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MADHUKANT THAKUR
हां बिहार हैं हम बुद्ध का वास्तविक ज्ञान हैं हम स्वतंत्रा हेतु चंपारण का पहला संग्राम हैं हम सम्राट अशोक जैसे प्रतापी राजाओं का खलिहान हैं हम विवाह के पारंपरिक गीतों की तान हैं हम देश की सान हैं हम गिनती की पहली सीढ़ी शून्य का आविष्कार हैं हम छठ जैसे महापर्व का इंतेजार हैं हम हां बिहार हैं हम... ✍️मधुकान्त . . . . . . ©MADHUKANT THAKUR #बिहार
Arora PR
White उस बस्ती मे उठती हुई दिखी थीं आग की लैपटे.... पर धुँवा उठता हुआ नहीं दिखा हैं पहले भी इसी तरह जलाई गई थीं कई बस्तिया पर धुँवा नहीं उठने के कारण वे " खबर" नहीं बन सकी थीं ©Arora PR खबर
@Manorama morya
बिहार दिवस की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।। 22 मार्च बिहार दिवस ©@Manorama morya #बिहार दिवस
Prabhat Kumar
White रुके क्यों नहीं दिए तो थे तुम्हें आवाज़ हमने क्या सुने नहीं थे आवाज़ मेरे किसके ख़्यालों में बढ़े चले गए थे तुम मैं उदास हो गया था जब तुमने नहीं मेरी आवाज़ सुना था कुछ बताओ क्या बात हुआ था ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
बस एक बार कह दिया होता अपने दिल का हाल मुझसे तो नज़ारा कुछ और ही होता यूँ तन्हा ना आपको रहना पड़ता ना ग़म में मुझको डूबना पड़ता कोशिशें रहती मेरी आप के चेहरे पर मुस्कान भरता यूँ कांटे भरी राहे ना होती आपकी ज़िन्दगी में खुशियों से भरा हर पल रहता ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White चोरी चोरी देखूँ मैं तुमको चेहरे पर मुस्कान भर आता है न जाने दिल को कैसी ख़ुशी मिल जाता है खोता कुछ नहीं मेरा पर देख कर तुमको बहुत कुछ पा लेता हूँ कुछ लिखता हूँ तुम्हारे लिए बहुत कुछ सोचता हूँ तुम्हारे लिए रातों को चोरी-चोरी नींदे मेरी उड़ जाती है ख़्याल जब तुम्हारा आता है कल बातें तुमसे करूँगा क्या बातें करूँगा तुमसे यही रात भर सोता रहता हूँ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White कुछ तुम भूल गए, कुछ हम भूल गए यूँ ही दिल का रिश्ता तोड़ गए जीने मरने की कसमें खाते थे हम वादों पर वादे करते रहते थे हम न जाने ऐसा क्या हुआ कि हम तुमको तुम हमको भूल गए बातें बंद मुलाकातें बंद मिलना जुलना सब कुछ हो गया बंद इतने क्यों हम तुम बदल गए ये कैसी बेवफ़ाई हमने तुमने निभाई नज़रें मिली तो फिर क्यों नज़रें हम दोनों की झुक गई ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
उनकी ख़ुशबू ही कुछ ऐसी थी उनके दीवाने हम हो गए थे भूलकर सारी बातें उनके पीछे हो चले थे उनको भी कुछ समझ ना आया हम क्यों हो रहे हैं उनके दीवाने हमको तो लग रहा था सदियों से है उनका हमारा ये रिश्ता बातें पुरानी याद करने की कोशिश मैं करता रहा पर कुछ भी याद मुझको ना आया न जाने क्या राज़ था क्यों मैं उनका दीवाना हो रहा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
रात भर आती रही तेरे भेजे फूलों की ख़ुशबू तन मन मेरा बेकाबू हो रहा था साथ तुम्हारा ख़ोज रहा था दिल कह रहा था चला जाऊँ पास तेरे तू अगर रहती पास मेरे दिल की सारी बातें कह देता तुमसे ये ठंडी हवा का झोंका फिर मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता ये ख़ुशबू फिर मुझे बेकाबू ना करता ©Prabhat Kumar #प्रभात