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Ananta Sneha Gupta
Kuldeep Shrivastava
ॐ अनन्ताय, नम: 🚩अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन कीआप सभी को हृदय से बधाई और शुभ कामनायें सृष्टि के पालनहार भगवान श्री हरी विष्णु जी और प्रथम पूज्य विग्न हर्ता श्री गणेश आप सभी को सुख-समृद्धि, धन-धान्य से परिपूर्ण तथा संकट से मुक्त सुमंगलदायक जीवन प्रदान करें।🚩 ©Kuldeep Shrivastava ॐ अनन्ताय, नम: 🚩अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन कीआप सभी को हृदय से बधाई और शुभ कामनायें
Bhakti Kathayen
Ananta Sneha Gupta
प्रिय डायरी तेरे हर गुफ़्तगू में अब बेअदब हूँ मैं, हाँ अब तेरे हर सवाल पर नि:शब्द हूँ मैं। -अनन्ता स्नेहा गुप्ता तेरे हर गुफ़्तगू में अब बेअदब हूँ मैं, हाँ अब तेरे हर सवाल पर नि:शब्द हूँ मैं। -अनन्ता स्नेहा गुप्ता
Bramhan Ashish Upadhyay
हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । तोहे पुकारन लगे हैं नर नारी अरु सब संता।१। कौन सो पाप कियो है प्रभू जी। जो इतना दुख सब पाय रहे हैं।२। दीनन की आय सहाय करो भगवन । कभो इत, कभो उत धाय रहे हैं।३। हे शंकर भोले नाथ सुनो। अधीर होत जाय रहे हैं।४। देर बहुत हुई जाय रही है । मोसो न रूठो तुम भगवंता।५। हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता। विद्रोही आन पड़ा है चरण तिहारो । चलो तुम मोरे साथ तुरंता ।६। मेरे सर पर अपने हाथ धरो । नन्दीगण को ले साथ बढ़ो ।७ हे कैलाशी सुनो तोहरे बिन। सबको घेरे जाय व्याकुलता ।8। देवन के तुम देव महाप्रभु । काम लोभ मोह अरु विकार के हंता।९। दुष्ट संघारण को शोक निवारण को । चाहे बनो वीरभद्र तुम चाहे बनो तुम हनुमन्ता।१०। हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । #NojotoQuote हे आदि अनादि अखण्ड अनन्ता । तोहे पुकारन लगे हैं नर नारी अरु सब संता।१। कौन सो पाप कियो है प्रभू जी। जो इतना दुख सब पाय रहे हैं।२। दीनन की आय
Mukesh Poonia
मौसमी फलों एवं सब्जियों के रस रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाते हैं गर्मी के मौसम से मिलने वाले फलों-नारंगी, अनन्तास, संतरा, तथा सांजियो-पालक,
vishnu prabhakar singh
माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे दया नमूद कर, तार माते बुद्धि तत्व,कुल सजा माँ दुर्गे विकार रहित सती, साध्वी, आध्या भवमोचनी, भवप्रीता केवल देवी आराध्या जय मातादी जयकार ख्याति देवी अपरंपार देवी कवच,सूक्त दात्री माँ पूरंजनी मोक्ष द्वार माँ दुर्गे गुणवती माया आर्या पाटला,बलप्रदा सत्यास्वरूपी अनन्ता ब्राह्मी ही भजो सर्वदा ॐ दुर्गा देव्यै नमः। माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ ‼️༺꧁ॐ अनन्ताय, नम:꧂༻‼️ अनंत चतुर्दशी की सभी देशवासियों व श्रद्धालुओं को हृदय से बधाई...।सृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्णु जी आप सभी को सुख-समृद्धि, धन-धान्य से परिपूर्ण तथा संकट से मुक्त सुमंगलदायक जीवन प्रदान करें..। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है।इस दिन पूजा के बाद 14 गांठें बनाकर अपने बाजू पर धागा बांधा जाता है।ये 14 गांठें हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भु nवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की प्रतीक हैं..। ‼️༺꧁ जय जय श्री हरि꧂༻‼️ ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ ‼️༺꧁ॐ अनन्ताय, नम:꧂༻‼️ अनंत चतुर्दशी की सभी देशवासियों व श्रद्धालुओं को हृदय से बधाई...।सृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्ण
Vikas Sharma Shivaaya'
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥ प्रभु श्री राम भी अंनत हैं और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है,इसका कोई अंत नही है। बहुत सारे संतो ने प्रभु की कीर्ति का अलग अलग वर्णन किया है*|| जय श्री राम ||* मधुबन खुशबू देता है-सागर सावन देता है-जीना उसका जीना है-जो औरों को जीवन देता है,मधुबन खुशबू देता है... सूरज न बन पाए तो -बन के दीपक जलता चल-फूल मिले या अँगारे-सच की राहों पे चलता चल-प्यार दिलों को देता है-अश्कों को दामन देता है-जीना उसका जीना है-जो औरों को जीवन देता है,मधुबन खुशबू देता है... चलती है लहरा के पवन-के साँस सभी की चलती रहे-लोगों ने त्याग दिये जीवन-के प्रीत दिलों में पलती रहे-दिल वो दिल है जो औरों को अपनी धड़कन देता है-जीना उसका जीना है,-जो औरों को जीवन देता है,मधुबन खुशबू देता है... 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥ प्रभु श्री राम भी अंनत हैं और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है,इसका कोई अंत नही है। बहुत सारे
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ। आत्मज्ञान का ही पर्याय वेद है। 1 वेदवाड्मय-परिचय एवं अपौरुषेयवाद 2 मनुस्मृति में वेद ही श्रुति 3 वेद ईश्वरीय या मानवनिर्मित 4 दर्शनशास्त्र के अनुसार 5 दर्शनशास्त्र का मूल मन्त्र 6 वेद के प्रकार 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ 8 संबंधित लेख श्रुति भगवती बतलाती है कि 'अनन्ता वै वेदा:॥' वेद का अर्थ है ज्ञान। ज्ञान अनन्त है, अत: वेद भी अनन्त हैं। तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- 'ऋग्वेदो यजुर्वेद: सामवेदो ऽथर्ववेद:॥'[5]इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं— उपवेदों के कर्ताओं में 1.आयुर्वेद के कर्ता धन्वन्तरि, 2.धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र, 3.गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और 4.स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं। ©N S Yadav GoldMine #Rajkapoor {Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना