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brijesh mehta

प्रेम की दशा ही स्वर्गिक दशा है; प्रेम और स्वर्ग अलग-अलग भावनाएँ नहीं हैं। #मंमाधन 🌹 ..

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Pnkj Dixit

विधा 👉 हाइकु हाइकु पंच कविता 🌷 शुभ प्रभात 🌷 रवि पथिक स्वर्गिक अनुभूति क्षितिज यात्रा ।

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विधा 👉 हाइकु
हाइकु पंच कविता

🌷 शुभ प्रभात 🌷

रवि पथिक
स्वर्गिक अनुभूति
क्षितिज यात्रा ।

पृथ्वी संदेश
प्राकृतिक विचार
सुखी भवेत ।

कर्म का लेख
गतिमान समय
नियति खेल ।

निस्तेज मन
कलुषित हृदय
विचारणीय ।

प्रभात बेला 
उदित नारायण
रवि का ठेला ।

१२/०७/२०१८
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' विधा 👉 हाइकु
हाइकु पंच कविता

🌷 शुभ प्रभात 🌷

रवि पथिक
स्वर्गिक अनुभूति
क्षितिज यात्रा ।

Pnkj Dixit

👰🌷💓💝 तुम इतना भी नादान नहीं हो जितना तुम को समझूं मैं पागल प्रेमी आजाद परिंदा मन की चितवन समझूं मैं तुम मृगनयनी गजगामिनी प्रभात कुमुदिनी म

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👰🌷💓💝

तुम इतना भी नादान नहीं हो जितना तुम को समझूं मैं
पागल प्रेमी आजाद परिंदा मन की चितवन समझूं मैं

तुम मृगनयनी गजगामिनी प्रभात कुमुदिनी मनमोहिनी
मन हर्षाती ,हिमकणिका , प्रेम की उत्पत्ति समझूं मैं

तुम प्रेम कपोत, कूकती कोयल, प्रेम मरीचिका
श्वेत हिम शिखर घुमड़ती बदरी प्रेम सागरिका समझूं मैं

प्रियतमा तुम प्राणदायनी हृदयवासिनी जीवन गंगा 
स्वर्गिक सुख मन की मूरत जीवन संगिनी समझूं मैं 

०६/०५/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 👰🌷💓💝

तुम इतना भी नादान नहीं हो जितना तुम को समझूं मैं
पागल प्रेमी आजाद परिंदा मन की चितवन समझूं मैं

तुम मृगनयनी गजगामिनी प्रभात कुमुदिनी म

Pnkj Dixit

👰 प्रीत का गीत 🌷 आँख खोजती है परछाइयों का रूप। सजीव हो उठता है निष्प्राण शरीर। अधर काँपते हैं,फूटते हैं प्रीत के बोल दो आत्माएँ मिलती हैं। #India #Poet #Instagram #Hindi #writer #कविता

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👰 प्रीत का गीत 🌷

आँख खोजती है परछाइयों का रूप।
सजीव हो उठता है निष्प्राण शरीर।
अधर काँपते हैं,फूटते हैं प्रीत के बोल 
दो आत्माएँ मिलती हैं।
सर्वत्र फैलता है ;स्वर्गिक कोहरा।
अदृश्य होकर ;एकीकार आत्मा
गुनगुनाने लगती है प्रीत का गीत -
ओ मन बावरे !ओ स्याम साँवरे!
घुल-मिल जाओ हवा और सुगन्ध की तरह।
पुकारती हूँ - प्रीत की रीत निभाने
आ जाओ मिलने यमुना तट पर 
कदम्ब वृक्ष के नीचे 
मैं भी गगरी लेकर सरपट आ~~ती हूँ ...
“जीवनराग” से
२८/०९/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'

©Pnkj Dixit 👰 प्रीत का गीत 🌷

आँख खोजती है परछाइयों का रूप।
सजीव हो उठता है निष्प्राण शरीर।
अधर काँपते हैं,फूटते हैं प्रीत के बोल 
दो आत्माएँ मिलती हैं।

Pnkj Dixit

🌷जीवन का उद्धार करो 🌷 दर्शन देकर स्वप्न साकार करो । हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।। ओ प्रिय पिय ! दर्शन देकर हृदय में प्रेम की उमं

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🌷जीवन का उद्धार करो 🌷

दर्शन  देकर  स्वप्न साकार करो ।
हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।।

ओ  प्रिय  पिय ! दर्शन  देकर
हृदय  में  प्रेम  की उमंग भरो ।
रंग - बिरंगे स्वप्नों  का  सागर
कमल - नयनों में  तंरग भरो ।।

मन  बन  कोयल   लगे  कूकने
वाणी  में   मधु  प्रेम  रस   भरो ।
हृदय पटल  पर  अंकित होकर
अमिट अमर प्रेम की छाप करो ।।

राधा - कृष्ण  का प्रेम है  निश्छल
बृज  संग   समझ  गया  बलवीर  ।
आत्मिक प्रेम में स्वर्गिक आनन्द
देह त्याग समर्पण फलीभूत करो ।।

दर्शन  देकर  स्वप्न साकार करो ।
हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।।

०९/१०/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷जीवन का उद्धार करो 🌷

दर्शन  देकर  स्वप्न साकार करो ।
हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।।

ओ  प्रिय  पिय ! दर्शन  देकर
हृदय  में  प्रेम  की उमं

Pnkj Dixit

🌷जीवन का उद्धार करो 🌷 दर्शन देकर स्वप्न साकार करो।हे देवी !जीवन का उद्धार करो।। ओ प्रिय पिय ! दर्शन देकर ,हृदय में प्रेम की उमंग भरो। #Instagram #Hindi #poem #writer #कविता #nojotohindi #nojotoapp #melting

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🌷जीवन का उद्धार करो 🌷

दर्शन देकर स्वप्न साकार करो।हे देवी !जीवन का उद्धार करो।।

ओ  प्रिय  पिय ! दर्शन  देकर ,हृदय  में  प्रेम  की उमंग भरो।
रंग - बिरंगे स्वप्नों  का  सागर ,कमल - नयनों में  तंरग भरो।।
मन  बन  कोयल   लगे  कूकने,वाणी  में  मधु  प्रेम  रस भरो।
हृदय पटल पर अंकित होकर,अमिट अमर प्रेम की छाप करो।।
राधा-कृष्ण का प्रेम है निश्छल,बृज संग समझ गया बलवीर।
आत्मिक प्रेम स्वर्गिक आनन्द,देहत्याग समर्पण फलीभूत करो।।
दर्शन देकर स्वप्न साकार करो।हे देवी!जीवन  का उद्धार  करो।।

(“प्रेम अमर है” से)
०९/१०/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'

©Pnkj Dixit 🌷जीवन का उद्धार करो 🌷
दर्शन देकर स्वप्न साकार करो।हे देवी !जीवन का उद्धार करो।।

ओ  प्रिय  पिय ! दर्शन  देकर ,हृदय  में  प्रेम  की उमंग भरो।

Pnkj Dixit

🌷 प्रेम 🌷 " प्रेम समर्पण चाहता है।" "मैं" में "हम" बनकर जीओ । जीवन में स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती रहेगी । शरीर शारीरिक अहसास भी चाहत

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#OpenPoetry 🌷 प्रेम 🌷

" प्रेम समर्पण चाहता है।"

"मैं" में "हम" बनकर जीओ । 
जीवन में स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती रहेगी । 
शरीर शारीरिक अहसास भी चाहता है 
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि शरीर से ही प्रेम हो जाता है
बल्कि प्रेम और अधिक प्रगाढ़ हो जाता है । 
उन  छोटी-छोटी बातों को अनसुना करना पड़ता है 
जो रिश्ते पर चिंगारी का काम करती है। 
अगर मैं आपसे कहूँ कि मुझे आपसे प्रेम हो गया है 
और आपको चाहने लगा हूँ और "पाना" चाहता हूँ ,
तो ये मेरी मूर्खता है .. ।
यदि मुझे आपको "प्राप्त" करना है 
तो मुझे पूर्ण आत्मीयता के साथ आपसे प्रेम करना होगा ।
निस्वार्थ भाव से ...  ताकि आप स्वयं ही मेरे प्रेम में प्रेममय होकर
स्वयं को  मुझे समर्पित कर दे ,बिना किसी हिचकिचाहट के .. ।
वाणी और  मन की कड़वाहटों पर .... पूर्ण विराम ।
प्रेम में अर्द्ध विराम ; ... ताकि फिर से .... प्रेम 


२२/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 प्रेम 🌷

" प्रेम समर्पण चाहता है।"

"मैं" में "हम" बनकर जीओ । 
जीवन में स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती रहेगी । 
शरीर शारीरिक अहसास भी चाहत

Pnkj Dixit

🌷 मन चाहता है 🌷 पूर्ण विराम पर मैं भी विचार लिखूँ मन चाहता है पूर्ण विराम पर अर्द्ध विराम लगा दूँ मन चा

