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umasailar4812
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Uma Sailar

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Uma Sailar


जहां मैं कुछ नहीं चाहती हूं _ कविता _ उमा सेलर , उमा लिखती है 



ये जंग मेरी किसी से नहीं
बस अपने आपसे है

मैं इस नकाब पेशी से आज़ाद हो
आईने सा साफ होना चाहती हूं
मैं जो बात है सच बस वही रहना चाहती हूं
मैं सिर के इस भारी बोझ को
मर कर भी ये जाए तो 
मैं बस मरना चाहती हूं

पर जब मैं ऐसा सोचती हूं
तो वो हरकत कर जाती है
जो खुद पागल मोही बनी
बैठी है किसी के प्यार में

वो मुझे कुछ और दिखा जाती है
कभी हिम्मत कभी दिलासा
कभी ढेर झूठ से पर्दा हटा वो प्यारा आनंद दिखा जाती है

कुछ समय के लिए 
मैं उस गुमनाम पर खुबसूरत
इलाके में घूमती हूं 
और फिर मैं वो हो जाती हूं
जो मैं होना चाहती हूं 
जहां मैं बस कुछ नहीं चाहती हूं ।

- उमा सेलर

( Read Full Poem on Instagram )

©Uma Sailar
  #Woman 
जहां मैं कुछ नहीं चाहती हूं _ कविता _ उमा सेलर , उमा लिखती है 

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Uma Sailar

​का कारज मोहे रिझात
क्यों बादल धरती पे आत
क्यों ठंडी तू पवन लात 
क्यों बदरी तू जोर आत 
उपवन काहे तू खिलात
चकोर काहे रोए गात
डोलन को मनुज रातबिरात
बौरात बेहरात और अकुलात
तेरी कारी कारी बदरी देख
जियरा हमार मोहित हेय जात
उह बात इहई फिर याद आत
काहे हाथों में तू ना समात
लागे है के जैसे तू मोको
समुझावत उमा मान बात
काहे को तू मोहे सतात
अंधियारे आत जात
काहे ध्वनि फिर चेन खात
काहे धीर ना बंधे बंधात
काहे जियरा फिर लहे ग्रास
इह घर्षण का खातिर होए जात
देर दूर हम सोचे काल
काहे इह कलम ना हाथ आत
तुमसे कहने को लाख बात
बतावें केसन बूझे ना बुझात
लेके हमार इह दोई हाथ
खुदको उमा धीरज बंधात
आइयो कबहुं तुम
फिर करन घात
लखियों रागी को ये प्यारो साथ
रहे देत है हमरी बात
और बाकी दिन में कहें बात
लेत विदाई अभी हम जात
मिलहिं खातिर हमका से
तुम्हई को परे आन तात ।।

उमा सेलर : उमा लिखती है

©Uma Sailar का कारज #umasailar #a_likhti_hai #kakaraj
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Uma Sailar

किसलय पात मैं | भाग – एक |  उमा लिखती है _ कविता  उमा की देहरी से _ उमा सेलर 
__________________________
Uma Likhti Hai _ New Poem _ 
Kislay Paat Mai _ Uma ki Dehri Se | Part - 1
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༼⁠ ⁠つ⁠ ⁠◕⁠‿⁠◕⁠ ⁠༽⁠つ
 “किसलय पात मैं ”
❥⁠˙˙⁠❥⁠˙•⁠‿⁠•
**▽
चल ना यार
देख ना
कोई नहीं है
अब मान भी जा ना
तुझे अच्छा लगेगा
खुद को कई बार बहुत बार समझाना होता है
कभी रोने पे चुप कराना होता है
कभी मस्ती को लगाम लगाना होता है
ढेर सारा गुस्सा करना कभी
तो कभी फट से मान जाना होता है
रूल्स की ना पूछो
उनको तोड़ना वाजिब है अभी
सहमे हुए कभी सब काट जाना होता है
एक पल में जीना सदियां
इक दिन थोड़ी सुहाना होता है
वाजिब है मुस्कुराना मेरा
खुद को खुश रखना जिम्मेदाराना होता है
पंछियों की तादाद देख
कभी डर जाना होता है
तो देख कभी उनको
मन भर जाना होता है
तुमको देख शाम – सुबह में
दिन भानू बन जाना होता है
किसलय पात भांति बनके मैं
विचरण को जाती जब इधर –उधर
कभी फुदकती कभी ठहरी –सी
कभी उड़ती –सी जाती जिधर
देख – देख मुझको कैसे वो
करतव करने लगते हैं
बस इसीलिए शायद
वो पल मेरा बन जाता है
चुन – चुनकर कैसे तूने
जो चाहा था मिलवाया 
किसलय ही कुछ आस है
क्षणभंगुर – सा एहसास है
लगता है मदिरा पान किए मैं
खुदको कहीं तलाश रही 
भारी – भारी उर संग लिए
खुदको संतुष्टि बांट रही
पराकाष्ठा क्या कर लेगी
सब कुछ देखन की चाह है
बहुत दिनों से मिले नहीं
मिलने की भी आस है
वो भरती है देख मुझे
कभी देख मुझे हंसने लगती है
कभी टूटी – सी मैं, कभी वो टूटी
टूटी – फूटी कौड़ी खिलने लगती है 
बिन धूप वो सुनहरी 
सोने – सी सपने लगती हैं
मैं वो किसलय पात हुए 
अर्थ गूढ़ होता जाए
निरंकुश बन थोड़ा
मन इधर-उधर बहलाना चाहे
खुदसे मिलने के लिए
जाने कौन देश भ्रमण चाहे
देख अतरंगी हाव – भाव
आंखें टिम – टिमाती जाए
कभी कजरिया आंखें करके
अम्मा को लगे चिढ़ाए
कहती हर बार रोशनी
और इश्क अंधेरे से फरमाए
विस्तार कर रही है कभी
और जाने के लिए
है मग्न वो अभी 
चाहत से मिल पाने के लिए ।।।

