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Dr Usha Kiran
प्रेम बेल को पीर सींचती, साँसें तुझ पर वारी रे! चंदन-वंदन कर न्यौछावर, तन-मन तुझ पर हारी रे! पीड़ा को गाते हैं पल-पल, मीरा के इकतारे हैं, नैना व्याकुल दरश दिखा जा, मेरे तू गिरिधारी रे! ©Dr Usha Kiran #मेरे तू गिरिधारी रे!
Arora PR
White मै चाहता हु मेरे इस नए गीत के लिए नए छंद . असमान से ऊतरे लेकिन मेरा गीत मेरी इस बात से राज़ी नही.... क्योंकि उसे धरती के साथ. चिपके रहना ज्यादा पसंद हैँ ©Arora PR नया गीत
अज्ञात
न कोई सद्गुन है, न कोई साधना करूँ भला कैसे, तेरी उपासना..! न वास्ता तप से,न वास्ता जप से संभाल लेना हो, यही है प्रार्थना..! न ज्ञान है मुझमें, न ध्यान है मुझमें कृपा की मूरत हो,कृपा की भावना..! न हो भजन तेरा, न मन मगन तेरा न भाव भक्ति हो,न वर की कामना..! जहान तेरा है, विधान तेरा है भगत के पाले में, तुझे पुकारना..! अधम भी तारे हो, सदा सहारे हो दया की दृष्टि से, मुझे निहारना..! नयन की भाषा है, तुम्हीं से आशा है मेरे खिवैया रे,मुझे उबारना..! ©अज्ञात #जगतखिवैया रे
Sonali Ghosh
तुझे शिकायत है की ढूंढने में इतना वक्त कैसे लगा और मुझे शिकायत है की खोने ही क्यों दिया। ©Sonali Ghosh #ओह #सजनी #रे
Gurudeen Verma
White शीर्षक - क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये ------------------------------------------------------------- क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। कल तो नहीं थी तुम्हें मिलने की फुर्सत। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। क्यों आज हम याद-----------------------।। देख रहा हूँ तुम्हारी कहाँ हैं निगाहें। मेरा महल देख क्यों भरते हैं आहे।। छूने से डरते थे तुम मुझको कल तो, क्यों आज मिलाने हाथ तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। कल तक की थी तुमने बुराई हमारी। करते हो आज सबसे तारीफ हमारी।। नहीं पूछते थे तुम कल हाल हमारा। क्यों आज बिछाने फूल तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। नहीं था कबूल कल क्यों साथ हमारा। गैरों की बाँहों में था कल हाथ तुम्हारा।। तोड़ा था क्यों तुमने कल ख्वाब हमारा। क्यों आज बनाने साथी तुम आ गये।। क्यों आज हम याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत
nisha Kharatshinde
आज मी अन् तो (पाऊस) तो बरसतच होता मनसोक्त माझ्याशी गप्पा मारत.. मी ही बाल्कीनीतून हसत त्याला होते न्याहळत दिवसभर बोललो आम्ही सांज व्हायला लागली होती रात्रीही येणार का रे हो...गर्जना ऐकू येत होती कसे गेले वर्ष अखेर त्याने मला विचारले फक्त तुझीच प्रतिक्षा सोड...तूला खूप आठवले गंधाळल्या दाही दिशा आज मी ही मंत्रमुग्ध जाहले त्या चातकासारखीच मी ही आज खरी तृप्त झाले तो ही ऐकून हसू लागला वाट त्यानेही पाहिली होती अंधार सगळीकडे पसरला तितक्यात आईने हाक मारली होती ✍️(निशा खरात/शिंदे)काव्यनिश ©nisha Kharatshinde आज मी अन् तो(पाऊस)
PФФJД ЦDΞSHI
गीत...... बजने लगी शहनाईयाँ, चुभने लगी तम्हाईयाँ चाहे तुम्हे गहराईयाँ होने लगी रुसवाईयाँ चारो तरफ है परछाईयाँ,मौत भी लेती अगड़ाईयाँ, जीना भी चाहूं ज़ी ना सकूँ दिल मे बसी है वीरानियाँ...... ©PФФJД ЦDΞSHI #गीत #pujaudeshi