी गलती

भेद भाव न करती है यह
हम सबकी आदर्श
कहती मत घबराना बेखुद
जीवन है संघर्ष

   स्वरचित
सुनील कुमार मौर्य बेखुद
  गोरखपुर उत्तर प्रदेश

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नौका
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

परीक्षा
मानव जीवन में कदम कदम पर
होती सदा परीक्षा
बिना परीक्षा पूर्ण न होती
है कोई भी शिक्षा

कोई परीक्षा लिखित है होती
कोई होती मौखिक
सबका असर व्यक्ति पर होता
दैहिक दैविक भौतिक

कोई प्रश्न सरल होता तो
कोई होता संकीर्ण
अनुत्तीर्ण होता है कोई 
कोई होता उत्तीर्ण

कोई परीक्षा से डरता है
कोई करे ना चिंता
कोई देता रोज परीक्षा
संख्या कभी न गिनता

 बेखुद कठिन परीक्षा होती 
है मंजिल की सीढ़ी
और कठिन होती जाती है
यह पीढ़ी दर पीढी़

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #परीक्षा
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

सपना

पता नहीं चलता है कैसे
कट जाती है रात
सुबह भूल जातें हैं
हम सपनों की बात

लेकिन कुछ सपनों को
भूल नहीं पाते हम
दिन भर करते याद
मन में दुहराते हम

चले गए दुनिया से
दूर बहुत जो अपने
हमें मिला देते हैं
उन अपनों को सपने

कभी डराते हमको
कभी बांटते खुशियाँ
कभी रुलाते जी भर
थक जाती हैं अँखियाँ

जो कुछ खो देते हम
या फिर जो कुछ पाते
बेखुद सब मिट जाता
जब हम हैं उठ जाते

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #DREAMING
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Sunil Kumar Maurya Bekhud

मेरे दिल में मेरे हमदम
तेरी यादों का खजाना है
कैसे मै इसे तोड़ूँ
रिश्ता ये पुराना है

तुम पास नहीं रहते
अहसास तेरा दिल में
रहते हो सदा मेरे
ख्वाबों की महफ़िल में

मजबूर हूँ मै दिल से
दिल तेरा दीवाना है
मेरे दिल में मेरे हमदम
तेरी यादों का खजाना है

आबाद रहो गर तुम
तन्हा मै रह लूँगा
मैं दर्द जुदाई का
हँस करके सह लूंगा

तुमने तोड़े रिश्ता
पर मुझको निभाना है
मेरे दिल में मेरे हमदम
तेरी यादों का ठिकाना है

फरियाद तेरे दर पर
मेरा दिल नहीं मागेगा
तुम जख्म इसे दोगे
ये तुमको दुआ देगा

बेखुद तेरा दोष नहीं
बेदर्द जमाना है
मेरे दिल में मेरे हमदम
तेरी यादों का ठिकाना है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #💔दर्द_भरे_गीत❤️

#💔दर्द_भरे_गीत❤️ #कविता

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