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mirzabilalbaig4086
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MIRZA BILAL BAIG

हर बक्त मलंग-फकीरा का। कभी इश्क किया, कभी मांग लिया।। जो मिल गया, सो प्यार ही क्या। जो इश्क किया, तो हार गया।।

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MIRZA BILAL BAIG

बड़ी ज़हमत हुई ,यहाँ तक के आने में
एक तबील सफ़र को आसान बताने में॥
कुछ बख्त तो लूँगा बर्दाश्त के लिए,
कुछ बख्त तो लगेगा, तुम्हे गैर बताने में॥


छाले फूटे हैं, पैरो के, हलक चटका हैं प्यास से, 
हिचकिचाहट हैं, तुम्हें ये बताने में॥
बोहोत, दूर निकल आया हु अपने शहर से,
वक़्त लगेगा, लॉट कर के आने में॥

©MIRZA BILAL BAIG
  #5LinePoetry
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MIRZA BILAL BAIG

कुछ दिनों से बेकार हो चुका हूं मैं।
कुछ दिनों से अखबार हो चुका हूं मैं।।

©MIRZA BILAL BAIG #Hopeless
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MIRZA BILAL BAIG

नफ़्स क़ाबू में आती नहीं बिलाल।
क्या सुनिए, क्या कहिए, क्या लिखिए ।।

©MIRZA BILAL BAIG नफ़्स क़ाबू में आती नहीं बिलाल।
क्या सुनिए, क्या कहिए, क्या लिखिए ।।


#Heartbeat

नफ़्स क़ाबू में आती नहीं बिलाल। क्या सुनिए, क्या कहिए, क्या लिखिए ।। #Heartbeat

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MIRZA BILAL BAIG

"कुछ बख्त लेकर आना, हैं बे-हद जरूरी"


{READ THE CAPTION}

©MIRZA BILAL BAIG क्या? हरदफ़ा ही रहेंगें, युहीं बेख़बर।
कुछ बाकी हैं बातें, कुछ अधूरे हैं सफर॥
की लौटकर के आओ, जल्दी में जाने वाले।
अब दवाएं भी हो-रही हैं बे-असर॥

हसरतें हैं इतनी, क्या करदोगे पूरी?
कुछ बख्त लेकर आना, हैं बे-हद जरूरी॥
हड़बड़ी में केहना, तो मुमकिन नहीं हैं।

क्या? हरदफ़ा ही रहेंगें, युहीं बेख़बर। कुछ बाकी हैं बातें, कुछ अधूरे हैं सफर॥ की लौटकर के आओ, जल्दी में जाने वाले। अब दवाएं भी हो-रही हैं बे-असर॥ हसरतें हैं इतनी, क्या करदोगे पूरी? कुछ बख्त लेकर आना, हैं बे-हद जरूरी॥ हड़बड़ी में केहना, तो मुमकिन नहीं हैं। #Time #poem #Shayari #nojotohindi #nojotourdu

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MIRZA BILAL BAIG

कुछ ग़फ़लत हैं, मालूम मौसिक़ी,
ये रोते को फन कराती हैं।।

©MIRZA BILAL BAIG #Nojoto #Quote
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MIRZA BILAL BAIG

मयकदा (शराब घर)
सिद्दत से निकले हैं, जाना हैं मयकदा।
एक अरसा गुज़ारा हैं, साकी के बिना।।
आदतें हैं, तौबा! छुड़ाए ना छुटी।
उसके घर को पुकारा हैं, मयकदा।।

ये माना हैं हमने, तो मुमकिन हुआ।
ग़ुबार मेरे दिल का, के कुछ कम हुआ।।
तू रूठा नहीं था, मुझसे ए साकी।
बस, भुलानी थी तुझको, वहाँ राहे मयकदा।।

यादों में तेरी, कुछ बेहद ही पीली।
ठाना था भूलेंगे, हम भी मयकदा।।
छोड़ो ये बातें, छोड़ो पुरानी भी।
क्या मुमकिन हैं, एक जाम, आख़री दफा।।
 

अब ना रूठो, के बात बस एक जाम की हैं।
मानलो हमारी, ये जाम आखरी हैं।।
फिर सब कुछ, भुलादेंगें बारे तुम्हारे।
वहाँ बातें, वहॉं यादें, और, वहाँ मयकदा।।

©MIRZA BILAL BAIG मयकदा (शराब घर)
सिद्दत से निकले हैं, जाना हैं मयकदा।
एक अरसा गुज़ारा हैं, साकी के बिना।।
आदतें हैं, तौबा! छुड़ाए ना छुटी।
उसके घर को पुकारा हैं, मयकदा।।

