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Ravi Sharma
अब जो हम चलते हैं तो, तुम कारवां देखना हर हाथ में होगी मसाले तुम उजाला देखना नभ ढका होगा हमारे पांव की धूली से अब आंख में अंगारों की जलती तुम आभा देखना मंजिलों को है गुरूर अपनी बुलंदी का रवि अब रवानी ए सफ़र का तुम तो माद्दा देखना है हमारी हसरतों में चांद तारे जब्त सारे होगा मुठ्ठी में हमारे, तुम ज़माना देखना।। ।। रवि ।। ©Ravi Sharma अब जो हम चलते हैं तो, तुम कारवां देखना हर हाथ में होगी मसाले तुम उजाला देखना नभ ढका होगा हमारे पांव की धूली से अब आंख में अंगारों की जलती त
अब जो हम चलते हैं तो, तुम कारवां देखना हर हाथ में होगी मसाले तुम उजाला देखना नभ ढका होगा हमारे पांव की धूली से अब आंख में अंगारों की जलती त #शायरी
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
बोटी लेकर मुझे,तुझको बकरा देना पड़ा, तेरी इमदाद का यहां तक हिसाब देना पड़ा//१ रसुकात में कुछ तो जहर घुलना था लाज़िम, तेरी साजिशों को कुछ तो दोआब देना पड़ा//२ मेरे सब्र का इससे ज्यादा क्या इम्तेहान होगा, के बेईमानो को मुझे दोबारा हिसाब देना पड़ा//३ हरेक अफ़राद ए दश्त में,थे जहरीले खंजर, मुझे हरे अफ़राद को कोई न कोई ख़िताब देना पड़ा//४ कमदिल,कमजर्फ, सरकाश का इतना दबाव था,के किसी का हिस्सा,किसी और को जनाब देना पड़ा//५ "शमा"कहा तक रखती जब्त का माद्दा,बतोरे सुखन मे बददयानतो को जवाब देना पड़ा//६ #shamawritesBebaa ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #raindrops #nojoto बोटी लेकर मुझे,तुझको बकरा देना पड़ा,तेरी इमदाद का यहां तक हिसाब देना पड़ा//१ रसुकात में कुछ तो जहर घुलना था लाज़िम,तेरी स
#raindrops nojoto बोटी लेकर मुझे,तुझको बकरा देना पड़ा,तेरी इमदाद का यहां तक हिसाब देना पड़ा//१ रसुकात में कुछ तो जहर घुलना था लाज़िम,तेरी स #Live #Trending #shamawritesBebaak
read moreDivya Joshi
नदिया किनारे: जीवनशाला हाँ!!! मैं भी बैठना चाहती हूँ नदिया किनारे। महसूस करने नदी की गाथा, उसके दुःख, दर्द। उसकी खुशियों उसके संघर्षों को #creativewriting #hindiwriting #ज़िन्दगी #blogger #hindistory #divyajoshi #lekhaniblog #smallwondersaanvi #djblogger #eklekhanimeribhi #abhivyaktidj
read moreDivya Joshi
कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्यक्ति छीनी है। उन्मुक्तताएँ लील गया ये। इस वक़्त ने हँसी छीनी है। इसने आत्मविश्वास छीना है। बुद्धिमत्ता से लेकर स्मरण शक्ति जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता थी, वो भी छीन ली। इसने जो रिक्तियां भरी हैं, कभी मिट नहीं पाएंगी। मैं जो लिखना चाहती थी वे शब्द, वे भाव इसने छीने और भर दी गहरी नीरसता, उदासी और अनिश्चितताएं। पर हाँ! इतनी नकारात्मकताओं के बावजूद इस वक्त ने मुझमें जो साहस पैदा किया उसके लिए इसकी आभारी हूँ। समर्पण का भाव मुझमें शुरू से रहा, लेकिन इस वक़्त ने मुझमें बसे उस समर्पण भाव को दुगुना किया। इसने रिश्तों की अहमियत बताई और अपने पराए का बोध कराया। इसी वक्त ने बताया कि मैं उतनी कमज़ोर नहीं हूँ, जितना मैं खुद को समझती हूँ। बल्कि हर आँसूं को पोंछ कर चट्टान की तरह हर मुसीबत के सामने खड़े रह जाने की काबिलियत भी है मुझमें। ये वक्त ही है जिसने मुझे बताया कि जितना...... नीचे कैप्शन में पढ़ें... ©Divya Joshi #Time मनकही: एहसान वक्त के कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्य