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Stories related to अजाण वृक्ष

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Sandhya Sonawane

कविता:- "अजाण बाळ".

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Archana Patel

वृक्ष

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कम -से -कम,
एक वृक्ष लगाएँ।
वातावरण में ,
हरियाली लाएँ।
अधिकतम जीवन जीने का,
नुक्सा अपनाएँ।

©Archana Patel वृक्ष

Dilipkashyap

मुझे ये समझ में नहीं आता कि जिस वृक्ष की हमें पूजा करनी चाहिए उस वृक्ष को लोग आसानी से काट कैसे लेते हैं #वृक्ष

Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

जिस भाँति वृक्ष ये कभी नहीं भूलता कि वो भी कभी अंकुरित 
बीज था।
उसी भाँति मानव को सफ़लता प्राप्ति के पश्चात् भी,
 ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि पहले वो क्या था और किस मार्ग से चलकर यहाँ तक आया है। #वृक्ष

Harmendra sartaaj

वृक्ष #nojotophoto

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 वृक्ष

राघव रमण

Kamlesh Kandpal

वृक्ष #कविता

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Roshani Thakur

वृक्ष #Poetry

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सिने में उसके दिल नहीं 
ना ही कोई दिमाग रखता है l
पर साँसे उसकी भी चलती है l
रागों में खून उसके भी दौड़ता है l
रूप भी मौसम के हिसाब से बदलता है 
कभी नए नए पत्ते तो कभी पतझड़ से लड़ता हैं l
ये वृक्ष 
जहां जन्म लेता है वहीं मरता  है l
पर बदलता नहीं
  अपना कर्म l
 अपना धर्मl
अपनी छाँव l
अपना फल l


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©Roshani Thakur वृक्ष

S shubhav

Indu Bala Mishra

_वृक्ष_

फूटी अंकुर फूटा कोंपल, और धरा पर खड़ा हुआ।
आंधी, बारिश, तुफ़ा से लड़कर, मैं धीरे–धीरे बड़ा हुआ।।

सावन आया पतझड़ आई, आई वसंत बहार।
डाल–डाल पर काली खिली, हुलसा हृदय आपार।।

मधुप तितलियां छाई आकार, गूंजी कोयल की मृदु तान।
डाल–डाल पर बना बसेरा, मुझसा किसका शान।।

भूखे–प्यासे पंथी को दी, छाया और आहार।
सुखदाता–आश्रयदाता बन, दिया मात–पिता सा प्यार।।

कई दसक बीतीं, सादिया बीतीं, फिर हुआ वृद्ध सा भास।
धीरे–धीरे पत्ते झड़ गए,
हुआ अकेलेपन का एहसास।।

एक दिवस मैं मौन खड़ा था, बीतीं बातें सोच रहा था।
तभी तन पर चली कुल्हाड़ी, क्षण भर में क्षिण–भिन्न पड़ा था।।

किसी के घर का बना जलावन, और क्षुधा को तृप्त किया।
किसी के बालक का बन पलना, स्वप्न–लोक में लीन किया।।

किसी राजा का बना सिंहासन, राज–भवन का शान बना।
किसी चिता के संग जलकर, मैं मानव तन का त्राण बना।

कहते हैं जीवन अनमोल है, मेरा जीवन धरा का प्राण रहा।
जीकर तो सुख दिया सभी को, मैं मरकर भी अनमोल रहा।।

©Indu Bala Mishra #वृक्ष
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