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lalankumar2107
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Lk jha

मेरी रचना मेरा परिचय है...

lkjha1993.blogspot.com

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Lk jha

ऐ बादल 
तुम कहाँ जा रहे हो 

क्या कहीं और भी बरसना है 
या कहीं और ही बरसना है 
शायद संवादिया हो.. 
या प्रिय को मिलने जा रहे हो 
ऐ बादल.... 

जरा ठहरो.. मुझे भी जाना है 
पता नहीं पर, कुछ तो पाना है 
कहाँ है ठिकाना, जहाँ तुझको है जाना 
या बस चले जा रहे हो.... 
ऐ बादल... 

तेरे बरसने को क्या समझूँ मैं 
दुख, अहलाद या बस कर्तव्य 
तड़क -गरज, रौद्र रूप क्या है ये 
समझाओ जरा , बस कहे जा रहे हो 
ऐ बादल...
              .....Lk"राही "

©Lk jha ऐ #बादल तुम कहाँ जा रहे हो

#बादल तुम कहाँ जा रहे हो #कविता

14 Love

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Lk jha

ऐ यात्री.
 गंतव्य को निकल 
तु है किसके इंतज़ार में 
यहाँ है सभी मशगूल व्यापार में 

युँ ना हल्का समझ 
गठरी के भार को 
भुला देते जेहन 
 सफर के सार को 

 निरंतर भीड़ गुजर रही 
 अपने -पराये से कोसों दूर 
 बताते परिभाषा सफर कि 
 जैसे ख़ुद दर्शक -दर्शन हो 

 समय समाप्त हुआ 
 वक्त हुआ चलने का 
 अब भी तो सम्हल 
 ऐ यात्री.
 गंतव्य को निकल 
             .... lkjha"राही "

©Lk jha ऐ यात्री

ऐ यात्री #कविता

18 Love

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Lk jha

हमेशा आगे बढ़ने वाले पन्नों को  
पीछे पड़ चुके पन्ने
 दबोचना चाहते हैं... 
तब तक,जबतक..... 
कि, वो ख़ुद ना दब जाय

©Lk jha समाज 

#DiyaSalaai

16 Love

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Lk jha

ऐ सपने तुम क्यों आते हो 
हमें चाँद भी पाना है याद दिलाते हो 
कभी -कभी सोचता हूँ. यदि तुम नहीं तो फिर क्या 
बिस्तर रोटी  हम.. और सपने 
जगा कर फिर ख्वाब बताते हो 
ऐ सपने तुम क्यों आते हो....

सोचता हूँ, क्या और भी जहाँ है 
यदि है तो जगह ये कहाँ है.... 
अपनों को छोड़ दूर को जाना 
दूर से हर पल अपनों को याद करना 
जूनून को इतनी दूर क्यों रख आते हो 
ऐ सपने तुम क्यों आते हो... 

वक्त का व्यापार घाटे में चल रहा 
अब कम पैसे मिलते हैं.. 
जैसा वक्त वैसी क़ीमत 
क़ीमत और अहमियत को साथ क्यों लाते हो 
ऐ सपने तुम क्यों आते हो 

रातें जाग कर जिसे पाया 
उसने एक और छलांग लगा ली 
ये आपा -धापी में, फिर से कोई मौन हुआ 
और आजीवन शायद गौण रहे 
इतनी क्या चहकदमी ठहर क्यों ना जाते हो 
ऐ सपने तुम क्यों आते हो 
           ... Lkjha "राही "

©Lk jha सपने 

#CityWinter

14 Love

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Lk jha

बस एक आरजू थी 
हम भी गुनाह करते 
दिखा रहे सरीफी... 
उल्फत नकाब ओढ़े

©Lk jha कुछ नहीं 

#tereliye

कुछ नहीं #tereliye #शायरी

13 Love

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Lk jha

जरा तहजीब से कर इश्क 
बड़े अय्यार बैठे हैं 
ये इश्क नहीं करते 
इसे सौदा समझते हैं

©Lk jha तहजीब और  इश्क 
#lonely

तहजीब और इश्क #lonely #शायरी

9 Love

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Lk jha

जरा तहजीब से कर इश्क 
बड़े अय्यार बैठे हैं 
ये इश्क नहीं करते 
इसे सौदा समझते हैं

©Lk jha इश्क एक सौदा 

#TiTLi

इश्क एक सौदा #TiTLi #शायरी

14 Love

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Lk jha

उम्र को कोसते 
अपनी झोली समेटते 
फटे छाते कि छांव में 
ग्राहक तलाशते 

मैं एक मोची.. 
कोई पहचान नहीं 
बस नुक्कड़ों का खोजी 
मौला को धिक्कारते 

अब लोग पुराने चप्पल 
पुराने जूते नहीं पहनते 
फिर नये क्यों टूटेंगे 
पर हम हर दिन टूटेंगे 

लोग दिवाल पे लोकतंत्र बचाते 
वहीं जहाँ मेरी चटाई बिछती 
सभी बस देखते आते -जाते 
लोकतंत्र को निहारते 

अब हाथ थरथराने लगे 
ग्राहक उम्र देख मटियाने लगे 
बच्चे ना आरक्षण लिये ना रोजगार 
बस बचा उम्र लाचार 

अब निग़ाहें विश्राम ढूंढ़ती है 
 सुकूं कि रोटी थोड़ा मान ढूंढ़ती है 
 पर कैसे करूँ बंद अपनी दूकान 
 यहीं है घर,यहीं रोटी, यहीं आराम 
                  .. Lkjha"राही "

©Lk jha मैं एक मोची 
ख़ुद का खोजी 
#boat

मैं एक मोची ख़ुद का खोजी #boat #विचार

13 Love

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Lk jha

तु मेरी चाह ना कर ताउम्र.....
मुझे देखना है, तु कितना तड़पता है 
बड़ा गुरुर है चँदा को पूनम बिछाने पर 
जरा तु पूछ चँदा से, ये कैसे चमकता है

©Lk jha बेवफा 

#cycle

बेवफा #cycle #शायरी

17 Love

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Lk jha

मैं एक नाविक 
अकेला सफर पे 
चला जा रहा हूं 
 और अनंत ये समंदर

है तूफां बवंडर 
ना जीवन की आशा
 न कोई दिलाशा
  मैं एक नाविक 
 चला जा रहा हूं

 ना जमीं का ठिकाना 
और जल ही जहां है
अनभिज्ञ हैं दिशा से 
यही मेरा फ़साना 
  मैं एक नाविक 
 चला जा रहा हूं

जहाँ भी मैं देखूँ 
वहाँ आसमां है 
ख़ुद से जो पूछा 
जगह ये कहाँ है 
ये है समंदर 
मेरा ठिकाना 
  मैं एक नाविक 
 चला जा रहा हूं
.......Lkjha"राही "

©Lk jha मैं एक नाविक 

#boat #सफर #नाविक

मैं एक नाविक #boat #सफर #नाविक #कविता

10 Love

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