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vaishali
६ जून राज्याभिषेक सोहळा सुरू रायगडावर जल्लोष छत्रपती शिवाजी महाराज सुरू एकच जय घोष राज्याभिषेक सोहळा
vaishali
झाला रायगडावर कोरली पराक्रमाची गाथा इतिहासाच्या प्रत्येक पानावर नमस्कार लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे राज्याभिषेक शिवरायांचा... #राज्याभिषेक_सोहळा #राज्याभिषेक यशवंत, किर्तीवंत, वरदवंत, पुण्य
Manasi Ghatge
पवित्र हा सोहळा आनंदाचा वंदन आणि नमन करिते माझ्या प्रेरणा स्थानाला आणि छत्रपती शिवाजी महाराजांना जे आहेत राजे अवघ्या रयतेच्या मानांचे आणि स्वाभिमान मराठी मुलुखाचा..... नमस्कार लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे राज्याभिषेक शिवरायांचा... #राज्याभिषेक_सोहळा #राज्याभिषेक यशवंत, किर्तीवंत, वरदवंत, पुण्य
Nil Kharkar
छत्रपती शिवाजीराजे महाराज यांच्या राज्याभिषेक दिनाच्या निमीत्त त्रिवार मानाचा मुजरा ....…. जय महाराष्ट्र छत्रपती शिवाजीराजे महाराज यांच्या राज्याभिषेक दिनाच्या निमीत्त त्रिवार मानाचा मुजरा ....…. जय महाराष्ट्र #शिवाजीमहाराज
KoKaN Cha vIsHaL
jivan bodhale
Vidya Jha
चौदह वर्ष वनवास काट लौटे श्री राम जब सिया संग हम घरों में दिये दीप जलाए थे सैकड़ों वर्षो के मशक्कत के बाद आज अयोध्या में आए राम फिर वही खुशहाली आयी है द्वीपों से फिर सजाए ये जग को है कौशल्यानन्दन की राज्याभिषेक होने वाली वो शुभ घड़ी अब आयी है वर्षो से जो बाते नहीं बनी अब वहाँ राम मंदिर बनाई गई है अब जगमग कर रहा ये अयोध्या जैसे स्वयं राम उतर इस धरती पर आए हैं मुख कोटि , सुशील स्वभाव के तन पर भगवा वस्त्र ओढ़ कौशल्यानन्दन अयोध्या में आए हैं......!! ©विद्या झा चौदह वर्ष वनवास काट लौटे श्री राम जब सिया संग हम घरों में दिये दीप जलाए थे सैकड़ों वर्षो के मशक्कत के बाद आज अयोध्या में आए राम फिर वही खुश
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} उल्लू का राज्याभिषेक:- कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा। बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है। सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे तो उनके अनुयायियों ने उन्हें उल्लुओं द्वारा अनेक कौवों की संहार की सूचना दी। बुद्ध ने तब यह कथा सुनायी थी। सृष्टि के प्रथम निर्माण चक्र के तुरंत बाद मनुष्यों ने एक सर्वगुण-सम्पन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाया; जानवरों ने सिंह को ; तथा मछलियों ने आनन्द नाम के एक विशाल मत्स्य को। इससे प्रेरित हो कर पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने दो बार घोषणा भी की कि उल्लू उनका राजा है किन्तु अभिषेक के ठीक पूर्व जब वे तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे तो कौवे ने काँव-काँव कर उनकी घोषणा का विरोध किया और कहा क्यों ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा था जो देखने से क्रोधी प्रकृति का है और जिसकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांडी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं। कौवे के इस विरोध को उल्लू सहन न कर सका और उसी समय वह उसे मारने के लिए झपटा और उसके पीछे-पीछे भागने लगा। तब पंछियों ने भी सोचा की उल्लू राजा बनने के योग्य नहीं था क्योंकि वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकता था। अत: उन्होंने हंस को अपना राजा बनाया। किन्तु उल्लू और कौवों की शत्रुता तभी से आज तक चलती आ रही है। ©N S Yadav GoldMine #Dhanteras {Bolo Ji Radhey Radhey} उल्लू का राज्याभिषेक:- कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार