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    LatestPopularVideo

Mannu Barsiwal

माना कैद है तूं मजबुरीयों में,पर कुछ साथ मेरे भी चलती हैं,
तू आज, बैताब है मिलने को, मुझे तेरी कमी हमेशा खलती है।
अब समझा सके तो समझा दिल को मन्नु के ज्यों,,
आज मै मजबूर हूँ, इसमें मेरी क्या गलती है।। #मजबूरी #शायरी #Nojoto

Gokul Ingale

शायरी# मजबूरीuskajaana

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Hem Raj jangid

मजबूरी के मजदूर शायरी

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मजबूरी के मजदूर है हम इसलिए मजबूर हैं हम
ऐसे हम मजबूर नही होते है जनाब
कुछ मजबूरिया मजबूर कर देती है मजबूर होने के लिए 
उन मजबूरियों से मजबूर होकर मजबूरी
के मजदूर है हम।

हेमराज जांगिड़ मजबूरी के मजदूर शायरी

Pradyumn awsthi

#बिल्ली की मजबूरी #कॉमेडी

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बिल्ली ने पीने के लिए अपने मालिक से दूध मांगा 
मालिक- मेरे फोन को पकड़कर बैठ जा उसके बाद दे दूंगा ।
बिल्ली- साला ,एक कटोरी दूध के लिए क्या क्या करना पड़ रहा है ।

©"pradyuman awasthi" #बिल्ली की मजबूरी

Usman shayar

मजबूरी मोहब्बत की #शायरी

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Dr Upama Singh

"रोटी की मजबूरी"

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          "रोटी की मजबूरी"
बहुत कुछ लिखा प्यार और प्यार के अभिव्यक्ति पर, 

पर आज सोच रही हूं  लिखूं किसी नई परिस्थिति पर

इसलिए लिख रही हूं आज कुछ नया
पसंद अगर आए तो दुआ मुझे देना

आज मैंने बारिश में गरीबी को भीगते देखा
दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते देखा

क्या करोना मारेगा इनको, गरीबी की विषम परिस्थिति पहले से ही है मारी

मन इनका विचलित नहीं  होता है क्या करेगा महामारी

रोटी की कीमत पाने के लिए अपनी जान जोखिम में है डाली

दो वक्त की रोटी के लिए उठा के चल दिए ठेला
पहुंच गए लेकर लाश जहां लगा था शवों का मेला। "रोटी की मजबूरी"

Dr Upama Singh

"रोटी की मजबूरी"

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          "रोटी की मजबूरी"
बहुत कुछ लिखा प्यार और प्यार के अभिव्यक्ति पर, 

पर आज सोच रही हूं  लिखूं किसी नई परिस्थिति पर

इसलिए लिख रही हूं आज कुछ नया
पसंद अगर आए तो दुआ मुझे देना

आज मैंने बारिश में गरीबी को भीगते देखा
दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते देखा

क्या करोना मारेगा इनको, गरीबी की विषम परिस्थिति पहले से ही है मारी

मन इनका विचलित नहीं  होता है क्या करेगा महामारी

रोटी की कीमत पाने के लिए अपनी जान जोखिम में है डाली

दो वक्त की रोटी के लिए उठा के चल दिए ठेला
पहुंच गए लेकर लाश जहां लगा था शवों का मेला। "रोटी की मजबूरी"

Pramod Mishra

इन्सानों की मजबूरी #OpenPoetry

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#OpenPoetry  .......... ? एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में, कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में...? इन्सानों की मजबूरी

Ram Shailendra upadhyay

वक्त की मजबूरी

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मुझे तुझसे कोई शिकायत नही हैं,
" वक्त " मैं तेरी मजबूरी समझता हूँ #NojotoQuote वक्त की मजबूरी

Dr Upama Singh

"रोटी की मजबूरी"

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          "रोटी की मजबूरी"
बहुत कुछ लिखा प्यार और प्यार के अभिव्यक्ति पर, 

पर आज सोच रही हूं  लिखूं किसी नई परिस्थिति पर

इसलिए लिख रही हूं आज कुछ नया
पसंद अगर आए तो दुआ मुझे देना

आज मैंने बारिश में गरीबी को भीगते देखा
दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते देखा

क्या करोना मारेगा इनको, गरीबी की विषम परिस्थिति पहले से ही है मारी

मन इनका विचलित नहीं  होता है क्या करेगा महामारी

रोटी की कीमत पाने के लिए अपनी जान जोखिम में है डाली

दो वक्त की रोटी के लिए उठा के चल दिए ठेला
पहुंच गए लेकर लाश जहां लगा था शवों का मेला। "रोटी की मजबूरी"
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