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Manohari hari
definition and facts -encyclopedia brittanicca ©Manohari hari #Pattiyan wikipedia
jayanti
करम झारखण्ड, बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख त्यौहार है। मुख्य रूप से यह त्यौहार भादो (लगभग सितम्बर) मास की एकादशी के दिन और कुछेक स्थानों पर उसी के आसपास मनाया जाता है। इस मौके पर लोग प्रकृति की पूजा कर अच्छे फसल की कामना करते हैं, साथ ही बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। करम पर झारखंड के लोग ढोल और मांदर की थाप पर झूमते-गाते हैं। चित्र:Karam festival celebration in Jharkhand.jpg झारखण्ड में करमा उत्सव करम त्यवहार में एक विशेष नृत्य किया जाता है जिसे करम नाच कहते हैं । यह पर्व हिन्दू पंचांग के भादों मास की एकादशी को झारखण्ड, छत्तीसगढ़, सहित देश विदेश में पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास के पश्चात करमवृक्ष का या उसके शाखा को घर के आंगन में रोपित करते हैं और दूसरे दिन कुल देवी-देवता को नवान्न (नया अन्न) देकर ही उसका उपभोग शुरू होता है। करम नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच-गाकर मनाया जाता है। करम नृत्य छत्तीसगढ़ और झारखण्ड की लोक-संस्कृति का पर्याय भी है। छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के आदिवासी और ग़ैर-आदिवासी सभी इसे लोक मांगलिक नृत्य मानते हैं। करम पूजा नृत्य, सतपुड़ा और विंध्य की पर्वत श्रेणियों के बीच सुदूर गावों में विशेष प्रचलित है। शहडोल, मंडला के गोंड और बैगा एवं बालाघाट और सिवनी के कोरकू तथा परधान जातियाँ करम के ही कई रूपों को आधार बना कर नाचती हैं। बैगा कर्मा, गोंड़ करम और भुंइयाँ कर्मा आदि वासीय नृत्य माना जाता है। छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य में ‘करमसेनी देवी’ का अवतार गोंड के घर में हुआ ऐसा माना गया है, एक अन्य गीत में घसिया के घर में माना गया है। यह दिन इनके लिए प्रकृति की पूजा का है। ऐसे में ये सभी उल्लास से भरे होते हैं। परम्परा के मुताबिक, खेतों में बोई गई फसलें बर्बाद न हों, इसलिए प्रकृति की पूजा की जाती है। इस मौके पर एक बर्तन में बालू भरकर उसे बहुत ही कलात्मक तरीके से सजाया जाता है। पर्व शुरू होने के कुछ दिनों पहले उसमें जौ डाल दिए जाते हैं, इसे 'जावा' कहा जाता है। बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इनके भाई 'करम' वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन या खेतों में गाड़ते हैं। इसे वे प्रकृति के आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद वे इस डाल को पूरे धार्मिक रीति से तालाब, पोखर, नदी आदि में विसर्जित कर देते हैं। उपवास करम की मनौती मानने वाले दिन भर उपवास रख कर अपने सगे-सम्बंधियों व अड़ोस पड़ोसियों को निमंत्रण देता है तथा शाम को करम वृक्ष की पूजा कर टँगिये कुल्हारी के एक ही वार से कर्मा वृक्ष के डाल को काटा दिया जाता है और उसे ज़मीन पर गिरने नहीं दिया जाता। तदोपरांत उस डाल को अखरा में गाड़कर स्त्री-पुरुष बच्चे रात भर नृत्य करते हुए उत्सव मानते हैं और सुबह पास के किसी नदी में विसर्जित कर दिया जाता हैं। इस अवसर पर एक विशेष गीत भी गाये जाते हैं- उठ उठ करमसेनी, पाही गिस विहान हो।चल चल जाबो अब गंगा असनांद हो।। करम गीतसंपादित करें करम गीत एंव करमा नृत्य मनोरंजन के गीत-नृत्य हैं। बारिश शुरु होने के साथ करम गीत गाये जाने लगते है और फसल के कट जाने तक गाये जाते हैं। करम गीत में बड़े सुन्दर सम्बोधन का प्रयोग होता है। एक-दूसरे का नाम न लेकर बड़े प्यार से किन्हीं और शब्दों से सम्बोधन करते हैं। जैसे प्यार भरा संबोधन है - "गोलेंदा जोड़ा" । निम्नलिखित गीत में इसका प्रयोग बड़े सुन्दर तरीके से किया गया है- करम गीत गाते समय मांदर बजाया जाता है। मांदर सुनकर गाँव के सभी लोग दौड़कर चले आते है और नाचने लगते है। करम गीत और नृत्य जिस जगह पर होती है उसे "अंखरा" कहते है। ©jayanti karma wikipedia #sunrays
Hira Vajahat
*It is not lawful to travel to any other place by way of pilgrimage or with the INTENTION of gaining REWARD except the House of Allah,the masjid of Aqsa and the masjid of the Messenger of Allah. Abu Saeed Khudri (R.A) reported Allah's Messenger as saying:"Do not saddle your camels(set out on journey) but for three Masjids.The sacred masjid of Kaaba,the sacred masjid of Aqsa and this masjid of mine.(Bukhari). #Masjid