ꪊꪑꪖ ᦓꪖﺃꪶꪖ᥅ 
उमा**** उमा लिखती है

©Uma Sailar
  किसलय पात मैं | भाग – एक | उमा लिखती है _ कविता उमा की देहरी से _ उमा सेलर #umasailar #uma_likhti_hai #poem #hindi_poetry #HindiPoem #hindi_poem

किसलय पात मैं | भाग – एक | उमा लिखती है _ कविता उमा की देहरी से _ उमा सेलर #umasailar #uma_likhti_hai #poem #hindi_poetry #HindiPoem #hindi_poem

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Uma Sailar

”बुढ़ापा ”


एक वक्त मेरा भी था 
मैं भी जब खुद्दार था 
खुद में,
खुदपर नाज़ मुझे था

आलम – ए जबानी जो था
पर आज बुढ़ापा सर चढ़ आया 
रेखाएं ये सिकुड़ी जाए 
न बेटा – बेटी का साथ 
फिरता गिरता – पड़ता बाप
नया ज़माना नए रिवाज़
सब करते मतलब से बात

नहीं खुलते मदद– ए किबाड़
सब लगता है मुझे कबाड़,
ज्यों – ज्यों उमर ये;
ढलती जाए 
बदला जाए सबका सब रे 
भूख मिटाने के खातिर
खैरात की खानी जारी है

जो कल आफिस का मालिक था
आज रास्ते का भिखारी है ।।

उमा सेलर 
उमा लिखती है

©Uma Sailar Budapa Hindi Poem By Uma Sailar
”बुढ़ापा ”


एक वक्त मेरा भी था 
मैं भी जब खुद्दार था 
खुद में,
खुदपर नाज़ मुझे था

Budapa Hindi Poem By Uma Sailar ”बुढ़ापा ” एक वक्त मेरा भी था मैं भी जब खुद्दार था खुद में, खुदपर नाज़ मुझे था #ज़िन्दगी

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Uma Sailar

Tum Ardas Bs Sun Liya Karo 
Puri Kro Na Kro alg baat hai

©Uma Sailar #MeriEid
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Uma Sailar

Uma Likhti Hai
Platform And A Hope
A story by Uma Sailar
full story on YouTube https://youtu.be/g9nAVt3-z00

Uma Likhti Hai Platform And A Hope A story by Uma Sailar full story on YouTube https://youtu.be/g9nAVt3-z00 #ज़िन्दगी

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Uma Sailar

#AzaadKalakaar main Teri mati ka
chhota sa tinka hoon
to Amar ujala hai
main deep Jara sa hun

©Uma Sailar Happy Independence to all

#uma_edits #uma_likhti_hai  #umakthought 

On #instagram 👉https://www.instagram.com/reel/CSlmrV5lOeh/?utm_medium=copy_link

#AzaadKalakaar #independenceday2021  #happyindependenceday

Happy Independence to all #uma_edits #uma_likhti_hai #umakthought On #Instagram 👉https://www.instagram.com/reel/CSlmrV5lOeh/?utm_medium=copy_link #AzaadKalakaar #independenceday2021 #happyindependenceday #शायरी

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Uma Sailar

Tum bolte Nahi Bittu

new Hindi poem
by Uma Sailar
MERI NEW POEM AA GAI HAI

YOUTUBE  par – MAKE MORE UMA
👇👇👇

Tum bolte Nahi Bittu new Hindi poem by Uma Sailar MERI NEW POEM AA GAI HAI YOUTUBE par – MAKE MORE UMA 👇👇👇 #कविता

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Uma Sailar

meri bitiya Meri jaan poem
#hindipoetry #Poetry #poetrycommunity #Hindi #kavita #poem #poems #Youtube #Instagram #Facebook  gudiya
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Uma Sailar

ग़म 😥को खुशी 😊
धूप😳 को छाव 😇
नमी😭 को हंसी 😂 
गलती 🤯🙄को मजाक🤫🤗🤣
अधूरे 🌛को पूरा🌝
बनाता है वो 🤠
दोस्त 🤝 है🤞
 ना मन 💞की बात भी 
☺️जान 😊जाता😘 है वो

©Uma Sailar #friends  #Friendship #Friend 

#FriendshipDay
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