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Priyanka Rai
सुनो सावन की रिमझिम बारिश उनसे रूबरू होती तो होगी ही उनसे ज़रा गुफ्तगू करना कि भुलाया नहीं हैं उसने भुला नहीं देना इस भ्रम में कि भुला दिया है उसने ©Priyanka Rai #Barsaat #सावन #रिमझिम #बारिश #Nojoto #Poetry #nojotohindi #poem #शायरी
POONAM SHARMA
रिमझिम पहली बुंन्दो की फुहार है तू मुझ मै गुम है तू कही या तू मुझ मै ही है तेरे बिना ना जी सकेगे हम कभी भी मेरे हमसफर बेबफा तू नही है मालुम है मुझको सफर ये आखिरी नही शुरुवात है तेरे बिना जींदगी अधुरी है मेरी रिमझिम पहली बुंन्दो की फुहार है तू मुझ मै गुम है तू कही या तू मुझ मै ही है ©POONAM SHARMA #रिमझिम
Vivek
सपनों की उथल पुथल से थोड़ा ज्यादा दिल की खलबली से ज़रा सा कम मैं ही तपती धूप में रिमझिम बारिश का मौसम...!!! ©Vivek #रिमझिम बारिश
Ambika Mallik
#रिमझिम सावन सजन सज धज कर वादियों में बिखर जाए तो अच्छा। सब्ज धरा को श्रृंगारित कर मनोहारी रुप निखर जाए तो अच्छा।। बिरहिनि के दर्द को समेटे फिरता है जाने कहाँ मारा मारा। ये बदमस्त घटाओं की आवरगी ठहर जाए तो अच्छा।। चांदी सा चिलमन धरा को आगोश में लेने को आतुर । नाचती बूंदों की पायल जमीं पर उतर जाए तो अच्छा।। रिमझिम फुहारों की सरगोशी हो रही है तन बदन पर। लहराती धानी चुनर मोहब्बत में संवर जाए तो अच्छा ।। बेकरार धड़कन धडक रही है आज मध्यम मध्यम । बरसती इश्क में तेरी बाहों में भर जाए तो अच्छा ।। अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #रिमझिम Anshu writer poonam atrey @gyanendra pandey Sethi Ji Mili Saha Bhavana kmishra Akshita Maurya Anil Ray MIND-TALK Poonam Awasthi Poonam Awasthi कवि संतोष बड़कुर Umme Habiba वंदना .... Kirti Pandey
दिनेश कुशभुवनपुरी
गीतिका: सावन आया सावन आया झूम-झूमकर, रिमझिम रिमझिम चली फुहार। हरियाली की चादर छायी, मनभावन सी चली बयार॥ बाग बगीचे हरे हो गये, दूर हुआ वसुधा से ताप। रंग विरंगे पुष्पों ने भी, किया चमन का हर श्रृंगार॥ कलरव करते सारे पक्षी, और मयूरा करता नृत्य। कोयल कूँक कूँक कर गाये, झंकृत हुआ सकल संसार॥ भोले शंकर को है प्यारा, मनभावन ये सावन मास। नीर क्षीर जो नित्य चढ़ाये, उनका करते हैं उद्धार॥ सावन आये नाग पंचमी, पूजे जाते विषधर नाग। दूध पिलाया जाता उनको, जो हैं प्रभु शंकर के हार॥ सावन में सखियाँ सब मिलकर, गाएं प्यारे कजरी गीत। झूला झूलें झूम झूमकर, लेकर मन मे खुशी अपार॥ कूढ़ी कुश्ती कला कबड्डी, मिट्टी में खेले सब लोग। सजता दंगल गाँव गाँव में, लगता है प्यारा त्यौहार॥ शुभ शुभ सुंदर सुरभित सावन, मस्त मस्त मोहक मधुमास। हरियाली से हुआ सुशोभित, सकल धरा पर बाँटे प्यार॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #गीतिका #सावन #रिमझिम #भोले #शंकर
Aarzoo smriti
रिमझिम ये बारिशें सुनो क्या कहती है, इस तरह क्यों मुझसे तू दूर रहती है। दिल में धड़कती है तू धड़कनो की तरह, मेरी साँसों मे भी तू सासों सी बहती है। आ जाओ करीब तो क्या बात हो जाए, और खुशनुमा ये बरसात हो जाए। मेरे लिए तो जैसे सौगात हो जाए, और खुशनुमा ये बरसात हो जाए.... जब से मिली है तू मुझे, छाई एक खुमारी है। कम होती नहीं एकपल भी, कुछ ऐसी बेकरारी है। अब कुछ भी नहीं मेरे लिए ये जहाँ है, तेरे आगे बेवजह हो गई ये दुनिया सारी है। शामिल तू हो जाए मेरी जिंदगी में, तो हसीं हर दिन और रात हो जाए। आ जाओ करीब तो क्या बात हो जाए और खुशनुमा ये बरसात हो जाए। ©Aarzoo smriti #रिमझिम
Krish Vj
2) रिमझिम:- ग़ज़ल अब के सावन, यह बात हो गई अपने 'प्रेम' से मुलाकात हो गई सूखा था, हर मंज़र ज़िंदगी का आज सुकून की बरसात हो गई ख़ामोश लब थे, दोनों के कब से आज 'आँखों' से ही बात हो गई मशगूल थे हम आगोश में उनके हौले-हौले से कब ये रात हो गई वीरान था यह सावन बिन उनके मिले जो हम, ये करामात हो गई एहसास उमड़ पड़े कई "कृष्णा" ख़्वाब, हक़ीक़त के नाम हो गई #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #कोराकाग़ज़ #रिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम 2) रिमझिम:- ग़ज़ल अब के सावन, यह बात हो गई अपने 'प्रेम' से मुलाकात हो गई सूखा था, हर मंज़र ज़िंदगी का आज सुकून की बरसात हो गई
Krish Vj
1) कविता :-रिमझिम बिन तेरे तपन को बढ़ाती है यह बारिश की बूँदें मन को मेरे, तिल तिल जलाती बारिश की बूँदें सावन अधूरा तुम बिन, आँखों में ये नमी सी है भीगता सिर्फ़ यह तन, मन सुखाती है यह बूँदें मिट्टी की महक याद दिलाती, सोंधी खुशबु तेरी प्यासा हूँ, सावन में भी, बरसती बारिश की बूँदें यादों का सावन निराला, ताकती पलकें मेरी ये यार कहाँ मिलने वाला, 'तड़पाती' मुझे यह बूँदें रिमझिम बरसती घटायें, ये ख़्वाब तोड़ जाती है मिलन होगा सावन में, पर रह जाती है यह बूँदें #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम
Poonam Suyal
बादल (अनुशीर्षक में पढ़ें) बादल एक सैलाब को ख़ुद के अंदर समेटते रहे बादल जब सह ना सके तो आख़िर बरस ही गए बादल सब्र की इन्तहा उनकी हो गई थी पार अपने जज्बातों को कब तक छुपाते बादल