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Stories related to सका नवरा गेला

दीक्षा गुणवंत

ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस

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ये बारिश का मौसम,
ये मौसम की तन्हाई।
तू पास ना आ सका मेरे,
पर तेरी यादें चली आईं।।

तन्हा तन्हा मैं यहां,
तेरे दूर होने की ये रुसवाई।
मैं बस अकेली बैठी थी यहां,
जाने क्यूं तेरी यादें चली आईं।।


-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"




















.

©दीक्षा गुणवंत ये बारिश का मौसम,
ये मौसम की तन्हाई।
तू पास ना आ सका मेरे,
पर तेरी यादें चली आईं।।

तन्हा तन्हा मैं यहां,
तेरे दूर होने की ये रुसवाई।
मैं बस

Rameshkumar Mehra Mehra

# दोनो ही मजबूर रहे,अपने अपने दायरे में,एक इश्क ना कर सकी,और एक इश्क भूला ना सका....💕

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writer_Suraj Pandit

#love_shayari अपना न सका sad shayari Rakesh Kumar Das Mukesh Bamniya Sonika pal बाबा ब्राऊनबियर्ड Kavi Himanshu Pandey

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White मेरी उदासी को कोई समझ न सका ।
अपना कह कर कोई ,
अपना न सका।
💔😢

©writer_Suraj Pandit #love_shayari अपना न सका  sad shayari Rakesh Kumar Das  Mukesh Bamniya  Sonika pal  बाबा ब्राऊनबियर्ड  Kavi Himanshu Pandey

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा, चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा। कौन किसको याद करके अफ़सोस करता

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White इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा,
चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा।
कौन किसको याद करके अफ़सोस करता है,
मैं यादों में कुछ ताज़ा ग़ज़ल छोड़ जाऊँगा।

दर्द की बारिशों में भीगते हुए सफ़र तय किया,
हर ख़ुशी का क़र्ज़ चुकाकर दिल अपना दे जाऊँगा।
गुमनाम राहों पर कोई नाम मेरा पुकारेगा,
मैं वक़्त की धुंध में अपनी पहचान छोड़ जाऊँगा।

चाहतों का हर अल्फ़ाज़ मेरी किताब में मिलेगा,
कुछ ख़्वाब अधूरे, अधूरी सी बात छोड़ जाऊँगा।
जो न समझ सका आज, शायद कल समझ पाए,
हर सन्नाटे में अपनी आवाज़ छोड़ जाऊँगा।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 

इश्क़ और ये वीरानियों को मैं यूँ ही छोड़ जाऊँगा,
चाहता हूँ बहकते हुए मैं कुछ शायरी छोड़ जाऊँगा।
कौन किसको याद करके अफ़सोस करता

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम

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चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका।

ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर,
पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका।

हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ,
मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका।

अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल,
जो पास था भी, वो हासिल न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का सम

Anant Nag Chandan

#Hug हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें, उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका। अनन्त

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हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका।
अनन्त

©Anant Nag Chandan #Hug हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका।
अनन्त

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

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White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी, क्या ख़ामोशी को आवाज़ देगा। तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी, क्या किसी मुस्कान को सुक

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Unsplash तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी,
क्या  ख़ामोशी को आवाज़ देगा।

तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी,
क्या किसी मुस्कान को सुकून देगा।

कितनी दफ़ा टूट कर बिखरे हैं अरमान,
ख़ुद तो संभल न सका, तू किसे क्या देगा।

तू साया भी तो न बन सका किसी का ' नवनीत ',
क्या और दिल को आराम देगा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी,
क्या  ख़ामोशी को आवाज़ देगा।

तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी,
क्या किसी मुस्कान को सुक

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं, जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।

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Unsplash दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं,
जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं,
जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।
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