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#OpenPoetry 🌷 मन चाहता है 🌷
पूर्ण विराम पर 
मैं भी विचार लिखूँ 
मन चाहता है
           पूर्ण विराम पर 
           अर्द्ध विराम लगा दूँ
            मन चाहता है 
अरमानों पर 
फूलों का बंध लगा दूँ
मन चाहता है 
           सफर पर 
          मिलन के गीत सुना दूँ
          मन चाहता है 
घुटन पर 
श्वासों की खुशबू बिखरा दूँ
मन चाहता है
            हृदय पर 
            प्रेम का सावन बरसा दूँ
            मन चाहता है 
एकाकीपन पर 
हृदय मिलन की मुहर लगा दूँ
मन चाहता है
           दुनिया पर 
          अमर प्रेम की गाथा कहलवाँ दूँ
           मन चाहता है
स्वप्नों पर 
यथार्थ का भोग लगा दूँ
मन चाहता है 
           जीवन पर 
           स्वर्गिक आनन्द अहसास करा दूँ
           मन चाहता है
जीवनपथ पर 
नवजीवन पथ का श्रंगार करा दूँ
मन चाहता है
            शून्य पर 
            नवजीवन प्रारंभ करा दूँ
            मन चाहता है 
दुःखी मन हृदय पर 
कंवल-प्रेम का लेप करा दूँ
मन चाहता है
          नयनों पर 
          प्रीत की रीत सदा बसा दूँ 
          मन चाहता है
खुशियों पर 
मन मोहिनी का स्पर्श करा दूँ
मन चाहता है
            प्रश्नों पर 
           पूर्ण विराम लगा दूँ
           मन चाहता है ।
२२/०७/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 मन चाहता है 🌷
पूर्ण विराम पर 
मैं भी विचार लिखूँ 
मन चाहता है
           पूर्ण विराम पर 
           अर्द्ध विराम लगा दूँ
            मन चा

Pnkj Dixit

🌷 रोक तो सकते थे 🌷 जीवन एक रंगमंच सबको किरदार निभाना है । जैसे कठपुतली , आंखों की पुतली सुंदरता पर मोहित होती ... वैसे ही एक-दूसरे को हम ल

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🌷 रोक तो सकते थे 🌷
जीवन एक रंगमंच 
सबको किरदार निभाना है ।
जैसे कठपुतली , आंखों की पुतली
सुंदरता पर मोहित होती ...
वैसे ही एक-दूसरे को हम लुभाएं ,,,
साथ जीने मरने की सारी कस्में 
एक दूजे के सपनों को देकर उड़ान
आगाज़ किया करते नवजीवन का
कली कुसुमित होकर सुगंध बिखराती 
हम तुम वैसे हिल-मिल  कर रहते ,,,,,
मगर किस्मत को रास न आई ,
हमारी स्वर्गिक  खुशियां ।
जाति-धर्म कटूता का बीज पनपकर
धीरे - धीरे वटवृक्ष  बनने लगा 
दोनों हृदय को दूर करने का अनकहा छल  
एक - दूसरे से दूर करने लगा ।
आखिर दिन बिछड़ने का आ गया 
दोनों जान समझ रहे , गलत हो रहा
फिर भी नाक किसकी ऊंची है ?
सिर किसके कदमों में झुके ? 
मन की उहापोह में दोनों जुदा हो रहे
मगर निगाहें मुड़ - मुड़ कर देखती रही,,,
दोनों के दिल में बस यही एक सवाल
अगर मैं ग़लत था मेरे सनम 
तो तुमने बताया क्यों नहीं?
आखिर तुमने समझाया क्यों नहीं? 
हम एक-दूसरे के दिल में बसे थे 
तुम्हारा हक था ,  है , 
मगर , आज जाने से पहले 
मुझे तुम रोक तो सकते थे ......
२८ फरवरी २०१०
२१/०६/२०१८
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' 🌷 रोक तो सकते थे 🌷

जीवन एक रंगमंच 
सबको किरदार निभाना है ।
जैसे कठपुतली , आंखों की पुतली
सुंदरता पर मोहित होती ...
वैसे ही एक-दूसरे को हम ल

Pramod Kumar

समोसा प्रकृति ने तीन मौसम बनाये है एक ग्रीष्म ,एक सर्दी और एक बरसात पर इंसान ने बनाई है एक ऐसी चीज , जो तीनो मौसम का अहसास , कराती हो एक #poem #कविता #calm

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