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Shivkumar barman
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ ©Shivkumar barman मैं जब जब तुम्हे #सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये #पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और #खामोसी बन जाते हैं फ
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और खामोसी बन जाते हैं फ
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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
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White तमाम कोशिशों पर पानी फिर जाता है, फिरता है जब मन, सब कुछ ठहर जाता है। ये वक़्त को जाने क्या ही जल्दी रहती, थोड़ा वक़्त भी एक पल में गुजर जाता है। कहता हूँ कितना कुछ ख़ुद से हर रोज़, सोचते-सोचते कितना वक्त निकल जाता है। सोचा था कभी तो आएगी याद उन्हें भी, बस याद करते-करते हर वक़्त गुजर जाता है। वक़्त के सामने सब ठहर सा जाता है, जितना चाहूं, फिर भी निकल जाता है। हमेशा यादें रहें, मगर कमज़ोरी सी, गुज़रा हुआ वक्त सब कुछ बदल जाता है। याद के साथ आंसू पलकों पर ठहर जाते हैं, वक़्त को शायद सब कुछ बदलना होता है, कोशिशें खत्म नहीं होती उसे पाने की, वक़्त को बेवक्त होने से भी प्यार मर जाता है। तमाम कोशिशों पर पानी फिर जाता है, फिरता है जब मन, सब कुछ ठहर जाता है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night तमाम कोशिशों पर पानी फिर जाता है, फिरता है जब मन, सब कुछ ठहर जाता है। ये वक़्त को जाने क्या ही जल्दी रहती, थोड़ा वक़्त भी एक पल
#good_night तमाम कोशिशों पर पानी फिर जाता है, फिरता है जब मन, सब कुछ ठहर जाता है। ये वक़्त को जाने क्या ही जल्दी रहती, थोड़ा वक़्त भी एक पल
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White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं, कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं, तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए, कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी सपनों को बहार मिली, कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं, कभी दिलों पे ग़मों के छाए। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी खुशियों का झरना बहा, कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। कभी सर्द हवाओं में आग जली, कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा
#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहा
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Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
read moreनवनीत ठाकुर
तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा दर्द, तो और किससे वफा करूं। जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में, उन्हें कैसे रिहा करूं। जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र, अब उनका क्या सिलसिला करूं। तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी, तो शिकायत किससे भला करूं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द
#नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, कुछ नहीं बचता कोई अंज़ाम हो जाने के बा'द। रूह में जलती रहीं यादों की परछाइयाँ, और ख़ाली हो गया पैग़ाम हो जाने के बा'द। एक मंज़र है अधूरे चाँद सा दिल में कहीं, और गहरा हो गया अंधेरा तमाम हो जाने के बा'द। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, क
#नवनीतठाकुर ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, क
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