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अदृश्य रंग
🌞प्रभात 🌞 एक नई रहा है , एक नया जन्म है । प्रभात एक,शुभारंभ का नाम है । कल नही आज है , उमंगों के प्रभा का आगाज़ है । एक उम्मीद है, कुछ पाने की , कुछ अपनो के संग मीठे पल सजाने की । शुभ प्रभात 🌞💐 ©अदृश्य रंग # प्रभात🌞 # शुभ प्रभात 🌄
Prabhat Kumar
दो पल की ज़िंदगी क्यों रुलाते हो खुशियाँ क्यों नहीं तुम दे पाते हो कुछ नहीं है यहाँ तेरा मेरा सब छोड़ के जाना है बस कर्म ही रह जाएँगे जो किसी के होठों पर मुस्कान भर जाएँगे ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
इंतज़ार वो करती रही बैठी वो सड़कों को देखती रही वादा पूरा होगा विश्वास वो करती रही ख़ुद ब ख़ुद सोचते सोचते वो मुस्कुराती रही कुछ बड़बड़ाती रही दिल के दर्द को छुपाती रही आते जाते लोगों को निहारती रही उसके आने का इंतज़ार वो करती रही ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
सुनसान पड़े घर में डर लगता है रहने में आहट होती है जब-जब डरता है मन तब-तब धूल जमी है यहाँ वहाँ साफ़ कहाँ हो पाता है छोड़ गए सब अपने परिवारों को लेकर दूर देश को कुछ काम धंधे करने को कभी किलकारियों से गूंजती रहती थी इस सुनसान पड़े घर में ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White रुके क्यों नहीं दिए तो थे तुम्हें आवाज़ हमने क्या सुने नहीं थे आवाज़ मेरे किसके ख़्यालों में बढ़े चले गए थे तुम मैं उदास हो गया था जब तुमने नहीं मेरी आवाज़ सुना था कुछ बताओ क्या बात हुआ था ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
बस एक बार कह दिया होता अपने दिल का हाल मुझसे तो नज़ारा कुछ और ही होता यूँ तन्हा ना आपको रहना पड़ता ना ग़म में मुझको डूबना पड़ता कोशिशें रहती मेरी आप के चेहरे पर मुस्कान भरता यूँ कांटे भरी राहे ना होती आपकी ज़िन्दगी में खुशियों से भरा हर पल रहता ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White चोरी चोरी देखूँ मैं तुमको चेहरे पर मुस्कान भर आता है न जाने दिल को कैसी ख़ुशी मिल जाता है खोता कुछ नहीं मेरा पर देख कर तुमको बहुत कुछ पा लेता हूँ कुछ लिखता हूँ तुम्हारे लिए बहुत कुछ सोचता हूँ तुम्हारे लिए रातों को चोरी-चोरी नींदे मेरी उड़ जाती है ख़्याल जब तुम्हारा आता है कल बातें तुमसे करूँगा क्या बातें करूँगा तुमसे यही रात भर सोता रहता हूँ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White कुछ तुम भूल गए, कुछ हम भूल गए यूँ ही दिल का रिश्ता तोड़ गए जीने मरने की कसमें खाते थे हम वादों पर वादे करते रहते थे हम न जाने ऐसा क्या हुआ कि हम तुमको तुम हमको भूल गए बातें बंद मुलाकातें बंद मिलना जुलना सब कुछ हो गया बंद इतने क्यों हम तुम बदल गए ये कैसी बेवफ़ाई हमने तुमने निभाई नज़रें मिली तो फिर क्यों नज़रें हम दोनों की झुक गई ©Prabhat Kumar #प्रभात