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narpatram3567
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Narpat Ram

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Narpat Ram

बीत गया सो बीत गया
अच्छा था या बुरा था
साल 2022 बीत गया

बीत गया सो बीत गया
उन्नति भरा था या अवनीति भरा
साल 2022 बीत गया 

बीत गया सो बीत गया
अपना था या पराया था
साल 2022 बीत गया 

बीत गया सो बीत गया
साथ दिया या अडंगा दिया
साल 2022 बीत गया

बीत गया सो बीत गया
सुख दिया या दुःख दिया
साल 2022 बीत गया

बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥

ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।
दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥

कह 'गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती॥

साल 2023 हर किसी के जीवन में खुशियां लेकर आए, इसी शुभमंगलकामनाओं सहित आपका अपना #धीर

©Narpat Ram #celebration
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Narpat Ram

मेरी स्वरचित काव्य संग्रह में एक और काव्य, जिसका शीर्षक है,#सबको_सब_पता_है।

सबको सब पता है,
फिर भी अपनी आंखों पर पर्दा डाल बैठे है।
घर बड़ी मुश्किल से चलता है,
फिर भी डोडो की गरणी झाल बैठे है।।

सबको सब पता है,
फिर भी अपने घर में अनजान बन बैठे है।
घर के बेटे - बेटियां चोवटे धूड़ उड़ावे,
फिर भी बेजान ठन बैठे है।।

सबको सब पता है,
फिर भी दूसरों की खाल खींचे बैठे है।
दर्द तो उन्हे भी होता है,
फिर भी आंखें भींचे बैठे है।।

सबको सब पता है,
फिर भी अपनी मति मार बैठे है।
कहते फिरते है मेरे चार बेटे है,
फिर भी घर से बाहर बैठे है।।

सबको सब पता है,
फिर भी अपनी लाचारी छिपाए बैठे है।
बहू - बेटियां रीलो बनावे,
फिर भी अपनी मूंछ का चावल दिखाए बैठे है।।

सबको सब पता है,
फिर भी नजरंदाज किए बैठे है।
घर में नशा करेंगे,
फिर भी दूसरों को सलाह दिए बैठे है।।

#धीर

©Narpat Ram #Past
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Narpat Ram

*प्रकृति  का पहला  नियम-*
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती
हैं,ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक  विचार  न भरे  जाएँ तो
नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते है ।
*#प्रकृति  का दूसरा  नियम-*
जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है।सुखी "सुख"बांटता है ,
दुःखी  "दुःख " बांटता है ,ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है,भ्रमित  "भ्रम "बांटता
है,"भयभीत" भय "बांटता हैं।
*#प्रकृति  का तीसरा नियम-*
आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि भोजन
न पचने पर रोग बढते है,पैसा न पचने पर दिखावा बढता है,बात न
पचने पर चुगली बढती है ,प्रशंसा न पचने पर  अंहकार बढता है,निंदा
न पचने पर दुश्मनी बढती है,राज न पचने पर खतरा बढता है ,दुःख
न पचने पर निराशा बढती है और सुख न पचने पर पाप बढता है ।
बात कड़वी बहुत है पर सत्य  है।

शास्त्रों में स्वर्ग और नर्क की चर्चा और परिकल्पना सिर्फ हमारे कर्मों
को नियंत्रित और सद् मार्गी बनाने के लिये ही की गई है। वर्ना, गौर से
देखें तो स्पष्ट हो जायेगा कि, यह दोनों इसी धरती पर हैं.. और
प्रत्यक्षतः हम इसे भोग भी रहे हैं।
 #धीर

©Narpat Ram #Walk
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Narpat Ram

