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बेजुबान शायर shivkumar
" इस बार मैंने लोगो को नहीं, खुद को चुना है खुद के लिए " अकेले रहते रहते, लोगो की उन हकीकत जानते समझते, सबसे दूर होते होते, आदत सी पड़ गई अब अकेला रहने की.. तो अब लोगो का साथ अब घुटन सा लगने लगा है..! मैं सही हूं या गलत मुझे नहीं पता पर अब यहीं मेरी जिंदगी है.. मुझे मेरा अकेलापन ही अब बेहतर लगता है लोगो के साथ से ! --डॉ.सुधीर मल्होत्रा ©बेजुबान शायर shivkumar " इस बार मैंने लोगो को नहीं, खुद को चुना है खुद के लिए " अकेले रहते रहते, लोगो की उन हकीकत जानते समझते, सबसे दूर होते होते, आदत सी पड़ गई
" इस बार मैंने लोगो को नहीं, खुद को चुना है खुद के लिए " अकेले रहते रहते, लोगो की उन हकीकत जानते समझते, सबसे दूर होते होते, आदत सी पड़ गई
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो। जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर, तेरे अंगों की महक में बिखेर दो। मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर, इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो। भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में, तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो। कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही, अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो। हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब, तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो। हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को, मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग
#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग
read moreनवनीत ठाकुर
तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से लिपटी बहार गुज़री है। तेरी राहों में जो ठहरे थे सिलसिले, वो सब रातों में बनके खुमार गुज़री है। तू जो आया तो एहसास यूँ हुआ नवनीत, ज़िंदगी अब तलक बेकरार गुज़री है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से ल
#नवनीतठाकुर तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से ल
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