ये माना हैं हमने, तो मुमकिन हुआ।
ग़ुबार मेरे दिल का, के कुछ कम हुआ।।

मयकदा (शराब घर) सिद्दत से निकले हैं, जाना हैं मयकदा। एक अरसा गुज़ारा हैं, साकी के बिना।। आदतें हैं, तौबा! छुड़ाए ना छुटी। उसके घर को पुकारा हैं, मयकदा।। ये माना हैं हमने, तो मुमकिन हुआ। ग़ुबार मेरे दिल का, के कुछ कम हुआ।।

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MIRZA BILAL BAIG

" MAIN JANNA CHAHATA HU"

*read caption*

©MIRZA BILAL BAIG Ye kahaniya ye kavitaye darasal hain kya? ye jazbaat hain ?
ya mehz Kafiyo ka khle hain!
Ye makta-makta milane se banti hain?
ya hruf dr hruf sili jati hain
Jazbaat ke dhago se,

Aakhirkar ye likhi kese jati hain?
Soch kr,ya fir...bs kalm behti chali jati hain kagz pr jese tez majhdhar main kinaro ki mitti behejati hain…

Ye kahaniya ye kavitaye darasal hain kya? ye jazbaat hain ? ya mehz Kafiyo ka khle hain! Ye makta-makta milane se banti hain? ya hruf dr hruf sili jati hain Jazbaat ke dhago se, Aakhirkar ye likhi kese jati hain? Soch kr,ya fir...bs kalm behti chali jati hain kagz pr jese tez majhdhar main kinaro ki mitti behejati hain… #Poetry #Thoughts #reading #poem #cigarette #Tranding #nojatohindi #nojohindi

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MIRZA BILAL BAIG

लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर,
कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता।

पसरा हैं सन्नाटा, इस कदर गलियो में,
हल्का शोर भी वारदात से कम नही लगता।

कुछ खाकी हैं, तो कुछ हाकिम हैं,
कुछ बेमतलब के बकील भी!

कुछ भूखे हैं रात के,
रात दस्तरखां पर,अब खाना नही लगता।

ये कशमकश हैं कैसी, में समझा नही यारो?
नेता जी के शहर में कभी कर्फ्यू नही लगता,

महफिले लगती हैं आये दिन,आये दिन मैले उछलते हैं।
फिर सरेआम मुकरने में बक्त नही
लगता।।


मैं कहु तो सुनते हो क्या?
चुप रहू तो कहते हो, मिर्ज़ा बात नही करता।।

लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर,
कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता।।

©MIRZA BILAL BAIG read caption,👇👇👇

लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर,
कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता।

पसरा हैं सन्नाटा, इस कदर गलियो में,
हल्का शोर भी वारदात से कम नही लगता।

read caption,👇👇👇 लगाते हैं रंग! तोहमतों के हज़ार मुझ पर, कहते हैं ढंग, बेरंग तेरा अच्छा नही लगता। पसरा हैं सन्नाटा, इस कदर गलियो में, हल्का शोर भी वारदात से कम नही लगता। #Poetry #Shayari #corona #covid19 #covidindia #lockdown3 #NoMoreCorona

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MIRZA BILAL BAIG

हर बक्त मलंग-फकीरा का।
कभी इश्क किया, कभी मांग लिया।।

जो मिल गया, सो प्यार ही क्या।
जो इश्क किया, तो हार गया।।

©MIRZA BILAL BAIG हर बक्त मलंग-फकीरा का।
कभी इश्क किया, कभी मांग लिया।।

जो मिल गया, सो प्यार ही क्या।
जो इश्क किया, तो हार गया।।

#leaf #no #Nojoto #Love #NoMoreCorona #maa #Love #poem #Ne #Poet

हर बक्त मलंग-फकीरा का। कभी इश्क किया, कभी मांग लिया।। जो मिल गया, सो प्यार ही क्या। जो इश्क किया, तो हार गया।। #leaf #no #Love #NoMoreCorona #maa #Love #poem #Ne #Poet

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MIRZA BILAL BAIG

#poetryunplugged 

#Laxmii  @Aman_Aryan_800.(royals) Ritika Singh pooja negi# Harinder Gill Sumit alone

#poetryunplugged #Laxmii @Aman_Aryan_800.(royals) Ritika Singh pooja negi# Harinder Gill Sumit alone #शायरी

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