यह है #ताजाराम_जी_बांगड़वा (वरिष्ठ अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रोजियानाडा, माधासर)।
आज मैं भी आपके सेवानिवृत्ति के अवसर पर #विदाई_समारोह में दर्शनलाभ के लिए उपस्थित हुआ,वाकई समारोह में लोगों के हुजूम को देखकर ऐसा लगा कि वास्तव में गुरुजी ने काम किया है।
आपने न केवल इस विद्यालय में बल्कि जहां भी पदस्थापित थे,वहां भी बड़ी कार्यकुशलता का परिचय देते थे।
आपकी कार्यकुशलता, कर्तव्यपरायणता व प्रकृति प्रेम दिखावे से कोसों दूर अंतरात्मा में कूट कूट के भरी हुई है।
बायतू के हर बड़े कार्यक्रम में आपकी एंकरिंग वास्तव में काबिलेतारीफ होती है।
शिक्षण कार्य के साथ साथ सह शैक्षिक गतिविधियों में आपका योगदान अनमोल है।
आप एक ईमानदार,निष्पक्ष छवि,स्पष्ट वक्ता, गंभीर चिंतनशील समाजसेवी व्यक्तित्व के धनी है।
आज आपके सेवानिवृत्त समारोह में यह भी देखने को मिला कि  आपको भेंट की जाने वाली समस्त सामग्री विद्यालय में भेंट कर दी,आपने बिना DJ के विदाई ली,आपके इस अनुपम उदाहरण से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
वास्तव में विद्यालय व विद्यार्थियों के प्रति स्नेह ने न केवल खुद बल्कि विद्यार्थियों को भी रुला दिया,विद्यार्थियों की आंखों से अश्रुधाराएँ बह रही थी, मानों वो कह रही थी,कुछ समय और हमारे विद्यालय में रहते तो हम और ज्ञान प्राप्त करते,स्वयं ताजाराम जी विद्यालय से बाहर निकलकर वापस मुड़ कर प्रवेश द्वार पर विद्यालय भूमि को नमन कर रहे थे तब उनकी आंखों में अश्रुओं की झड़ी लग गई, मानों वो कह रही है, सुंदर हरा भरा विद्यालय,आज्ञाकारी विद्यार्थी, सहयोगी स्टाफ साथी,आज से सब छूट जाएंगे।
यह सब दृश्य देखकर मेरा मन भी रोने को आ गया,वाकई ताजाराम जी  ने एक आदर्श शिक्षक की भूमिका निभाई।
मैं आपको सेवानिवृत्ति की बधाई देता हूँ और आपके उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता हूँ।
#धीर

©Narpat Ram
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Narpat Ram

वर्तमान परिदृश्य में मेरी स्वरचित काव्य रचना #बस_यही_रीत_निभाये_जा_रहा_हूँ।।।।

हम दखल नही देते कानून में,
क्योंकि हमें डर है सजा की।
लेकिन हकीकत यह है कि, 
हम आज भी ताने बाने में है समाज के।।
बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।।

समाज चाहे छोटी हो या मोटी,
भाव सबका एक है।
गर्व होता है अपने ,
समाज- जाति पर,
क्योंकि हम इन्ही से पैदा हुए है।।
बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।।

धारणाएँ व परम्पराएँ से बंधे से हम,
बाकी स्वच्छंद विचरण करना हर कोई चाहता।
लेकिन समाज की मर्यादा तोड़कर नही,
मर्यादा में लोग दुःख भी सहन कर लेते है,
क्योंकि स्वाभिमान उन्हें झुकने नही देता।।
बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।।

वैसे मुझे किसी के बारे में कहने का क्या अधिकार,
लेकिन संस्कारों में सीखा,
अन्याय में बोलना,
बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।।

#धीर

©Narpat Ram
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Narpat Ram

हर  शनिवार अलग थीम पर गतिविधियां
- माह के पहले शनिवार राजस्थान को पहचानो
- दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास
- तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान
- चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा
- पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
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बच्चों को शारीरिक-बौद्धिक विकास होगा
मासूम बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करने व उनके शारीरिक-बौद्धिक विकास के लिए शनिवार को नो बैग डे मनाने का निर्णय लिया है। राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हापूराम चौधरी के अनुसार इससे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास होगा साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी।

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*अन्तरराष्ट्रीय मपदण्ड तय*
*अंतराष्ट्रीय मापदंडो के अनुसार बच्चे के स्कूल बैग का बोझ उसके वजन के 10 फीसदी तक होना चाहिए। देश में सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं।* *मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हुई है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है।*



*राजस्थान पहला प्रदेश नही है जहां नो स्कूल बैग की स्कीम लागू की गई हो। इससे पहले मणिपुर में यह लागू किया जा चुका है और वहां पर इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है। वहीं, अन्य राज्य इस स्कीम को लागू करने की तैयारी में है।*
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*'नो बैग डे' का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास व उनमें अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन-अध्यापन के पारंपरिक तरीकों के अलावा सहयोगी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।*

©Narpat Ram #Freedom
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Narpat Ram

