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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मैं किसी शाम चला जाऊंगा मंज़र से लोग बहल जाएंगे कुछ रोज़ परेशां हो कर!! ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS मैं किसी शाम चला जाऊंगा मंज़र से लोग बहल जाएंगे कुछ रोज़ परेशां हो कर!!
HintsOfHeart.
"तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है फिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है"¹ ©HintsOfHeart. 1.कैफ़ भोपाली
Saani
दीवाना अब मुझको बना देती है आँखें। हर ग़म को मेरे तो भुला देती है आँखें ।। है बात सच ये अब तुमने देखा तो होगा। खुशी है कि ग़म ये बता देती हैं आँखें।। अजब मंज़र है मेरे दिल की दुनिया में। छलक कर सबकुछ जता देती हैं आँखें।। मिले न नज़र अब ये किसी महजबीं से। पलके झुका कर बचा लेती हैं आँखें।। "सानी"दूर होती नहीं उसकी सूरत मुझसे। यादों में मुझको खींच लेती हैं आँखें।। (Md Shaukat Ali "Saani") ©Saani दीवाना अब मुझको बना देती है आँखें। हर ग़म को मेरे तो भुला देती है आँखें ।। है बात सच ये अब तुमने देखा तो होगा। खुशी है कि ग़म ये बता
Shaarang Deepak
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
बात से बात की गहराई चली जाती है झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है। रात भर जागते रहने का अमल ठीक नहीं चाँद के इश्क़ में बीनाई चली जाती है। मैंने इस शहर को देखा भी नहीं जी भर के और तबीयत है कि घबराई चली जाती है। कुछ दिनों के लिए मंज़र से अगर हट जाओ ज़िंदगी भर की शनासाई चली जाती है। प्यार के गीत हवाओं में सुने जाते हैं दफ़ बजाती हुई रूस्वाई चली जाती है। छप से गिरती है कोई चीज़ रूके पानी में दूर तक फटती हुई काई चली जाती है। मस्त करती है मुझे अपने लहू की खुश्बू ज़ख़्म सब खोल के पुरवाई चली जाती है। दर-ओ दीवार पे चेहरे से उभर आते हैं जिस्म बनती हुई तन्हाई चली जाती है।। ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #Exploration बात से बात की गहराई चली जाती है झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है। रात भर जागते रहने का अमल ठीक नहीं चाँद के इश्क़ में बीनाई चल
Shaarang Deepak
#NojotoVideoUpload मुफ़िलिसी (Mufilisi) Shayari/ Ghazal/ Poem by Qaisar-ul-Jafri (क़ैसर उल जाफ़री) || SOHBAT उजड़ी हुई बहार का मंज़र भी ले गई आँधी चली तो गाँव
Kushal - कुशल
राधे राधे •हे ईश्वर • तेरी इस दुनिया का ये मंज़र क्यों है.... कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है... सुना है तू हर ज़रे में है रहता, फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है... जब रहने वाले दुनियां के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है.. तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, कोई मुक़द्दर का सिक्कंदर क्यों है..!! 💯✍️✍️✍️👍 ©Kushal #•हे ईश्वर • तेरी इस दुनिया का ये मंज़र क्यों है.... कहीं अपनापन तो कहीं पीठ में खंजर क्यों है... सुना है तू हर ज़रे में है रहता, फिर ज़म
Anjali Singhal