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Dr.Javed khan
White ग़ज़ल (रु बा रु) हो रू बा रु तो हो शुरु ,अपनी भी कुछ कहानियां दबी दिल में ही रह ना जाए ,इश्क़ की रानाईयां। ख्यालों में ही क्यों रहे , आ ज़रा तू सामने , कुछ तो दे अपना पता,कुछ तो दे निशानियां। मुश्किलों से तू मिला ,खो गया जाने कहां, बढ़ चुकी है बिन तेरे ,दिल की ये बेचैनियां। जिंदगी के सफ़र में ,हम सफ़र बन जा मेरा, खत्म हो दिल की मेरी ,सारी ये परेशानियां। ढूंढता है दर बदर , तुझको ये दिल मेरा, मुंताजिर है नज़र , कर ज़रा मेहरबानियां। ©Dr.Javed khan #ghazal #Shayari
samandar Speaks
White मीरे वजूद कि पाकीजगी से नावाकिफ है ,आजमाने वाले शायद आतिफ ए हस्ती से नावाकिफ हैं ज़माने दिखाने वाले अफसाने अपने हीं घरोंदों के रुहानियt कि करते हैं और फिर चांद पे थूकते हैं बेहिसाब ये ज़माने वाले अख़बार कि कहानी को सबकी हलक में डालकर अंजुमन को करते हैं शर्मसार ये ज़माने वाले हुनर बस इतना के, हर बात में धुएं को रखकर खुद कि रौशनी को मिटाते हैं हर बार ये जमाने वाले आकिबत का खौफ भी अब जमीर तलक नहीं हैं खुदी के चस्म से अहजान ए वफा का नक्श मिटाते ज़माने वाले यकीन इतना के सांसों पे भी पहरे बिठा दें और दावे करते शबाब कि हर रोज ये ज़माने वाले ©samandar Speaks #SAD Mukesh Poonia Satyaprem Upadhyay Samima Khatun Internet Jockey Radhey Ray
Rajneesh Kumar
न जाने क्या तुम्हें बतला रही होगी ये दुनिया मेरी सब ख़ामियां गिनवा रही होगी ये दुनिया ©Rajneesh Kumar #ghazal se
Pathan
वो इतना दूर रहने वाला शख्स,, टकराया भी तो सीधा दिल से,,,। ©Pathan #ghazal #Poet
samandar Speaks
उसके गुस्से में निरीह सिर झुकाए हम कितने अच्छे लगते थे उसकी हथेलियों पे गिरते हुए नम आंसू कितने अच्छे लगते थे उसकी उंगलियों के पोर पर रुखड़े तरकारी काटने के निशान और हाथो में झाड़ू लिए वो हाथ सच में कितने अच्छे लगते थे मेले की उमंग ,सुत्ती सारी के पल्लू में बंधे सिक्को कि जिद्द उसके हाथ से निकले वो सिक्के कितने अच्छे लगते थे वो सिक्के ले यारो संग दुनिया खरीदना फिर उससे पिटना वो दर्द भी अच्छा,उसकी मार से छिपते हुए कितने अच्छे लगते थे : उसकी मुस्कान की दमक से मेरे हाथ खुलते थे उसकी आंखो कि साए में गुजरते पल कितने अच्छे लगते थे राजीव ©samandar Speaks #Preying Mukesh Poonia Khushi Tiwari Harish Labana Internet Jockey Samima Khatun
samandar Speaks
कभी फिर बाद में समझूंगा तुझको अभी खुद को जरा पहचान लूं मै यहां साया तलक अपना नही है ये दुनिया मेरी है' कैसे मान लूं मैं जवाब मुझको मेरे वक्त से चाहिए फिर तुझसे क्या कोई जवाब लूं मैं नफरती सियासत में,परेशान मुरव्वत कैसे पुरशुकून खुद को मान लूं मैं भीड़ आएगी तो अपने भी आयेंगे बे हालात किसे पहचान लूं मैं राजीव ©samandar Speaks #sunlight Satyaprem Upadhyay Samima Khatun Mukesh Poonia Radhey Ray Internet Jockey
utkarsh sen
हम तो इस बात से हैरान हैं । मदद कर के भी परेशान हैं ।। ऐसे शख़्स का क्या फायदा । जो ये तक न कह वो वरदान है ।। अब तो उससे वास्ता भी नही मेरा। जो समझे एक-दो दिन का मेहमान है ।। है आरजू अब भी मिलने की अगर उसे । हर किसी के नजरों में बैठा यहां दरबान है ।। ©utkarsh sen #Poetry #Ghazal