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Narpat Ram

#हरित_प्रणाम 🌳🌍🌲
#पर्यावरण चेतना यात्रा
        प्रो. #श्यामसुंदर ज्यांणी जी, डूंगर कॉलेज बीकानेर हरित पाठशाला, पारिवारिक वानिकी अवधारणा को लेकर कई वर्षों से पर्यावरण #संरक्षण के कामों में लगे हुए है और पिछले दिनों इन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा "लैंड फ़ॉर लाइफ" #अवार्ड से सम्मानित किया गया जो हम सभी के लिए गर्व और गौरवशाली रहा है और सभी को अपार प्रसन्नता हुई ।।
     प्रो ज्यांणी जी ने 5 जून 22 को भगवान जसनाथजी की जन्मभूमि, डाबला तालाब धीरेरां स्टेशन, लूणकरणसर, #बीकानेर से "देव जसनाथ पारिवारिक वानिकी यात्रा" शुरू की है। जिसका उद्देश्य देवभूमि डाबला तालाब को पर्यावरण का विश्व स्तरीय तीर्थ बनाना है।
    कई जगह से गुजरती हुई यह #यात्रा 18 जून को बाड़मेर #जिले के अकदड़ा गांव में प्रवेश किया,यहां राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जोधानी हुड्डों की ढाणी(अकदड़ा) पर्यावरण संगोष्ठी रखी जिसमें प्रो. Shyam Sunder Jyani ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे,पर्यावरण को बचाने के लिए हमारे पास सिर्फ एक ही विकल्प है वो धरती को पेड़-पौधों से हरी भरी करना,हर व्यक्ति अपने हिस्सा का पर्यावरण के संरक्षण का जिम्मा उठाना चाहिए। उन्होंने बड़े-बुजुर्गों से आह्वान किया कि नशावृत्ति से दूर रहे तथा वर्तमान पीढ़ी को इससे दूर रखें। सामाजिक कार्यक्रम व अन्य किसी भी कार्यक्रम में मनुहार के रूप में नशा परोसते हो यह पीढियां बर्बाद कर देगा,इसलिए इससे दूर रहे औरों को भी इससे दूर रखें। उन्होंने आगे कहा कि डाबला तालाब विश्व स्तरीय तिर्थ बनेगा,इस महातीर्थ में हर व्यक्ति को तन मन धन से सहयोग देना चाहिए। जसनाथजी सम्प्रदाय के अनुनायियों से अपील की कि वे अपने कमाई के अंश का पांचवा हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए,प्रत्येक परिवार रोजाना एक रुपिया डाबला तालाब निमित्त करे। उन्होंने अकदड़ा के 600 बीघा ओरण भूमि को विदेशी किंकर(बबूल) की जगह देशी पौधे व धामन घास लगाकर पर्यावरण व पशु संरक्षण के लिए उपयोग लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि "जठे जाळ, बठे जसनाथ" इस धरती को बचाने के लिए जसनाथ जी के 36 नियमों की पालना करनी चाहिए। हर व्यक्ति को 36-36 जाळ व खेजड़ी के पेड़ लगाने चाहिए।
इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo Jalam Jat सर ने अपने उद्बोधन में बताया कि जसनाथ जी के 36 नियमों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में ही बताया गया है, हर व्यक्ति को प्रत्येक साल कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
 ज्याणी सर ने कार्यक्रम में पधारे सभी लोगों को पीलू व सहजन के बीज भेंट कर,अधिक से अधिक पौधारोपण को कहा।
 आज इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo जालमसिंह सारण, अकदड़ा सरपंच प्रतिनिधि Hemant Kumar , Gunesh Hudda ,मगाराम हुड्डा, Prem Singh Hudda ,देवाराम ,उदयराज, Kheta Ram Jangid , Moti Ram Jat , नरपतराम जाँगिड़ भारतीय पनावङा ,आसुराम,रामलाल हुड्डा,जसराज गोदारा,नरेश गोदारा,महेंद्र हुड्डा,तुलसाराम हुड्डा सहित अनेक लोग उपस्थित हुए।

©Narpat Ram #fullmoon
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Narpat Ram

"भटकते राही, बिछड़ते सपने"

©Narpat Ram #shaadi
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Narpat Ram

श्रीमान.............…... ......................आप सपरिवार निमन्त्रित है।
मेरे पिताजी श्री राऊराम जी धीर  व  माताजी श्रीमती धाई देवी के द्वारा हरिद्वार तीर्थ करने के उपलक्ष में गंगाप्रसादी,मिति वैशाख सुदी 12 ने शुक्रवार, तारीख 13/05/2022 ,सुबह 9:00 से आपके आगमन तक । इस अवसर पर आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है,जरूर-जरूर पधारना सा।
प्रेषक-जोगाराम धीर,नरपतराम धीर,अचलाराम धीर
निवास-लाभुओणी सुथारों की ढाणी,प्रेमनगर(पनावड़ा),बायतु, बाड़मेर।
सम्पर्क सूत्र- 7875000732,9828450535,9829868721

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