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Shayar Kaleem Raza

#उर्स_मुबारक_ख़्वाजा_ मुईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह

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m.rajasthani

हमें तो अपनो लूटा गैरो में कहा दम था, हमारी चिश्ती थी डुबी जहा पानी कम था #शायरी

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Iɴᴀʏᴀᴛ ᴄʜɪꜱʜᴛɪ

Tʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ - इनायत चिश्ती written by me - musona.... Shambhu Kumar Gupta Subhadra Kumari Nazreen Sadar Anjali Kumari

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मेरी आवारगी का वो ज़माना याद आता है. 
तेरी यादों का वो दिल मे खज़ाना याद आता है. 
तुझे मालूम क्या मेरी मोहब्बत का है क्या आलम
तू जब से बिछड़ा है सारा फ़साना याद आता है।। 



Tʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ - इनायत चिश्ती Tʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ - इनायत चिश्ती 

written by me -  musona.... Shambhu Kumar Gupta Subhadra Kumari Nazreen Sadar Anjali Kumari

CHISHTI FARMAN KHAN

मोहब्बत उसे हम शदीद करते हैं जब जब देखते है ईद करते हैं😊 ✍🏻चिश्ती fk #ishq #story #peotry #shayeri Love #viral #शायरी

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मोहब्बत उसे हम शदीद करते हैं

जब जब देखते है ईद करते हैं😊

©CHISHTI FARMAN KHAN मोहब्बत उसे हम शदीद करते हैं


जब जब देखते है ईद करते हैं😊


✍🏻चिश्ती fk
#ishq #story #peotry #shayeri #Love #viral

Iɴᴀʏᴀᴛ ᴄʜɪꜱʜᴛɪ

Tʜᴇ ᴡʀɪᴛᴇʀ - इनायत चिश्ती voice and written by me..follow me musona.... Shambhu Kumar Gupta Subhadra Kumari Nazreen Sadar Anjali Kumari mus

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vikas Mourey

मैं जानता हूं कुछ लोगों को यह पोस्ट बिल्कुल पसंद नहीं आएगी पर आप मेरा यकीन करें आजकल जो चलन चल रहा है, बस उसी के चलते मैंने यह पोस्ट लिखी है #Shayari

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हो गई मोहब्बत पूरी चलो कपड़े पहनते है।
कल फिर इसी विस्तर पर,बढते नशे के साथ मिलते है।
हवस के शिकारी प्यार के नाम पर जिस्म से खिलवाड करते है,
ओर कहते है बडे शान से  की सुनो इसे प्यार कहते है।
हम भी इस नशे मे ढल जाते है।
ओर उन्हे हम हमारा जिस्म नोच ने का खुद मौका देते है।

©vikas Mourey मैं जानता हूं कुछ लोगों को यह पोस्ट बिल्कुल पसंद नहीं आएगी पर आप मेरा यकीन करें आजकल जो चलन चल रहा है, बस उसी के चलते मैंने यह पोस्ट लिखी है

Zoga Bhagsariya

है उल्फत , मजनू की तरह,हिंदुस्तान से , करूं मुहब्बत ,लैला मानकर ,ईमान से ।। सजदा करता हूं ,ख़ाक "ए"वतन को रोज़ मेरी जन्नत तो यही है , क्या #independenceday2020

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है उल्फत , मजनू की तरह,हिंदुस्तान से ,
करूं मुहब्बत ,लैला मानकर ,ईमान से ।।

सजदा करता हूं ,ख़ाक "ए"वतन को रोज़
मेरी जन्नत तो यही है , क्या लेना जहान से ।।

राम ,सीता , लक्ष्मण ,भरत , श्रवण , सबूरी
हम हुए , मूतासिर ,बजरंग बली ,हनुमान से ।।

कृष्न ,कंस ,प्रहलाद ,अभिमन्यु,पांच पाण्डव ,
हुए मुखातिब यहां , युधिष्ठिर जैसे ,सूझवान से ।।

सूरदास ,कबीर , पलटू ,मीरां , बाई सहजो ,
दादू दीनदयाल ,सभी पले ,यहीं के धान से ।।

इस वतन रहे थे जो, फरीद , खुसरो , औलिया , 
ख़्वाजा चिश्ती पीर को ,सलाम दिलो - जान से ,

बाबा नानक ,रविदास ,गुर अर्जुन देव जी ,और
गुरु गोबिंद सिंह ,जी का नाम लेता हूं ,शान से ।।

नाम  और भी हैं , बेहद् , लिखे ना जाते है ,
अब तारूफ करवाएं, किस किस ,विद्वान से ।।

जोगा ,तो बस चाहता है ,सब मिलकर रहे ,
ना हो मस अला ,कोई ,आरती"ओ"अज़ान से ।।

जोगा , बांस से बांस , लड़कर जंगल ,जले ,
 है  दुआ  कभी ना लड़े  , इंसान ,इंसान से, ।। ।।

जोगा भागसरिया ।।
ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI
KAFIR ZOGA GULAM है उल्फत , मजनू की तरह,हिंदुस्तान से ,
करूं मुहब्बत ,लैला मानकर ,ईमान से ।।

सजदा करता हूं ,ख़ाक "ए"वतन को रोज़
मेरी जन्नत तो यही है , क्या

Kh_Nazim

इतने अच्छे भी नही है हम.. हर बार तुझे माफ कर दु मोहब्बत के हक से इतना अच्छा भी नही हु मैं, अब खड़ा हूं देश हित में तो मृत-भूमि छोड़ तुझे आने #hindikavita #कविता #mohabbat #Watan #khnazim

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इतने अच्छे भी नही है हम..

हर बार तुझे माफ कर दु मोहब्बत के हक से
इतना अच्छा भी नही हु मैं,
अब खड़ा हूं देश हित में 
तो मृत-भूमि छोड़ तुझे आने दु दिल में
इतना अच्छा भी नही हु मैं
मानता हु तू सांसो की जरूरत है मेरी पर
छोड़ अपनी माँ को तुझे बसा लू दिल में
इतना अच्छा भी नही हु मैं
अगर तू ज़िक्र करती अपनी ख़ुशामद का 
तो शायद कर भी लेता फिर जो 
तूने उंगली उठाई मेरे वतन-ए-मक्का पे उसको भुला कर 
माफ कर दु 
इतना अच्छा भी नही हु मैं
जानता है मेरा पूरा कुनबा-ए-यार की
इश्क़-ए-मोहब्बत में तुझे एक गज मिट्टी ले जाने दूं अपने मका से
इतना अच्छा भी नही हूँ मैं
हम भारतीय है , हमारे यह पे "अतिथि देवो भवः"
की रीत वर्षों से है, 
अगर फिर बनके आओगें गजनवी-ए- नकल और इस बार छोड़ दे गए तुमको
तो इतने अच्छे भी नही है हम
मेरे मका में शिव की शक्ति, गॉड-ए-बुद्ध का ज्ञान,
चिश्ती का रंग,गुरु की शिक्षा, कण कण में जीवन, 
जानवरो में मौला का अंश...... 
और इसी कारण 
इतने हटके इतने अच्छे है हम। इतने अच्छे भी नही है हम..

हर बार तुझे माफ कर दु मोहब्बत के हक से
इतना अच्छा भी नही हु मैं,
अब खड़ा हूं देश हित में 
तो मृत-भूमि छोड़ तुझे आने

Gyana Ranjan Sethy

कविता: पहचान मुसलमान होता पाकिस्तान चलागया होता जनाब भारतीय हूँ इसलिए नहीं कि भारत में रहता हूँ इसलिए भी नहीं #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry #muslimhinduitihad #gyanapoetrys

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कविता: पहचान

मुसलमान होता पाकिस्तान  चलागया होता जनाब
भारतीय हूँ इसलिए नहीं  कि भारत में रहता हूँ
इसलिए भी नहीं कि भारत  मादरेवतन है मेरा
इसलिए भी नहीं कि यहाँ की हवा से भरा मेरा सीना
और पानी मेरी रगों में है अनाज धड़कता है
मेरे नन्हें से दिल में ज़ुबान मुझे बनाती है
नेकदिल इन्सान वजह सिर्फ़ एक है
मेरी जड़ें बहुत गहरे धंसी हैं,सोने जैसी इस मिट्टी में
उस मिट्टी में जिसमें बुद्ध महावीर राम कृष्ण 
कबीर मीरां नानक निज़ामुद्दीन चिश्ती
गांधी सुभाष आज़ाद बिस्मिल अशफ़ाक़ भगत राजगुरु
अभी भी सांस लेते हैं,उनके बदन की गर्मी से
पकते हैं अनाज इस मुल्क में हज़रत मैं बोन्साई होता
तो कब का टंग गया होता विदेशी छतों की कुंडी से
पाक परवरदिगार ने बरगद बनाकर भेजा है
तो उसकी लाज  मेरे हाथ ही है ना!
भारतीयता मेरी पहचान है इस्लाम मेरा मज़हब
एक ज़मीन से जुड़ा है दूसरा आसमान से
एक मां है तो दूसरा पिता है और हमारे खानदान में सिंगल पैरेंटिंग नहीं होती
न मैं मां को छोड़ सकता न रह पाऊंगा पिता के बगैर ही
ऐसे में तुम्हें जो समझना है समझो! जो मानना है मानो!
मैं तो ऐसा ही हूँ और ऐसे ही रहूँगा अपनी जड़ों से जुड़ा
आसमान में सिर ताने फिर मिलते हैं
ख़ुदा हाफ़िज़ कविता: पहचान

मुसलमान होता पाकिस्तान  चलागया होता
जनाब
भारतीय हूँ
इसलिए नहीं 
कि भारत में रहता हूँ
इसलिए भी नहीं
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