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!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
Shashi Jha
मैं तेरी साड़ी का पिन होना चाहता हूँ , टंकने से पहले, होंठों में दबना चाहता हूँ..
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मैं तेरी साड़ी का पिन होना चाहता हूँ, टंकने से पहले, होंठों में दबना चाहता हूँ. मैं तेरी साड़ी का पिन होना चाहता हूँ, टंकने से पहले, होंठों में दबना चाहता हूँ.
Prakash writer05
मैं तेरी साड़ी का पिन होना चाहता हूँ, लगने से पहले होंठो से दबना चाहता हूँ 😍 ©Prakash writer05 मैं तेरी साड़ी का पिन होना चाहता हूँ, लगने से पहले होंठो से दबना चाहता हूँ 😊😍😘
Randhir Singh Gill
सुसि ग़ाफ़िल
कितने सारे फ़र्ज़ फ़र्ज़ फ़र्ज़ के नीचे दबना है मुझे मैं जानता हूं क़र्ज़ क़र्ज़ क़र्ज़ के नीचे मरना है मुझे कितने सारे फ़र्ज़ फ़र्ज़ फ़र्ज़ के नीचे दबना है मुझे मैं जानता हूं क़र्ज़ क़र्ज़ क़र्ज़ के नीचे मरना है मुझे
gudiya
शोर बाज़ार का कुछ यूँ है कि आवाजें इश्क़ की दबना जारी है अब नहीं बनाये जाते सम्बंध फक़त व्यापारिकता जारी है खोज नौकरी सरकारी का लड़का और गोरी- चिट्टी नारी है सधा- धजा इक भीड़ बाराती और आडम्बर भारी है । ©gudiya शोर बाज़ार का कुछ यूँ है कि आवाजें इश्क़ की दबना जारी है अब नहीं बनाये जाते सम्बंध फक़त व्यापारिकता जारी है खोज नौकरी सरकारी का लड़का और गोरी
alex akash
ख़्वाबों को थोड़ा बदलना होगा, ऐ मेरे चाहने वालों अब मुझे मरना होगा, ख्वाहिशों का गला घोटना होगा, ज़िम्मेदारियों के बोझ नीचे मुझे भी अब दबना होगा, दिल सहम जाएं रूह भी कॉप उठे, पर कदम एक मज़बूरी का चलना होगा, जिसने दिया सब कुछ मुझे, उसके ख़्वाबों को भी राहों तक लाना होगा, मैं मुसाफिर बना हूं तो, फिर एक द़फा मुझे लौट कर यहीं आना होगा। ख़्वाबों को थोड़ा बदलना होगा, ऐ मेरे चाहने वालों अब मुझे मरना होगा, ख्वाहिशों का गला घोटना होगा, ज़िम्मेदारियों के बोझ नीचे मुझे भी अब दबना
रिंकी✍️
अक़सर साड़ी को बांधती कमर से वो आँचल को जोड़ती है एक छोटी सी आलपिन से कंधे से टिकाकर उस छोटी सी आलपिन को पसन्द है तेरे समेटे हुए आँचल में छुपना चुभ जाती है कभी कभी तुझे तेरी नादानियों की बजह से तुझे नही उस आलपिन को दर्द होता है सुनकर तेरा सिसकना उसे पसन्द है तेरे कांधे से लगकर टिकना अक़सर वो इंतजार करती है हर दिन , शाम का जब कुछ पल निकाल कर तू खुद को सजाती है उस दराज़ में से बड़े प्यार से निकाल कर उसे पसन्द हैं। आँचल का कंधे से टिकने से पहले उन ओष्ठ के बीच चमकती सफ़ेद मोतियों से दबना ✍🏻रिंकी अक़सर साड़ी को बांधती कमर से वो आँचल को जोड़ती है एक छोटी सी आलपिन से कंधे से टिकाकर उस छोटी सी आलपिन को पसन्द है तेरे समेटे हुए आँचल में छुपन
अशेष_शून्य
...... उल्टी चप्पल सीधी पहने की कोशिश में पिता के जूते पांव में आने लगे; तो ये आश्चर्य नहीं संकेत है कि