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Ravendra
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विद्या (ह्रदय) हे परमत्तव अंश ज्ञान(विद्या) का स्वरूप को बढ़ावा देना । हमारे ह्रदय रुपी भावसागर कि एक क्रिया है। हद्रय के कारण ही हमारी उत्पत्ति हुई है। हृदय के कारण ही संहार होना तय है । क्योंकि इसी में चार द्वार (वाल) वेदों के स्वरूप से देखा व समझा गया है । वेदों का अस्तित्व सर्वप्रथम सरस्वती को दिया गया है। मानव शरीर में ये ह्रदय क्रिया सनातन से चली आ रही है। हद्रय विद्या का स्पष्टीकरण हमारे मुख और कभी -कभी चन्द , इन्द्रियों के द्वारा भी किया जाता है। इस क्रिया को आजकल के संसार के कानून भी पकड़ नहीं सकते हैं। विद्या के मुल स्पष्टीकरण कै । प्रमाण से प्रमाण निकलता है । हर शरीर में वेदों के अमृत ज्ञान के साथ विष भी है। हद्रय के विष को ग्रहण करने वाला कोई नहीं है। आपके सिवा इस ब्रह्माण्ड में । हद्रय रूपी अमृत को पीने वाले सभी है इस जहां में। ज्ञान का स्वरूप हमेशा हृदय से हुआ है । ऐसा नहीं दावा के साथ व पुर्ण विश्वास से कहता हूं । अपनी हाथ की चार अंगुली को लीजिए और हृदय पर रखकर उन्हें कहिए कि सरस्वती के पास कोई डिग्री नहीं है । इस प्रमाण से - इस क्रिया से। अब ज्ञान बातें सोचकर ओर बोल कर दिखा । अभी खुद करके देखो आपके ज्ञान रुप । इस क्रिया से कहा चला जाता है। बड़ा प्रमाण क्या - हमारा ज्ञान का ही सर्वोपरि उद्गम का स्त्रोत हृदय ही है। ह्रदय में से निकला ही विष हमारा सर्वोपरि विध्वंस है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #sattingbaba #sanjana #New #treanding #Trading #PriyankaMeme Johirul Islam Kamalakanta Jena (KK) Pooja Thakor Samanda
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सोच(हद्रय) सोच इस शरीर रूपी भवसागर स्वरूप ह्रदय का ऐसा रत्न है। जो अन्दर तो बहुत ही तरल रहता है , बाहर निकलते ही ठोस रूप हो जाता है , ठोस रूप में तो ये कभी -कभी तो, ये करोड़ों सालो तक नहीं फुटता है। जैसे कि - कण-कण में भगवान होता है ? आप खुद ही देख लीजिए हे परमत्तव अंश। अन्दर स्वरूप कैसा है? बाहर कैसा है ? क्योंकि जिसने बोला इस वाक्य को, यह उनकी सोच ही थी, एक हृदय से निकली। आप इसको फोड़ कर दिखा दीजिए । समस्त पृथ्वी के परमत्तव अंश । प्रमाण से हम जीवित हैं, प्रमाण से ही आप भी जीवित हैं। जन्म है तो मृत्यु भी देना हृदय में बैठा हुऐ का अधिकार है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #Trending #think #Haryanvi #old #Best #Silence
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दैवीय पृवति और आसुरी प्रवृत्तियां ********************************* समस्त पृथ्वी पर 14 जुन से , नारी शक्ति और पुरुषार्थ शक्ति के अन्त: करण द्वितीय महाभारत युद्ध जो हो रहा है। अहिंसा पर उसका पृथ्वी पर विराट रूप में, महासंग्राम होता दिखाई देना शुरू हो जाएगा। अपनी आंखों से देखते रहिए समस्त संसार में , समस्त नारी शक्ति और पुरुषार्थ शक्ति में। पृथ्वी पर जो मेरे भक्त है वे मेरे पास ही रहेंगे। उनके अंतःकरण में शीतलता प्रदान कि जाएगी। जो मुढ़ और दुष्ट हैं समस्त धर्मों में सर्वप्रथम उनकी शांति भंग की जाएगी समस्त पृथ्वी के सभी धर्मों में। समस्त पृथ्वी पर सभी धर्मों के परमत्तव अंशों शरीर में उनके हृदय मैं स्थित हूं । किसी को भी भविष्य में हृदय की इस आग पहचान नहीं हैं। भुतो का हृदय पुनः अग्नि तत्व अति तीव्र को नियंत्रित करने असफल होंगे। कौरव पक्ष के समस्त अधर्मी पाखण्डी गुरुऔ को। करुणा और दया का प्रयोग ना करें मेरे भक्तों इन अधर्मियों पर। आप देखते रहिए चुपचाप इस महासंग्राम युद्ध को समस्त धर्मों के तुच्छता पहचान वालों को संसार में। यह श्री गीता जी अठारहवां श्लोक गुप्त रहस्य भाव है ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #viral #Haryanvi #merikHushi दैवीय पृवति और आसुरी प्रवृत्तियां ***************************
Mysterious Girl