मैं वह कली हूं... जो कभी मुरझाती नहीं ....! केवल... खुदा के अलावा.... कहीं सर झुकता नहीं....! भिड़ जाती हूं... दुनिया के खरपतवारों से...! बेवजह... किसी को सर पर बिठाती नहीं...! मैं वह काली हूं... जो कभी मुरझाती नहीं...! © Dr Pratibha 'Mahi'
Dr. Partibha 'Mahi'