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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
साहब गरीबो के भूखे पेट में भरपेट*तवाम चाहिए, और जनाब अमीर को भी रोगने बादाम चाहिए/१ थालियों में छेद करना कोई इनसे सीख ले,ये लोग कौन है,क्यूं नही इनको लगाम चाहिए//२ चश्म में अश्क लबों पर तबस्सुम चाहिए,दर्द ए हयात में भूख को भी लुकमा ए अराम चाहिए//३ ऐ भूख *शब भर ख्वाब में तारे सजाना,गर तुझको भी *सहर में *शामी_कबाब चाहिए//४ शमा जख्मी पेट_ए_जिगर दिखा देगी मगर पास में *हकीम रहे तो साथ में हाकम भी चाहिए//५ shamawritesBebaak ✍️ ©shama writes Bebaak साहब गरीबो के भूखे पेट में भरपेट*तवाम चाहिए,और जनाब अमीर को भी रोगने बादाम चाहिए/१*खाना थालियों में छेद करना कोई इनसे सीख ले,ये लोग कौन है,
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
अब बेरोजगारी से बचे है,न बेगारी से हम, बहुत हुए*हरांसा,तेरी महंगाई से हम//१ शरीके हयात समझती है,सब*शिकवे मिट गए,साथ खाने लगे,जबसे,दो*लुक्मे,तेरी राहबरी से हम//२ खुदीसे बोलकर,खुदीको करके सलाम,गुजरे है कई *मर्तबा,तेरी बालकनी से हम//३ हर किसी से नहीं मिलती तबियत अपनी,न वो हंसी से रहे,न रह सके,तेरी खुशी से हम//४ जर,जमी,जोरू,फसाद जो भी हो फरमाइश,अब कर ही डाल,पूरी करवाएंगे तमन्ना,तेरी राठौड़ी से हम//५ शमा"नजर बहुत आती है*जीस्त,लटकी*सलीबो पे न बेरोजगारी मिटी,न पा सके*नजात,तेरी बेगारी से हम/६ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak #Snowfall अब बेरोजगारी से बचे है,न बेगारी से हम,बहुत हुए *हरांसा,तेरी महंगाई से हम//१*हैरान शरीके हयात समझती है, सब*शिकवे मिट गए,साथ खाने ल
Mili Saha
// नई पीढ़ी का विकास हमारा कर्तव्य // बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्तव्य, मान रखना है हमें सदैव, कुदरत के इस विश्वास का, बाल रूप होता है अबोध, निर्दोष सब सरल लगे जिसे, हमें ही तो बोध कराना है उन्हें,नैतिकता के एहसास का, पूर्वजों के आदर्शों, संस्कारों को नई पीढ़ी बोझ ना समझें, इसलिए पल-पल महत्व समझाना है हमें इनके उजास का शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को सिखा सकते हैं जीने की कला, बस आवश्यकता है हमारी शिक्षा प्रणाली में एक नए बदलाव का, शिक्षा का अर्थ केवल किताबों से कुछ ज्ञान प्राप्त कर लेना नहीं है, शिक्षा को साधन बना सकते हैं हम संस्कृति,संस्कारों से जुड़ाव का, शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें पूर्वजों की गाथा से जोड़े रखना है, समाज, देश के लिए हमें आगाज़ करना होगा एक सार्थक प्रयास का, भविष्य की आशा है नई पीढ़ी, इन्हें बचाना, संजोना है हमारा कर्तव्य, समझाना है उन्हें ये चकाचौंध तो बस है पिंजरा, अंधकार के ग्रास का, जीवन में एक नींव का कार्य करते हैं बाल्यकाल में दिए गए संस्कार, समय रहते निर्माण करना होगा हमें चरित्र और सर्वांगीण विकास का, अक्सर कई वजह से नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को स्वीकार नहीं कर पाती, आपसी तालमेल से ही अंत हो पाएगा पीढ़ियों में अंतर के, इस द्वंद का, पुरानी पीढ़ियों को भी बदलते परिवेश की चुनौतियों को समझना होगा, तभी तो एक सुगम मार्ग प्रशस्त हो पाएगा, इस नई पीढ़ी के विकास का, कभी जिद कभी नादानियों का वहन कर उन्हें समझना, समझाना होगा, ताकि आधुनिकता की होड़ में भी, महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का। ©Mili Saha बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्
Anvi kaushik
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma