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muqeemuddin1635
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Muqeem Uddin

घने अंधेरों में होना बहुत उजाला नहीं अच्छा कम गहराई पे पानी ठहरने वाला नहीं अच्छा उठो जागो और मुक़ीम ज़हन से भी काम लो मुहब्बत में दिल का इतना दिवाला नहीं अच्छा

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Muqeem Uddin

रह गए बात अपनी बताते बताते उसको 
दर्द वो ही सुना गयी हम क्या सुनाते उसको 
वो बोलती रही और मैं सुनता ही रह गया 
वो तो मज़लूम थी और क्या सताते उसको

©Muqeem Uddin
  #kavita #nazm #Poetry
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Muqeem Uddin

मुश्किल घड़ी ही सही उसको आसान तो कर

पहले तू खिल खिला के एक मुस्कान तो कर

और मिलेगी नहीं मंज़िल तू ऐसा क्यों सोचे है

पहले तू यहां अपने आप को नाकाम तो कर 

मुक़ीम बिजनौरी

©Muqeem Uddin
  #shayari #kavita #nojota
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Muqeem Uddin

#Shayari #Poetry #kavita #Nojoto

Shayari Poetry #kavita #शायरी

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Muqeem Uddin

कभी भीड़ में तो कभी तन्हाई में खोया हूँ मैं
तुम्हें नहीं मालूम बिन आँसू कितना रोया हूँ मैं


है गर तुमको मेरी क़िस्मत पे हैरानी तो सुन लो
फ़क़त वही काट रहा हूँ जो माज़ी में बोया हूँ मैं


तुम नहीं मगर जानां तुम्हारी यादें तो हैं मेरे पास
इसकी निस्बत कितनी शबों से कहाँ सोया हूँ मैं


ज़बीं पे तुम्हारी जो लाल सितारा देखा था मैंने
होकर तुम्हारा अपना भी फिर कहाँ होया हूँ मैं


तेरी ख़ामोशी तेरे किरदार से अलग है लेकिन
सब बोझ ग़मों के मगर अकेले ही ढोया हूँ मैं


सियाह दाग़ जो दिल में तेरी ओर से आया था
उस दाग़ को कितनी मशक़्क़तों से धोया हूँ मैं


एक तेरे चाहने की चाह में क्या क्या नहीं हुआ
कभी काश, कभी मगर तो हाँ कभी गोया हूँ मैं


मुक़ीम बिजनौरी

©Muqeem Uddin
  #Poet #Shayari #Nojoto

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Muqeem Uddin

कौन कौन छुप के बैठा है मेरे अंदर में
मैं आसमां की सैर को गया समंदर में

ये ज़माना एक नए मोड़ पे ठहर गया 
मैं वली को ढूंढता रहा बस क़लंदर  में 

मुझे बताया के क़ातिल कोई दुश्मन है 
मैं उसे ढूंढ़ता रहा अपनो के खंजर में 

मुक़ीम बिजनौरी

©Muqeem Uddin
  #Poet #Shayar #poem
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Muqeem Uddin

#Poet #Poetry #kavita #nazm
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Muqeem Uddin

#LoveInstrumental #Shayar #Poet #kavita #nojohindi
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Muqeem Uddin

तू रहा नहीं तेरे होने का तो बस नाज़ था मुझको

कभी हुई नहीं ,चाहतों का इम्तियाज़ था मुझको

बात करेगा मगर करेगा भी तो ज़रूरत से अपनी

उस शख्श का बस रास यही अंदाज़ था मुझको


मुक़ीम बिजनौरी

©Muqeem Uddin
  #Shayar #poem
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Muqeem Uddin

दर्द ए दिल का बताओ अब क्या करे कोई
दर्द ही को बेहद की हद तक सहा करे कोई


सोचता हूँ काटूंगा मैं भी ज़िंदगी किश्तों में
मेरे बग़ैर जब अपने में मस्त रहा करे कोई

सज़ा काटने को तो हम तैयार हैं मगर शर्त ये है
पहले तो मगर अपने गुनाहों का घड़ा भरे कोई


हम पे इल्ज़ाम ए बेवफ़ा है सो हमने पी लिया
बात तब बने जब इस बेवफा से वफ़ा करे कोई


रस्ता भटकने की हद है अब के उस हद तक
मुक़ीम के हक़ में भी तो अब दुआ करे कोई


मुक़ीम बिजनौरी

©Muqeem Uddin
  #Shayari #nojotohindi #Poet
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Muqeem Uddin

तेरा मुझको अपना कहना अच्छी अदा है 
बातें करना फिर चुप रहना अच्छी अदा है


वैसे तो हम भी क़ायल नहीं उस ज़ालिम के 
एक हद तक ज़ुल्म को सहना अच्छी अदा है 


दांतो में होंठ, झुकी नज़रे बालों में उंगली फिर
कैसे हो कहना उफ्फ ये गहना, अच्छी अदा है


लड़ गयी उसके लिये यूँ तो ज़माने भर से मगर
मेरे लिए ? हवा के साथ बहना अच्छी अदा है 


muqeem bijnauri

©Muqeem Uddin
  #Nojoto #Shayar #Poetry #kavita
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