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Mili Saha
अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में एक था वो कहता है ये बात ईरानी इतिहास। शाह मोहम्मद खोदबंदा का था वो तीसरा पुत्र और माता थी उसकी खैर अल-निसा बेगम मिला था ये अब्बास नाम उसे अपने दादा से नाम था जिनका तहमासप प्रथम। मात्र अठारह महीने की उम्र में ही अब्बास अपने परिवार से हो गया अलग पन्द्रह वर्षों के पश्चात मिलना हुआ फिर पिता से किंतु माता को कभी न देखा हुआ जो विलग। क़िजिलबाश जो अभिभावक बने अब्बास के उन्हीं से सीखे सैनिक के आवश्यक कौशल शिकार करना पोलो खेलना एक जुनून की तरह कठिन होते थे बड़े प्रशिक्षण के वो पल। किया जाता था अब्बास को प्रशिक्षित अक्सर वहांँ पर घरेलू गुलामों के साथ ही उनके साथ अधिक समय बिताने के कारण बन गए थे वहीं बचपन के कई साथी खास। सफ़वी साम्राज्य के लिए अब्बास बड़े कठिन समय में सिंहासन पर आया अपने राज्य की राजधानी एक महान निर्माता बन वो कज़्वीन से लेकर इस्फ़हान तक ले गया। अपने शासनकाल की उपलब्धियों के लिए प्रशंसित एक मजबूत और निर्णायक शासक था अब्बास किंतु एक अत्याचारी के तौर पर भी है उसकी पहचान बेटे और कई रिश्तेदारों का हत्यारा बना था अब्बास। आश्चर्यजनक सांस्कृतिक विरासत का अधिकांश अंश आधुनिक ईरान में मौजूद दिखाई देता जो आज भी अपने युग के सबसे महान शासकों में से एक यह सांस्कृतिक विरासत थी अब्बास द ग्रेट की। ©Mili Saha अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में
MK Sharma
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me to get the same for me to get ©KP EDUCATION HD  RPSC रिक्तियों की विवरण RPSC ने निम्नलिखित पदों के लिए कुल 533 रिक्तियों की घोषणा की है: पुस्तकालयकार: 247 पद
Dinesh Yadav
Parasram Arora
बेचारी मनुष्यता बड़ी दरिद्र है जिसे हंसी क़े प्रशिक्षण की जरूरत है वह दूरभाग्य का दिन होगा ज़ब पक्षी पूछने लगेंगे क़ि गीत कैसे गायें पहले ट्रेनिंग. तो दीजिये तब हम चहचहाएंगे मोर कहेंगे आदलों बादलों से हमें क्या मतलब घिरने दो घटाओं को..... ज़ब तक प्रशिक्षण न मिलेगा हम पँख नहीं फैलाएंगे मगर जैसे ही मेघ उमड़ते हैँ क़ि मोर नाच उठते हैँ जबकि न मोरों क़े स्कूल है न कोई नृत्य शिक्षणकेंद्र हैँ ...... न पशुपक्षियों की कोई पाठशाला है.... न ही कही फूलों को खिलाने वाली संस्थाएं हैँ. सिर्फ मनुष्य को ही हर चीज सिखाने की जरूरत है क़ि कब और कैसे हँसा जाय कब और कैसे रोयाजाय ©Parasram Arora प्रशिक्षण.......